गेहूं की कटाई के बाद आंदोलन को लेकर किसानों का ये है प्लान, गर्मियों से बचने के लिए हो रहे ये उपाय

दिल्ली की सीमाओं पर किसानों  का आंदोलन अगले महीने से जोर पकड़ने वाला है। इन दिनों गेहूं की कटाई में व्यस्त पंजाब व हरियाणा के किसान कटाई पूरी होने पर आंदोलन को गति देने के लिए फिर से दिल्ली की सीमाओं के लिए कूच करेंगे। बंगाल और असम में भाजपा के खिलाफ चुनाव प्रचार में उतरे किसान संगठन नेताआंे की भी दिल्ली सीमाआंे से गैरमौजूदगी के चलते जनवरी की तुलना में 20 फीसदी किसान ही आंदोलन के लिए डटे हैं। मौर्चाें पर डटे इन किसानांे की अगली तैयारी भीषण गर्मी में भी आंदोलन को जमकर जारी रखने की है। इसके लिए किसानों ने दिल्ली के टिकरी,सिंघु और गाजीपुर बॉर्डर पर अस्थाई किसान निवास बनाने शुरू कर दिए हैं। इन अस्थाई किसान निवासों में टीवी, फ्रिज और एसी से लेकर तमाम जरुरत की सुविधाएं जुटा रखी हैं। भारतीय किसान यूनियन उगरांह के महासचिव सुखदेव सिंह कोकरीकलां के मुताबिक टिकरी बॉर्डर पर करीब 20 किसान िनवास तैयार किए गए हैं। अगले दो महीने में करीब 500 घर टिकरी बॉर्डर पर बनाने की तैयारी है ताकि गर्मियों में भी आंदोलन को सुचारू रूप से जारी रहे। 

 किसान निवास बनाए जाने के सवाल पर कोकरीकलंा का कहना है कि अगले एक हफ्ते में गेहूं की कटाई शुरु होने वाली है। इसलिए बॉर्डर से ज्यादातर ट्रैक्टर ट्रालियां लेकर किसान अपने गांवों को लौट रहे हैं। अभी तक ज्यादातर किसानों का आशियाना ट्रैक्टर ट्रॉली था इसलिए इनके जाने के बाद बचे किसानांे के रहने के लिए अस्थाई किसान निवास बनाए जा रहे हैं। करीब 25 हजार रुपए की लागत से बनाए जा रहे 20 फुट गुना 20 फुट के एक टिकाऊ फाइबर शीट के किसाान निवास में एसी और फ्रिज भी रखे जा रहे हैं। एक निवास पर कुल खर्च करीब 80,000 रुपए का है जो किसान संगठन एक दूसरे से चंदा जुटा कर पूरा कर रहे हैं। एक निवास में करीब 20 किसानांे के सोने की व्यवस्था है। बिजली के लिए जनरेटरों के अलावा साथ लगती कॉलोनी से भी बिजली ली जा रही है।  

कुछ ट्रॉलियों की छतों पर ितरपाल हटाकर फाइबर की शीट लगाई जा रही हैं ताकि इनमें भी कूलर या एसी फिट किए जा सकें। कृषि कानून के मसले को सुलझाने के लिए 12 दौर की बातचीत के बाद केंद्र से आगे की बातचीत बंद है। हालांकि केंद्र ने कृषि कानूनों को 18 महीनें के लिए टाले जाने की पेशकश किसानांे को थी जिस पर सहमति नहीं बन पाई। कृषि अर्थशास्त्री अशोक गुलाटी की अध्यक्षता में बनी िवशेषज्ञों की कमेटी के समक्ष भी किसान पेश नहीं हुए। केंद्र सरकार ने एक तरह से किसानांे को अपने हाल पर छोड़ दिया है। बंगाल समेत 5 राज्यांे में अगले महीने होने वाले विधानसभा चुनाव मंे किसान आंदोलन का क्या असर रहता है केंद्र को इस बात का इंतजार है। चुनाव नतीजांे से ही साफ होगा कि आंदोलनरत किसान केंद्र पर कितना दबाव बनाने में सफल रहे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *