रणघोष अपडेट. रेवाड़ी
एमआरटीएस (मास रैपिड ट्रांजिट सिस्टम) को लेकर जेजेपी नेताओं की खामोशी भी एक साथ कई सवाल खड़े कर रही हैं। यहां बता दें की जिस एचएसआईआईडीसी व जिला राजस्व विभाग के तहत यह राशि वितरित होनी है। वे महकमें डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला के अंतर्गत आते हैं। इस बारे में जेजेपी नेताओं से संपर्क किया गया तो उनकी तरफ से इस प्रोजेक्ट एवं मुआवजा को लेकर हो रही हो रही देरी के संबंध में कोई जवाब नहीं आया। हालांकि जिला स्तर की टीम के द्वारा इस मसले की रिपोर्ट हाई कमान को भेजी जा चुकी है। संपर्क भी किया गया लेकिन चंडीगढ़ से ऐसा कोई जवाब नहीं आया जिसके आधार पर वे मीडिया में स्थिति को स्पष्ट कर सकें। उधर भाजपा नेता भी चुटकी लेने में पीछे नहीं है। उनका कहना है कि एक तरफ जेजेपी के मंत्री एवं पदाधिकारी किसानों के नाम पर बड़े बड़े दावें कर रहे हैं वहीं जमीनी स्तर पर बताने को कुछ नहीं है। कायदे से यह महकमा दुष्यंत चौटाला के अंतर्गत आता है इसलिए उन्हें इस पर तस्वीर साफ करनी चाहिए। इसके लिए भी क्या भाजपा नेताओं को आगे आना पड़ेगा। यहां बता दें की इस परियोजना को लेकर तरह तरह की उलझनें सामने आ रही हैं। एक तरफ कहा जा रहा है कि बाकी मुआवजा राशि इसलिए नहीं जारी की जा रही क्योंकि इस प्रोजेक्ट में दम नहीं है। इसलिए सरकार इसे बंद करने की योजना बना रही है। सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती कई करोड़ों रुपए के बांटे जा चुके मुआवजा राशि की रिकवरी को लेकर है। जिसकी वापसी किसी सूरत में आसान नहीं है। दूसरी तरफ यह भी दावा किया जा रहा है कि सरकार के पास इतना फंड नहीं है कि वह वह प्रोजेक्ट को आगे तक ले जा सके। ऐसे में जेजेपी का चुप रहना भी एक साथ कई सवाल खड़े कर रहा है।