रणघोष खास. कोसली
कोसली क्षेत्र से कोरोना- ओमीक्रान वायरस खत्म हो चुका है। पिछले दो दिनों से खुल रहे प्राइवेट स्कूलों ने यह दावा किया है। हालांकि सरकार एवं प्रशासन की नजर में अभी भी यह वायरस फैला हुआ है इसलिए उनकी नजरों में शिक्षण संस्थाएं अभी बंद हैं। अब सवाल यह है कि अभिभावक किसे सही माने। अगर प्राइवेट स्कूल सरकारी नियमों को गलत ठहरा रहे हैं तो फिर सिस्टम कहां रह गया। दूसरा जिस तरह प्राइवेट स्कूलों की बसें अधिकारियों के कार्यालयों के पास से गुजर रही है। पता होने पर शिक्षा अधिकारी मौके पर जाकर स्कूल संचालकों को चेतावनी देकर छोड़ रहे हैं तो फिर पुलिस वाले बिना मास्क एवं भीड़ करने पर चालान क्यों कर रहे हैं।
वैसे देखा जाए तो कोरोना के नाम पर की जा रही कार्रवाईयां मजाक बनकर रह गई हैं। ऐसा लगता है कि मास्क एवं दो गज दूरी का नियम आमजन के लिए हैं। प्रभावशाली नेता, पदाधिकारी एवं रसूक रखने वालों पर यह नियम लागू नहीं होता। इसलिए क्षेत्र में कोई भी नेता कितनी ही भीड़ जुटा ले वहां प्रशासन की आंखें बंद हो जाती हैं। इस बारे में एसडीएम होशियार सिंह का कहना है कि पाबंदी होने के बावजूद प्राइवेट स्कूल खुल रहे हैं तो यह सरासर गलत है। हम जांच कर कार्रवाई करेंगे। उधर खंड शिक्षा अधिकारी रामअवतार ने कहा कि उनके पास दो स्कूलों की शिकायतें आई थी। मौके पर पहुंच उन्हें बंद कराया गया और चेतावनी देकर छोड़ दिया गया। अगर इसके बावजूद वे नहीं मान रहे हैं तो यह उनकी गलती थी कि उन्हें चेतावनी देकर छोड़ दिया। अब उन्हें कारण बताओ नोटिस भेजकर उचित कार्रवाई के लिए सीनियर अधिकारियों को लिखा जाएगा। पूर्व खंड शिक्षा अधिकारी जवान सिंह मेहरा का कहना है कि सरकार की तरफ से जारी गाइड लाइन का पूरी तरह से पालन करवाना ही अधिकारी का पहला कर्तव्य एवं पूरी तरह से जवाबदेही है। अगर स्कूल ही नियमों तोड़ेंगे तो वे बच्चों को कौनसा संस्कार सिखा रहे हैं यह सोचने वाली बात है। अनुशासन स्कूलों से आता है यह किसी को नहीं भूलना चाहिए।