ऐसा लग रहा है भाजपा में राव वनवास काट रहे हैं कापड़ीवास बाहर रहकर भी आनंद में हैं
रणघोष खास. सुभाष चौधरी
कहने को रेवाड़ी विधानसभा से पूर्व विधायक रणधीर सिंह कापड़ीवास भाजपा में नहीं है। पिछले विधानसभा चुनाव में टिकट नहीं मिलने पर वे निर्दलीय उम्मीदवार मैदान में उतर गए थे। उस समय लगा कि कापड़ीवास की भाजपा में वापसी के सभी रास्ते बंद हो गए हैं लेकिन मौजूदा हालात में सबसे उम्रदराज यह नेता भाजपा के अंदर सबसे तेजी से दौड़ मार रहा है। रविवार को भाजपा के केंद्रीय संसदीय बोर्ड एवं चुनाव समिति में सदस्या बनाए जाने पर रेवाड़ी पहुंची डॉ. सुधा यादव का कापड़ीवास के समर्थकों ने जगह जगह पर जोरदार स्वागत किया। डॉ. सुधा यादव ने भी इस नेता को पूरा सम्मान देने में कमी नहीं छोड़ी। अमूमन वहीं तस्वीर नजर आई जो 17 अगस्त 2021 को शुरू हुई केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव की जन आशीर्वाद यात्रा में देखने को मिली थी। जब मंच के नीचे बैठे कापड़ीवास को देखकर भूपेंद्र यादव खुद नीचे उतरकर उन्हें माला पहनाईं। जिस तरह भूपेंद्र यादव की यात्रा में केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह के समर्थकों ने दूरियां बनाईं। उसी तरह डॉ. सुधा यादव के स्वागत कार्यक्रमों से राव समर्थक नजर नहीं आए। तेजी से बदल रहे राजनीतिक घटनाक्रम से साफ जाहिर हो रहा है कि भाजपा का शीर्ष नेतृत्व भी अपने उन पुराने कार्यकर्ताओं का दामन नहीं छोड़ना चाहता जो टिकट बंटवारे से असंतुष्ट होने पर दूर हो गए थे। यह कापड़ीवास की अपनी जमीनी ताकत का नतीजा है कि दिग्गज नेता आज भी उन्हें उतना ही सम्मान दे रहे हैं जो पहले मिलता रहा है। कापड़ीवास के साथ पूर्व मंत्री विक्रम यादव, निवर्तमान जिला पार्षद धर्मेंद्र खटाना, भाजपा युवा मोर्चा के पदाधिकारी, पार्टी के पदाधिकारी भी नजर आए।
रेवाड़ी जिला की सीमा में प्रवेश करते हुए कापड़ीवास ने अपने समर्थकों के साथ डॉ. सुधा यादव का स्वागत किया। उसके बाद धारूहेड़ा भगत सिंह चौक पर भी कापड़ीवास समर्थकों का हुजुम नजर आया। रेवाड़ी शहर में प्रवेश करते ही भाजपा कार्यालय में भाजपा पदाधिकारियों ने भाजपा नेत्री के सम्मान में सभा का आयोजन किया। भाजपा जिला अध्यक्ष हुकमचंद यादव, हरको बैंक के चेयरमैर अरविंद यादव, वीर कुमार यादव समेत अनेक पदाधिकारी मौजूद थे। उसके बाद कापड़ीवास के कार्यालय में भी उनके भतीजे मुकेश कापड़ीवास के नेतृत्व में डॉ. सुधा यादव का स्वागत हुआ। यहां गौर करने लायक बात यह है कि भाजपा के जिला अध्यक्ष से लेकर कुछ पदाधिकारियों ने कापड़ीवास के कार्यक्रमों से दूरियां बनाईं। यहां सवाल उठता है कि जब डा. सुधा भाजपा के शीर्ष नेतृत्व यानि संसदी बोर्ड की अह्म सदस्य है। उन्हें कापड़ीवास के कार्यक्रमों से परहेज नहीं उलटा उत्साहित है। जिला स्तर के पदाधिकारी किस कायदे व मानसिकता के आधार पर कापड़ीवास को भाजपाई नहीं मान रहे हैं। इसका मतलब यह समझा जाए कि भाजपा के भीतर भी कई तरह की भाजपा है जो नेता का चेहरा देखकर अपनी मौजूदगी दिखाती है। कापड़ीवास के कार्यक्रमों में भारतीय जनता यूवा मोर्चा के पदाधिकारियों की मौजूदगी देखने लायक थी। कुल मिलाकर केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव की यात्रा के बाद डॉ. सुधा यादव के दौरे पर जिस तरह पूर्व विधायक कापड़ीवास असरदार नजर आए। वह राव इंद्रजीत सिंह के दिलों दिमाग व समझ से बाहर है। राव ने 2019 के विधानसभा चुनाव में अपने समर्थक सुनील मुसेपुर को रेवाड़ी से भाजपा की टिकट दिलवाकर यह अहसास करा दिया था कि एक तरह से कापड़ीवास की राजनीति हत्या हो चुकी है राव आश्वस्त भी हो चुके थे कि उम्रदराज इस नेता की अब भाजपा में वापसी नहीं होगी लेकिन दो साल बाद ही कापड़ीवास जिस जोश के साथ राव पर लगातार हमला करते रहे और भाजपा शीर्ष नेतृत्व रेवाड़ी में उन्हें सम्मान देता रहा। उससे साफ जाहिर होता है कि राव 7 साल बाद भी भाजपा के मिजाज को समझ नहीं पाए हैं। या तो वे अपनी जमीनी ताकत की वजह से भाजपा में केवल अनुबंध के तौर पर आगे बढ़ रहे है या भाजपा के नियम कायदों ने उनके राजनीति अंदाज को पाबंद किया हुआ है। कुल मिलाकर डॉ. सुधा यादव भी अब राव के लिए 2024 के चुनाव से पहले चुनौती बनती नजर आ रही है।