क्षेत्रीय राजनीति पर विशेष:,तीन साल बाद होने वाले परिसीमन ने 2009 के घावों को हरा किया

गलती से हुडडा- चौटाला आ गए तो दक्षिण दक्षिण हरियाणा का अस्तित्व खत्म कर देंगे


 रणघोष खास. कोसली विधायक  लक्ष्मण सिंह यादव की कलम से

2009 में हुए परिसीमन में जिस तरह दक्षिण हरियाणा के वजूद को अपनी स्वार्थी राजनीति के तेजधार हथियार से तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुडडा ने जगह जगह से खत्म करने  का  दुस्साहस किया उसे यह इलाका कभी नहीं भूल सकता। इससे पहले पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला ने भी परिसीमन की आड़ में अपने राजनीति प्रतिद्धदिंयों को तहस नहस करने के लिए दक्षिण हरियाणा को खंडित करने की तैयारी कर ली थी। चौटाला ने पहले हुडडा को रोहतक से बेदखल करने के लिए इस विधानसभा सीट को ही खत्म करने का ड्राफट तैयार करवा लिया था। हुडडा जब सीएम बने तो उसने परिसीमन प्लान में रोहतक को बचाते हुए कोसली के टुकड़े कर जाटूसाना और साल्हावास को खत्म कर दिया। कायदे से जनसंख्या के हिसाब से यहां  हलके खत्म करने की बजाय नए बनने चाहिए थे। हुडडा ने भविष्य में दक्षिण हरियाणा से मजबूत नेतृत्व एवं दावेदारी को हमेशा के लिए कमजोर करने के लिए नांगल चौधरी से लेकर गुरुग्राम तक को पूरी तरह अलग अलग टुकड़ों में बांटने में सभी हदों को पार किया। 2009 में इसका पुरजोर विरोध भी हुआ। केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने कांग्रेस सरकार में मंत्री रहते हुए पीएम डॉ. मनमोहन सिंह के समक्ष भी आपत्ति दर्ज कराईं। डॉ. मनमोहन सिंह ने परिसीमन आयोग के चेयरमैन जस्टिस कुलदीप सिंह से बातचीत भी की थी। राव इंद्रजीत सिंह को भरोसा दिलाया था कि दक्षिण हरियाणा के अस्तित्व से कोई छेड़छाड़ नहीं  होगी लेकिन वहीं हुआ जिसका डर था।  सबकुछ सोची समझी साजिश के तहत इस इलाके के आपसी भाईचारे को खंडित करने में हुडडा अपने इरादे में कामयाब हो गए। काफी विरोध एवं आपत्ति दर्ज कराने के बावजूद कोई सुनवाई नहीं हुईं। 2009 में हुए परिसीमन का सबसे ज्यादा खामियाजा केवल दक्षिण हरियाणा ने भुगता। उस समय झज्जर, सोनीपत, भिवानी समेत कुछ जिलों में जहां क्षेत्रफल एवं आबादी के हिसाब से सीटों को कम ज्यादा करना था वहां कुछ नहीं किया। हमारे क्षेत्र की सीटों में मतदाताओं की संख्या सबसे ज्यादा है जबकि अन्य जिले जिस पर हुडडा अपना दाव चलाते आ रहे हैं वहां कम जनसंख्या के आधार पर सीटों को छेड़ा तक नहीं।  यह क्षेत्र की जनता को समझना होगा कि हुडडा परिवार किस हैसियत से दक्षिण हरियाणा में वोट मांगने की हैसियत व हिम्मत रखता है। साथ ही यह मंथन करना होगा। 2026 में नया परिसीमन होने जा रहा है। रोहतक संसदीय सीट से कोसली क्षेत्र की जनता पिछले दो चुनावों में दीपेंद्र हुडडा को भारी मतों से हराकर अपने अपमान और बदला लेती रही है। अब ओर अलर्ट रहने की जरूरत है। हुडडा किसी तरह 2024 के विधानसभा चुनाव में वापसी कर 2026 में होने वाले परिसीमन के तहत इस इलाके की सरदारी, सामाजिक परिवारिक संबंधों को खत्म करने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं। इसलिए सभी को अभी से अलर्ट रहना होगा। किसी भी सूरत में बहकावे में नहीं आना है। पिछले 9 सालों से भाजपा सरकार ने अलग अलग विकास की योजनाओं एवं नौकरियों में पारदर्शिता से दक्षिण हरियाणा के साथ अभी तक होते आ रहे भेदभाव के दागों को काफी हद तक धो दिया है। सरकारी विभागों में क्षेत्र एवं जाति के आधार पर जिस तरह नौकरियां बांटी गईं। उस पर रोक लगी है। अभी बहुत कुछ होना है। दक्षिण हरियाणा के जिलों के सरकारी विभागों में कर्मचारियों के पद इसलिए खाली रहते हैं क्योंकि यहां की स्थानीय भागेदारी बहुत कम है। इसलिए यहां कोई डयूटी ज्वाइन करता है तो वह कुछ दिन बाद किसी तरह तबादला कराकर चला जाता है। भाजपा सरकार की नौकरियों में पारदर्शिता की वजह से अंकुश लगा है लेकिन पूरी तरह  कंट्रोल में आने में समय लगेगा। इतना जरूर है कि भाजपा सरकार आने से पहले तक पानी के असमान बंटवारे को लेकर कोसली विधानसभा की सूखी नहरें जर्जर एवं खत्म हो गई थी। अब 125 करोड़ से ज्यादा की लागत से कोसली में नहरों का जाल बिछ चुका है। नहरे पानी से लबालब भरी रहती हैं। आने वाले दिनों में शायद ही कोई गांव बचेगा जो नहर से जुड़ा नहीं रहेगा। इसलिए 2026 में होने जा रहे परिसीमन को लेकर कांग्रेस की साजिशों समय रहते पर्दाफाश करने के लिए क्षेत्र का प्रतिनिधित्व मजबूत होना जरूरी है।

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