अस्पताल में भर्ती हूं, इंजेक्शन लगने के बाद खबरें भेजता हूं
जबड़ा हिल गया है, ज्यादा नहीं बोल पाऊंगा…
रणघोष खास. सुभाष चौधरी
मीडिया में काम करने वालों की अपनी अलग वैचारिक, मानसिक, आर्थिक, सामाजिक दुनिया होती है। जिसमें कई तरह के उतार चढ़ाव कब आकर चले जाते हैँ इसका अहसास हर पल जन्म लेती घटना व सूचनाओं को पाठकों तक पहुंचाने की जुगत में महसूस नहीं होता। यह इंसानी समाज में अलग से ऐसी जमात है जो अपनी तकलीफों में भी पेशे के प्रति खुद ही जिम्मेदारी व जवाबदेही तय करती है।
हमें गर्व है कि दैनिक रणघोष की टीम में ऐसी मिशालें उदाहरण बनकर सामने आती हैं। बीते रविवार को दोपहर 12 बजकर 16 मिनट पर हमारे सहयोगी सुभाष चौधरी का फोन आया सर जिस हरियाणा रोडवेज से रेवाड़ी आ रहा था वह ट्रेलर से टकराकर दुर्घटनाग्रस्त हो गई है। जिसमें 13 से ज्यादा सवारियां घायल हो गई हैं। उसे भी गंभीर चोटें आई हैं। जबड़ा हिल गया है, ओर भी चोटें आई हैं। आप खबरें डालते रहना बात नहीं कर पाऊंगा। अभी अस्पताल में भर्ती हूं। इंजेक्शन लगाने के बाद कोशिश करता हूं कुछ खबरें डाल दूं, लैपटॉप ठीक है। हमारे साथी ने एक सांस में वह सबकुछ कह डाला जिसे सुनकर जिम्मेदारी-जवाबदेही इतरा रही थी। सुभाष पर ही अखबार को तैयार करने की जिम्मेदारी है। दो तीन घंटे बाद वाटसअप पर ही मैसेज करता रहा वह अखबार निकालने की पोजीशन में आ रहा है। बस आप खबरें भेजना जारी रखें। यहां बात सुभाष की नहीं उनके अंदर छिपे जज्बें एवं पेशे के प्रति समर्पण की है। वह चाहता तो इस घटना के बाद मोबाइल बंद कर सकता था। असमर्थता जाहिर कर देता। यह घटना उन लोगों के लिए सबक है जो अपनी जिम्मेदारी से बचने के लिए तरह तरह के बहानों का सहारा लेते हैं। एक दूसरे के समय को बर्बाद करते हैं। सरकारी महकमों में इसे बखूबी देखा जा सकता है। इस घटना के बाद बेशक हम एक अंतराल में पाठकों को समयअनुसार अपडेट खबरें नहीं दे पाए लेकिन इसी दरम्यान हमें सुभाष के इरादों व जुनुन से वह ऊर्जा मिल गईं जो आगे की परिस्थतियों से लड़ने की ताकत देगी। हमें उम्मीद है कि इस लेख के बाद पाठक हमें देरी से मिली खबरों की शिकायतों पर विराम लगा देंगे।