दक्षिण हरियाणा में बेकाबू होते जा रहे हालात

किसानों का फूटा दर्द बोले क्या हमारी मौत के बाद बंटेगा मुआवजा


-सीएम, दो केंद्रीय मंत्री, एक राज्य मंत्री, विधायक,शीर्ष नेताओं से लगा चुके गुहार


कोई यह नहीं बता पा रहा किसानों का कसूर क्या है, जमीन पर कब्जा कर लिया मुआवजा दिया नहीं 


रणघोष अपडेट. रेवाड़ी. गुरुग्राम. चंडीगढ़


पिछले दो माह में रेवाड़ी जिले के 20 गांवों के किसान मुआवजा राशि को लेकर सीएम मनोहरलाल को ज्ञापन भेजकर, दो केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव, राव इंद्रजीत सिंह, राज्य के कैबिनेट मंत्री डॉ. बनवारीलाल, भाजपा संसदीय बोर्ड समिति की सदस्या डॉ. सुधा यादव, महामंडलेश्वर स्वामी धर्मदेव, पटौदी आश्रम, एचएसआईआईडीसी समेत अनेक भाजपा के बड़े पदाधिकारियों से मिल चुके हैं। किसानों का बस एक ही सवाल है कि उनका कसूर क्या है। सरकार ने अपनी मर्जी से उनकी जमीन को अधिग्रहण किया। उन्होंने विरोध नहीं किया। सरकार ने 2017-18 में अपने हिसाब से उनकी जमीन का मुआवजा दे दिया। कोई एतराज नहीं किया। सरकार ने उनकी जमीन रिकार्ड में अपने नाम करा ली। कोई आपत्ति नहीं की। सरकार ने कहा उनकी जमीन पर बने स्ट्रक्चर का मुआवजा भी 2020-2021 में मिल जाएगा। अवार्ड भी जारी कर दिया। जिला राजस्व अधिकारी 15 से अधिक बार मुआवजा को लेकर पत्र लिख चुका है।  इतना सबकुछ होने के बावजूद पिछले दो सालों से किसानों को स्ट्रक्चर का मुआवजा आज तक नहीं मिल पाया है। नतीजा अधिकांश किसान बर्बादी के कगार पर पहुंच चुके हैं। उन्होंने सरकार के भरोसे पर अन्य स्थानों पर ब्याज से राशि लेकर जमीन खरीद व्यवसाय शुरू कर दिया लेकिन स्ट्रक्चर का मुआवजा नहीं मिला।

सरकार ने यह जमीन एमआरटीएस परियोजना (Mass.rapid transit system and allies use and early project DMIC) के विस्तारीकरण हेतु  एचएसआईआईडीसी द्वारा जमीन अधिग्रहण की गई थी। जिसके तहत 2017- 2018 में इस परियोजना के तहत कुल मुआवजा 201 करोड़ 53 लाख 62 हजार 130 रुपए अवार्ड हुआ। जिसमें 120 करोड़ रुपए जमीन के नाम पर किसानों को जारी कर दिए। लेकिन उस पर बने स्ट्रक्चर का आज तक नहीं मिल पाया ।

  क्या हमारी मौत का इंतजार कर रही है सरकार, स्थिति स्पष्ट करें

पीड़ित राजेश कुमार पुत्र वेदराम, लीलावती,  सतपाल पुत्र हेतराम, राजकुमार पुत्र वेदराम, शंकुतला पुत्री भूप सिंह, जितेंद्र पुत्र ओमप्रकाश, उदयभानन पुत्री रामकिशन, सतपाल पुत्र हयातराम,  रविकांत सैनी पुत्री सूर्यआकाश सैनी, सुनरी पुत्री हरि सिंह, नारायण पुत्र जगदेव, ग्राम पंचायत, अनिल राव, उर्मिला पुत्री संतोष कुमार, सुमन सिंह, राजवीर, हरिप्रसाद, पुत्र किशनलाल, सुमित्रा पुत्री भूम सिंह, नरेंद्र पुत्र अमर सिंह, महेश प्रताप पुत्र महिपाल, रमेश चंद्र पुत्र हरि सिंह, गुलाब सिंह पुत्र महा सिंह किसानों ने कहा कि उन्हें सरकार ने किसी लायक नहीं छोड़ा। क्या ऐसे ही सरकारें चलती हैं। यहां बता दें कि भाकियू चढुनी के बैनर तले ये किसान जिला सचिवालय के सामने धरना प्रदर्शन करते हुए जिला उपायुक्त को ज्ञापन देकर आगाह कर चुके हैं कि किसान अब करो या मरो की स्थिति में आ चुका है। सरकार इसे अभी हलके ढंग से ले रही हैं। किसानों ने विडियो जारी कर आत्महत्या करने की चेतावनी तक दी है। इतना ही नहीं बावल व रेवाड़ी में विधायकों के समक्ष धरना  प्रदर्शन भी हो चुका है।

