रणघोष खास. वोटर की कलम से
नगर निकाय चुनाव में भाजपा- जेजेपी गठबंधन की अलग ही तस्वीर सामने आ रही है। धारूहेड़ा नगर पालिका में भाजपा के सीनियर पदाधिकारी टिकट नहीं मिलने पर निर्दलीय प्रत्याशी बनकर जेजेपी उम्मीदवार के खिलाफ मैदान में उतर आए हैं। ऐसा होने से भाजपा- जेजेपी वोटों का धु्व्रीकरण हो गया है। इससे किसको कितना नुकसान होगा यह रजल्ट से बता चलेगा। इतना जरूर है कि किसी भी प्रत्याशी के पास कोई मैनेजमेंट या विजन नहीं है। सभी एक दूसरे को हराने के लिए निजी सहानुभूति को अपनी ताकत बनाकर वोट मांग रहे हैं। नगर निकाय चुनाव में भाजपा- जेजेपी ने सिंबल पर चुनाव लड़ने का निर्णय लिया था। इसी आधार पर दोनों पार्टियों में सीटों के बंटवारे का गणित तैयार हुआ। रेवाड़ी- धारूहेड़ा में आकर यह गणित बिगड़ गया। पहले भाजपा रेवाड़ी नगर परिषद सीट पर चेयरमैन के साथ साथ कुल 31 वार्डों में अपने 26 पर अपने प्रत्याशी उतारना चाहती थी। जेजेपी ने 8 सीटें मांगी। बाद में वह पांच पर सहमत हो गईं। सूत्रों के अनुसार भाजपा कमेटी जेजेपी को वह वार्ड देना चाहती थी जहां उसके मजबूत उम्मीदवार नहीं थे। इन्हीं सीटों पर जेजेपी के पास भी जीतने वाले प्रत्याशी नहीं थे। लिहाजा आपस में सहमति नहीं बनी। चुनाव में मैसेज गलत नहीं चला जाए इसलिए तय हुआ कि धारूहेड़ा नगर पालिका की चेयरमैन एवं सभी 17 वार्डों पर जेजेपी ही अपने उम्मीदवार उतारेगी। भाजपा बाहर से समर्थन करेगी। पता चलते ही कई महीने से चुनाव की तैयारी कर टिकट मिलने की उम्मीद में बैठे भाजपा नेता राव शिवरतन जेलदार के बेटे शिवदीप ने खिलाफत कर दी। इसी तरह नए- नए भाजपा युवा मोर्चा के जिला अध्यक्ष बने संदीप बोहरा भी बगावत पर उतर आए। भाजपा के मनोनीत पार्षद रहे दिनेश राव भी मैदान में आ चुके हैं। इनके पिता ईश्वर सिंह मुकदम राव इंद्रजीत सिंह समर्थक के तौर पर जाने जाते हैं। तीनों अब निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। भाजपा के इन तीनों प्रत्याशियों का कहना है कि जेजेपी से जिस उम्मीदवार को उतारा गया है उसे धारूहेड़ा की जनता निजी तौर पर जानती तक नहीं है जबकि वे हर समय लोगों के बीच में रहते हैं। इतना ही नहीं 2019 के विधानसभा चुनाव में यहां से जेजेपी प्रत्याशी को धारूहेड़ा से 200 से ज्यादा वोट तक नहीं मिले। ऐसे में यह सीधे तौर पर धारूहेड़ा की जनता का अपमान है।
जेलदार परिवार से दो उम्मीदवार होने से होगा नुकसान
इस सीट पर शुरूआत से ही जेलदार परिवारों का दबदबा रहा है। यहां 50 प्रतिशत से ज्यादा बाहर से आकर यहां बसे लोगों के वोट है। सैकड़ों परिवार इन जेलदार परिवारों की बनाई दुकानें एवं घरों में किराएदार के तौर पर रह रहे हैं। ऐसे में स्वाभाविक है कि निजी रसूक का फायदा जेलदार परिवार को मिलता रहा है। दूसरा किसी भी छोटे- बड़े चुनाव में यह परिवार तमाम तरह के विरोधाभास के बाद भी पूरी तरह से एकजुट हो जाता है। इस बार स्थिति बदली है। हालांकि मान सिंह के पिता मंजीत जेलदार एवं नपा के पूर्व चेयरमैन राव इंदपाल सिंह एकजुट है बस शिवरतन परिवार अलग खड़ा हो गया है। अगर मतदान तक यही स्थिति रही तो इस सीट पर आपसी लड़ाई में अन्य में किसकी किस्मत चमक जाए। कुछ नहीं कहा जा सकता।
चुनाव में क्या बोलकर एक दूसरे के खिलाफ वोट मांगेंगे भाजपा- जेजेपी समर्थक
इस सीट पर भाजपा- जेजेपी पदाधिकरी एवं समर्थक क्या सोचकर वोट मांगेंगे। यही सोचकर भाजपा के कार्यकर्ता बजाय चुनाव में जोश दिखाने के खामोश नजर आ रहे हैं।
भाजपा हाईकमान अभी खामोश नजारा देख रहा है
अभी तक भाजपा-जेजेपी हाईकमान इन चुनाव को लेकर अभी तक खामोश है जबकि अपनी आधी अधूरी तैयारी के साथ मैदान में उतर चुके हैं। हालांकि दोनों दलों के लिए यह चुनाव पहला प्रयोग है। इसलिए किसी पर अनुशासहीनता को लेकर कोई बड़ी कार्रवाई होगी। यह समय बताएगा। इतना जरूर है कि रेवाड़ी सीट पर केवल भाजपा और धारूहेड़ा में सभी सीटों पर जेजेपी मैदान में नजर आएगी। यह आगे की राजनीति के लिहाज से बहुत बड़ा जोखिम है।