जीते तो बेटी और यदि हारे तो फिर पार्टी !

आरती राव पिता राव इंद्रजीत और जूही पिता राज बब्बर के लिए सारथी


कांग्रेस और भाजपा नेताओं से अधिक बेटियां ही अधिक सक्रिय


रणघोष खास. फतेह सिंह उजाला गुरुग्राम से 

आरती राव हो या फिर जूही बब्बर, दोनों ही राजनीतिक पारिवारिक पृष्ठभूमि से आने वाली बेटियां हैं। यह कहना भी ठीक है कि दोनों को राजनीति विरासत में मिली है। पिता राव इंद्रजीत राजनेता होने के साथ-साथ चैंपियन निशानेबाज रहे हैं। इस प्रकार से राज बब्बर राजनेता होने के अलावा अभिनेता भी रहे हैं । आरती राव भी निशानेबाज है और जूही बब्बर भी जानी-मानी अभिनेत्री है। आरती राव और जूही बब्बर दोनों ही आग उगलते आसमान के नीचे अपने-अपने पिता की जीत सुनिश्चित करने के लिए अपने-अपने तरीके से लोगों के बीच पहुंचकर समर्थन जुटा रही है।अभी तक के राजनीतिक चुनाव प्रचार पर गंभीरता से विचार किया जाए या देखा जाए तो यह बात कहने में कोई शंका नहीं होनी चाहिए कि जीत गए तो बेटी और यदि हार गए तो पार्टी ! सीधा और सरल भावार्थ यही है भाजपा के राव इंद्रजीत सिंह और कांग्रेस के राज बब्बर दोनों में से जो भी चुनाव जीतेगा, उसकी जीत का श्रेय कांग्रेस अथवा भाजपा पार्टी के मुकाबले बेटी को अधिक जाएगा। जानकारों का मानना है कि जब से कांग्रेस और भाजपा के उम्मीदवार के नाम की घोषणा हुई है, उसके बाद से ही लगातार बेटियों के द्वारा अपने-अपने पिता की जीत का रास्ता तैयार करने के लिए एक प्रकार से सारथी की भूमिका निभाते हुए लोगों के बीच जाने का सिलसिला बना हुआ है। भाजपा के राव इंद्रजीत के लिए बात की जाए तो अभी तक गुरुग्राम में राव इंद्रजीत के प्रचार के लिए राष्ट्रीय स्तर का नेता या स्टार प्रचारक नहीं पहुंच सका। दूसरी तरफ कांग्रेस के राज बब्बर के लिए समस्या कांग्रेस पार्टी का संगठन या फिर गांव देहात और खंड स्तर पर कांग्रेस पार्टी का संगठन अथवा पदाधिकारी नहीं होना है। राव इंद्रजीत सिंह के मामले में भी दुनिया की सबसे बड़ी पॉलीटिकल पार्टी होने की दावेदार भाजपा के पन्ना प्रमुख स्तर तक के कार्यकर्ता अथवा पदाधिकारी भी बीते दो दिन से ही सड़क पर रोड शो के माध्यम से अपना शक्ति प्रदर्शन अधिक करते हुए दिखाई दे रहे हैं। भाजपा के राव इंद्रजीत सिंह और कांग्रेस के राज बब्बर इन दोनों के सामने ही विभिन्न प्रकार की संगठनात्मक चुनौतियां बनी हुई है । इन्हीं सब बातों को देखते हुए जानकारों का साफ-साफ कहना है कि दोनों में से जो भी चुनाव जीतेगा, उसका सबसे अधिक श्रेय जीतने वाले उम्मीदवार के बेटी के खाते में ही जाएगा।