कई लाखों रुपए खर्च कर मिलती है सैनी सभा की चौधर, इस कुर्सी में जरूर कोई राज है..

रणघोष खास. सुभाष चौधरी


शहर की सबसे बड़ी सामाजिक संस्था सैनी सभा. रजि. को आखिर नवीन सैनी के रूप में नया प्रधान मिल गया। यहां तक पहुंचने के लिए पिछले दो माह में सैनी समाज के लोगों ने चौधर के नाम पर जो दंगल देखा उसने यह साबित कर दिया कि सैनी सभा की कुर्सी में कोई ना कोई राज है जिसके चलते यहां तक पहुंचने के लिए कई लाखों रुपए पानी की तरह बहाए गए। यह राशि किस रास्ते से होकर इधर उधर होते हुए वापस रिकवरी के रूप में जमा होगी यह सवाल तीन साल बाद होने वाले चुनाव में उसी तरह का मुददा बनेगा जो इस बार भ्रष्टाचार बनकर कीचड़ उछालता रहा। सोचिए प्रधान की कुर्सी इधर उधर नहीं चली जाए कॉलेजियम में आधे से ज्यादा सदस्यों को उज्जैन,  ऋषिकेश एवं हरिद्वार के सैर सपाटा पर भेज दिया गया। यह भी बताया जा रहा है कि हरिद्वार में गंगाजल हाथ में लेकर संकल्प कराया गया कि वे किसी प्रलोभन में  इधर उधर नहीं होंगे। इन कॉलेजियम सदस्यों के मोबाइलों को भी किडनैप स्टाइल में रखा गया। 19 जुलाई को नए प्रधान चुनाव के समय धार्मिक यात्रा से लौटे उम्मीदवार सीधे मतदान केंद्र पर जाकर उतरे। यह पूरा घटनाक्रम बताता है कि सामाजिक सहयोग एव समर्पण भावना से चलने वाली ये संस्थाएं भी अब सीधे तौर पर राजनीतिक दंगल बन चुकी हैं। इन संस्थाओं में कहने को समाज के लोगों की खून पसीने की कमाई से चंदा आता है। इस नेक कमाई में एक रुपए भी नाजायज खर्च करना समाज में पाप करना जैसा माना जाता है। इसके बावजूद मैदान में उतरे मजबूत पदों के उम्म्मीदवारों ने जिस तरह पानी की तरह जो पैसा बहाया उससे समाज का क्या भला हुआ यह सवाल इसलिए अहम है क्योंकि समाजसेवा ने अपना चेहरा बदल लिया है। आजकल में समाजसेवी वहीं कहलाता है जो चंदे या किसी कार्यक्रम खर्च की पर्ची कटवाता है। जिसके पास पर्ची कटवाने की हैसियत नहीं वह समाजसेवी ही नहीं है। कमाल की बात यह है कि सैनी सभा चुनाव में फर्जी आधार कार्ड बनकर उनका इस्तेमाल होते हुए का विडियो व आडियो जमकर वायरल हुआ। मामला  पुलिस में भी पहुंचा। अब स्टेट रजिस्ट्रार के पास भी पहुंच रहा है। समाज के एक धड़े का दावा है कि उनके पास मजबूत साक्ष्य है इसलिए आज नहीं तो कल पुलिस को मामला दर्ज करना ही होगा। इस चुनाव में जमकर फर्जी वोट डाले गए हैं। कुल मिलाकर सैनी समाज के चुनाव में चौधर के लिए आपसी भाईचारा एवं सामाजिक एकता ताश के पत्तों की तरह बिखर गई जिसे संभालना नए प्रधान के लिए सबसे बड़ी चुनौती होगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *