जापान पांच साल में भारत में 3.2 लाख करोड़ निवेश करेगा: मोदी

रणघोष अपडेट देशभर से

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि जापान अगले पांच वर्षों में भारत में 5 ट्रिलियन येन यानी 3.2 लाख करोड़ रुपये का निवेश करेगा। प्रधानमंत्री ने शनिवार देर शाम को नई दिल्ली में अपने जापानी समकक्ष फुमियो किशिदा के साथ एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में यह बयान जारी किया।किशिदा एक उच्च-स्तरीय प्रतिनिधिमंडल के साथ जापानी सरकार के प्रमुख के रूप में अपनी पहली भारत यात्रा पर आए हैं। वह 14वें भारत-जापान वार्षिक शिखर सम्मेलन के लिए दिल्ली पहुँचे हैं। संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में जो बयान जारी किया गया है उसको प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट किया है।दोनों नेताओं ने दिन में भारत-जापान वार्षिक शिखर सम्मेलन के दौरान नई दिल्ली के हैदराबाद हाउस में द्विपक्षीय वार्ता भी की। दोनों पक्षों ने एक अलग स्वच्छ ऊर्जा साझेदारी को मज़बूत करने के अलावा, कई क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग के विस्तार के लिए छह समझौतों पर हस्ताक्षर किए।इसी दौरान जापान के बड़े निवेश योजना को लेकर बयान जारी किया गया। भारत में जापान का निवेश लक्ष्य 2014 की निवेश प्रोत्साहन साझेदारी को आगे बढ़ाता है। प्रधानमंत्री मोदी ने साझा प्रेस कॉन्फ़ेंस में कहा, ‘दुनिया अभी भी कोविड-19 महामारी और इसके दुष्प्रभावों से जूझ रही है। वैश्विक आर्थिक सुधार की प्रक्रिया में अभी भी बाधाएँ हैं। भू-राजनीतिक घटनाएँ भी नई चुनौतियाँ पेश कर रही हैं।’ प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि भारत-जापान साझेदारी को गहरा करने से भारत-प्रशांत क्षेत्र में और वैश्विक स्तर पर भी शांति, समृद्धि और स्थिरता को बढ़ावा मिलेगा। पीएम मोदी ने कहा, ‘भारत और जापान एक सुरक्षित, भरोसेमंद, अनुमानित और स्थिर ऊर्जा आपूर्ति के महत्व को समझते हैं।’दोनों देशों के बीच आर्थिक और सांस्कृतिक संबंधों को बढ़ावा देने के तरीकों पर चर्चा करने के अलावा, दोनों नेताओं ने यूक्रेन पर रूसी आक्रमण सहित अन्य वैश्विक मुद्दों पर चर्चा की।

यूक्रेन पर रूसी आक्रमण गंभीर घटना: किशिदा 

यूक्रेन पर रूसी हमलों का ज़िक्र करते हुए जापानी पीएम किशिदा ने कहा, ‘बल का उपयोग करके यथास्थिति को बदलने के एकतरफा प्रयासों की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।’ जापानी पीएम ने कहा, ‘यूक्रेन पर रूस का आक्रमण एक बहुत ही गंभीर घटना है जिसने अंतरराष्ट्रीय नियमों और विश्व व्यवस्था की जड़ों को हिला दिया है। हमें बल के इस्तेमाल से किसी भी तरह के एकतरफा बदलाव को रोकने के लिए प्रतिबद्ध होना चाहिए।’

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