एम्स के डायरेक्टर गुलेरिया ने दी चेतावनी

कोरोना वायरस संक्रमण राजधानी दिल्ली में पिछले तीन दिनों से रिकॉर्ड तोड़ रहा और यह आंकड़ा अब रोजाना 5 हजार के पार जा पहुंचा है। इसके बाद यह सवाल उठने लगा है कि क्या दिल्ली में कोरोना वायरस की यह तीसरी लहर है? हालांकि, जानकार इस बात से इनकार कर रहे है और वे बताते है कि यह कोरोना का तीसरी नहीं बल्कि दूसरी ही लहर है जो एक बार फिर से बढ़ गई है।

दिल्ली में 29 अक्टूबर को 5739 नए कोरोना के मामले आए। इससे पहले, 28 अक्टूबर को 5763 नए मामले आए। यानी, पिछले दो दिनों में कोरोना के 5 हजार से ज्यादा मामले आए हैं।

एम्स के डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया ने कहा कि पूरे देश में कोरोना संक्रमण के मामले कम हुए हैं जबकि राजधानी दिल्ली ये मामले बढ़े हैं। ऐसे में उन्होंने कहा कि जब जरूरी हो तभी घर से बाहर निकले। रणदीप गुलेरिया ने कहा कि जिस तरह से दिल्ली में केस बढ़े हैं ऐसे में देश के बाकी हिस्सों में एक और लहर आ सकती है।

उन्होंने कहा कि सुबह कोशिश करें कि कम निकलें और जब धूप हो तभी घर से बाहर निकलें। लेकिन, जब भी निकलें तो मास्क जरूर लगाएं। गौरतलब है कि राजधानी दिल्ली और केरल समेत कुछ राज्यों में कोरोना वायरस के मामले काफी बढ़े हैं। जानकारों ने पहले ही यह अंदेशा जताया है कि बढ़ते प्रदूषण के साथ कोरोना और घातक हो सकता है और आने वाले दिनों में ठंड के चलते यह विकराल रूप ले सकता है। ऐसे में फिलहाल ऐहतियात की इसकी दवा है।

इससे पहले, प्लाज्मा थैरेपी को कोरोना मरीजों के लिए कारगर ना होने की बात कहने वाली आईसीएमआर के बयान पर एम्स के डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया ने कहा था कि यह कोई जादू की गोली नहीं है। कोरोना मरीजों को प्लाज्मा थेरेपी के फायदों और नुकसान के बारे में इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) की ऑब्जर्वेशन के विषय में दिल्ली एम्स के डायरेक्टर डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कहा था कि अभी यह कहना जल्दबाजी होगी, इसमें और डेटा को देखने की जरूरत है। 

गुलेरिया ने कहा था कि ICMR के अध्ययन में बड़ी संख्या में जिन मरीजों को प्लाज्मा दिया गया था उनमें पहले से ही एंटीबॉडीज थे। यदि आपके अंदर पहले से ही एंटीबॉडीज हैं तो इन्हें बाहर से देने से बहुत फायदा नहीं हो सकता है। डॉ. गुलेरिया ने कहा कि प्लाज्मा थेरेपी ने COVID-19 मृत्यु दर को कम नहीं किया है। प्लाज्मा थेरेपी कोई जादू की गोली नहीं है। हमें इसे वहीं देना होगा, जहां यह उपयोगी हो सकती है, बजाय इसके कि हर कोई इससे लाभान्वित हो। COVID-19 से हम जो सीख रहे हैं, वह यह है कि यदि प्लाज्मा थेरेपी सही समय हो तो इलाज उपयोगी हो सकती है

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