चुनाव शहर की सरकार…लोगों से मिलने में आजाद उम्मीदवारों की रफ्तार तेज, भाजपा- कांग्रेस- जेजेपी अभी रणनीति बनाने में ही बिजी

Nagar Nikay Chunav719230437_voterhelplinelogo-01.png.57b196191e8e2fc879c30ea60396c4b4रणघोष अपडेट. वोटर की कलम से


नगर निकाय चुनाव मतदान को महज 10 दिन बचे हैं। अभी तक रिपोर्ट के मुताबिक मजबूती के साथ आजाद उम्मीदवार के तौर पर खड़े प्रत्याशी मतदाताओं से मिलने में सबसे आगे चल रहे हैं। उन्होंने चुनाव का एलान होते ही समय रहते ही टीमों का गठन अपने अभियान को गति दी हुई है। उधर बड़ी मुश्किल से टिकट बंटवारे से बाहर निकलकर बाहर आई भाजपा और कांग्रेस और जेजेपी  अभी तक रणनीति बनाने में ही जुटे हुए हैं। यहां बता दे कि यह लोकतांत्रिक प्रणाली का सबसे छोटी ईकाई का चुनाव है जिसमें मतदाता एवं उम्मीदवारों का सीधा संपर्क रहता है। यहां राष्ट्रीय एवं राज्य स्तर के मुद्दे प्रभावहीन होते हैं और ना ही किसी सीनियर नेता के आगमन पर मतदाता अपना रूख बदलते हैं। इस चुनाव में उम्मीदवार की छवि, जातिगत समीकरण, प्रबंधन और मतदाताओं को समझने और समझाने  की ताकत अपना असर दिखाती है।

 नामाकंन भरने के बाद आज से पता चलेगा किस उम्मीदवार में कितना है दम

लगभग सभी उम्मीदवारों ने नामाकंन भरने की पहली प्रक्रिया पूरी कर दी है। गुरुवार से उम्मीदवारों की  प्रबंधन नीति, व्यवहार एवं मतदाताओं की समझ अपना काम करना शुरू कर देती है। चुनाव में मतदाता भी नेताओं से ज्यादा समझ और चतुराई रखता है। कहने को चुनाव विकास कार्यो के मुद्दे पर लड़ा जाता है हकीकत में इस तरह की चुनाव में आपसी जान पहचान, रिश्तेदारी, लेन देन, लाज- शर्म, गिला- शिकवे को दूर करने के तौर तरीके ही वोट में तब्दील होते हैं। इसमें साम- दंड- भेद ही राजनीति के सिद्धांत बनकर काम करते हैं। बस किसी तरह वोट उनके पक्ष में डल जाए जो हथकंडा अपनाया जाए वहीं आज की राजनीति की असल परिभाषा है।

उम्मीदवारों के सामने चुनौती अपने पराए की परख करना

चुनाव में अचानक प्रत्याशियों के इर्द गिर्द ऐसी लॉबी नजर आने लगती है तो रूटीन में कभी नजर नहीं आती लेकिन अचानक अपनापन दिखाकर उसे घेर लेती है। ऐसी स्थिति में उम्मीदवार इतना बेबस हो जाता  है कि वह चाहकर भी उन्हें अनदेखा नहीं कर सकता। जो असल में उसके अपने होते हैं वे पीछे होते चले जाते हैं और चुनाव मौसमी लोग सबसे आगे रहकर प्रत्याशी को अपने हिसाब से चलाते हैं। जो प्रत्याशी इस माहौल को समय रहते भांप लेता है वह स्थिति को कंट्रोल कर लेता है नहीं तो उसे आर्थिक एवं सामाजिक तोर पर भी चुनाव मे बड़ी कीमत चुकानी पड़ती है क्योंकि यह लॉबी हर जगह योजनाबद्ध तरीके से अपने इरादे को पूराने की तैयारी से आती है। कुल मिलाकर इस तरह के चुनाव प्रत्याशी की राजनीति की आधारशिला होते हैं जिसकी नींव मिलने वाले वोटों से पता चलती है। इसलिए चुनाव में मैनेजमेंट पर विशेष तौर से फोकस किए जाने लगा है। 

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