नगर निकाय चुनाव के बाद बन रही दिलचस्प तस्वीर

पूरा चुनाव नप चेयरमैन पर लड़ा गया, रजल्ट आया तो पार्षदों की चौधर पड़ रही सब पर भारी


रणघोष अपडेट. वोटर की कलम से


नगर निकाय चुनाव पूरी तरह से नगर परिषद चेयरमैन को लेकर फोकस रहा। चुनाव में  वार्ड में पार्षद पद के लिए पसीने बहा रहे उम्मीदवारों को कोई पूछने वाला कोई नहीं था। उनकी भूमिका महज इतनी थी कि वे किस चेयरपर्सन प्रत्याशी के साथ खड़े हैं, किसके पास क्या सिंबल है। सबकुछ दांव चेयरपर्सन की दावेदारी पर लगा हुआ था। जब रजल्ट आया तो सबकुछ बदल गया। भाजपा के सिंबल पर चेयरपर्सन बनी पूनम यादव के पास नगर परिषद हाउस चलाने के लिए पार्टी कैडर के तौर पर 7 पार्षदों की टीम है बाकी निर्दलीय है जो सीधे तौर पर भाजपा उम्मीदवारों को हराकर विजयी हुए हैं। ऐसे में दो तिहाई बहुमत के साथ ही चेयरपर्सन नप के किसी भी प्रस्ताव को पारित करा सकती है। यानि जिन पार्षदों को चुनाव में कोई पूछने वाला नहीं था वे अब पूरी तरह ताकतवर नजर आ रहे हैं। चेयरपर्सन बनी पूनम यादव को भाग्य ने पूरा आशीर्वाद दिया तो आने वाले दिनों में उनकी परीक्षा भी कम नहीं होगी। एक तरफ उन्हें अपने पार्टी के नेताओं एवं पदाधिकारियों की उम्मीदों को बनाए रखना है जो किसी सूरत में आसान नहीं है। सभी का अपना अपना निजी तौर पर एजेंडा है। दूसरा निर्दलीय पार्षदों के अंदाज एवं तेवरों को भी बर्दास्त करना है। हालांकि भाजपा ने निर्दलियों को अपने खेमें में शामिल करने की रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया है जो शुरूआती चरण में आसान नजर नहीं आ रही है। भाजपा  को छोड़कर बचे 24 निर्दलीय पार्षद बहुत दम खम से बनकर नगर परिषद हाउस पहुंचे हैं। इसमें आधे से ज्यादा पहली बार नप में कदम रख रहे हैं। इसलिए वे भी फूंक फूंक कर कदम रख रहे हैं। चेयरपर्सन की सबसे बड़ी ताकत यह है उनके पास सरकार का आशीर्वाद है। इसलिए वह अकेले नहीं उसके पीछे भाजपा संगठन भी ताकत के तोर पर खड़ा है। वह बेहतर तालमेल से कितना आगे बढ़कर शहर की जनता की उम्मीदों को पूरा करेगी यह उनकी असली परीक्षा होने जा रही है।

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