नगर निकाय चुनाव की ग्रांउड रिपोर्ट

चुनाव वहीं जीतेगा जिसके पास 10 दिन का टाइम मैनेजमेंट होगा,  मतदाता को चाहिए प्रत्याशी से सीधा संपर्क


रणघोष खास.  रेवाड़ी


चुनाव आयोग ने नगर निकाय चुनाव की जो समय सीमा तय की है उसमें चुनाव लड़ने वालों के दिमाग ने काम करना बंद कर दिया है कि वे पहले क्या करें या नहीं करें। 13 दिसंबर तक तो भाजपा ने प्रत्याशियों के नाम घोषित किए हैं। 27 दिसंबर को मतदान है और तीन दिन बाद रजल्ट आ जाएंगे। यानि महज 10 दिन प्रत्याशी के पास प्रचार प्रसार का समय मिला है। भाजपा से जुड़े उम्मीदवार पहले तो टिकट मिलने या नहीं मिलने की मंझधारा में फंसे हुए थे। इसलिए वे आमजन के पास खुलकर जा भी नहीं रहे थे। इसलिए उनकी परेशानी मैनेजमेंट की बन चुकी है। अगर उन्होंने समय पर ही हर काम की मैनेजमेंट पहले से बना रखी है तो वे 50 प्रतिशत तो इसी वजह से मजबूत हो जाएंगे। उधर जो उम्मीदवार बिना पार्टी के सिंबल का इंतजार किए अपने दम पर तैयारी में जुटे हुए थे और उन्होंने समय रहते अपना मैनजमेंट बना लिया था। उसका फायदा भी उन्हें मिलेगा। इसकी वजह मतदाता सीधे तौर पर इस चुनाव में प्रत्याशी से जुड़ाव चाहता है। वह चाहता है कि उम्मीदवार कम से कम उसे पहचान तो रखे। महज घर- घर जाकर चेहरे दिखाने से वोट इसलिए नहीं मिलेंगे क्योंकि यहां किसी लहर काम नहीं कर रही है। ऐसे में प्रत्याशी सोशल मीडिया को भी अपनी ताकत बना रहे हैं। इसके लिए जिसके पास मीडिया प्लेटफार्म पर मजबूत कंटेंट, पहुंच और बेहतर सर्विस होगी। उसे सीधे तोर पर इसका फायदा मिल सकता है। वर्तमान में ऐसा कोई उम्मीदवार नहीं जो टाइम मैनेजमेंट के आधार पर सोशल मीडिया के प्लेटफार्म पर अपने मतदाताओं तक आसानी से पहुंच रहा है। किसान आंदोलन सबसे बड़ा उदाहरण है जो सोशल मीडिया की बदौलत पूरे विश्व में चर्चित हो चुका है।

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