अपनी गलतियों को छिपाने का खेल तो नहीं 

इतना सबकुछ होने के बाद यह स्पष्ट हो रहा है कि सरकार इस प्रोजेक्ट को लेकर बुरी तरह फंस चुकी है। एचएसआईआईडीसी के कुछ अधिकारी व कर्मचारी नाम नहीं बताने की शर्त पर कह रहे हैं कि यह प्रोजेक्ट ही डी नोटिफाई हो गया है। इसलिए मुआवजा नहीं मिलेगा। अगर यह सही है तो सरकार ने रेवाड़ी जिले में 120 करोड़ रुपए जमीन अधिग्रहण के नाम पर बांट दिए उसकी रिकवरी किस आधार पर करेगी। दूसरा यह केंद्र का प्रोजेक्ट है सरकार ने तो महज एचएसआईआईडीसी को नोडल एजेंसी के तौर पर जमीन अधिग्रहण का जिम्मा सौंपा था। ऐसे में प्रोजेक्ट को रद्द होने सवाल ही पैदा नहीं होता। सबसे बड़ी बात किसानों के दावों को सही माने तो चंडीगढ़ में बैठे अधिकारी मुआवजा राशि पर कमीशन लेने के लालच में सिस्टम तय करते हैं। अगर उन्हें यह राशि मिल जाती है तो मुआवजा भी जारी हो जाता है नहीं तो सत्ता में बैठे नेताओं को अपने हिसाब से गुमराह राशि को ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है। यहां गौर करने लायक बात यह है कि किसानों ने अभी तक जितने भी नेताओं एवं मंत्रियों से मुलाकात की है। उसमें अधिकांश को इस प्रोजेक्ट की एबीसीडी तक नहीं पता। भाजपाई यह भूल गए कि 2009 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में दक्षिण हरियाणा मे मैट्रो ट्रेन लाने का वायदा किया था जिसका राजनीतिक फायदा भी हुआ था।

कमजोर नेतृत्व की वजह से हो रहा अन्याय

किसानों का आरोप है कि दक्षिण हरियाणा में कमजोर नेतृत्व की वजह से उन्हें इसकी कीमत चुकानी पड़ रही है। यह वो इलाका है जिसकी वजह से भाजपा सत्ता का सुख भोग रही है। उन्होंने कहा कि रोहतक- पानीपत- सोनीपत क्षेत्र के किसानों के लिए नेता उनकी ताकत बनते नजर आ रहे हैं हमारे यहां सत्ता का लालच उन्हें चुप करा देता है। कम से कम उन्हें स्थिति से तो अवगत कराए कि मुआवजा केा लेकर कहां चूक हो रही है। कौन गलत और सही है।  

आइए जाने इस प्रोजेक्ट की असल तस्वीर 

2011-12 में कांग्रेस की हुडडा सरकार के समय में यह प्रोजेक्ट आया था। इसकी डीपीआर रिपोर्ट के मुताबिक गुरुग्राम-  बावल एमआरटीएस अंडर डीएमआईसीडीसी के तहत यह प्रोजेक्ट लागू हुआ था। जिसके तहत 82 किमी लंबी मैट्रो रेल सुविधाओं का विस्तार होना था जिस पर 17 हजार 328 करोड़ खर्च होने थे। 39 स्टेशन बनाए जाने थे। इस प्रोजेक्ट को लाने का मकसद दिल्ली- मुंबई इंडस्ट्रीयल कॉरिडोर डेवलपपेंट कॉरपोरेशन (डीएमआईसीडीसी)से संबंधित था। हजारों- लाखों लोग के आवगमन के लिए यह रेल सुविधा जरूरी थी। रिपोर्ट के मुताबिक यह प्रोजेक्ट सीधे तौर पर इसके दायरे में आने वाले 31.90 लाख  लोगों को प्रभावित कर रहा था इसमें रोजगार से संबंधित लोगों की संख्या 16 लाख के आस पास थी। एचएसआईआईडीसी को जमीन अधिग्रहण के नाम पर सेक्शन 4, 6 अवार्ड के तहत दिसंबर 2016 तक 465 करोड़ रुपए खर्च किए जाने का प्रावधान तय हुआ था। इसी प्रोजेक्ट की संभावनाओं के चलते अनेक बिल्डरों ने हाउसिंग सोसायटियां खड़ी कर दी है। इतना ही नही जमीन के रेट भी बेहिसाब होते चले गए।

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