नगर परिषद चुनाव रेवाड़ी की तस्वीर

भाजपा इस जीत से सबक ले, 74 हजार में 48 हजार खिलाफ में वोट पड़े हैं


100 में से 35 प्रतिशत नंबर लेने वाला विद्यार्थी पास जरूर हो जाता है लेकिन टॉपर नहीं कहलाता। भाजपा इस चुनाव में पास हुई है अपने कामकाज से टॉपर बनना अभी बाकी है।


रणघोष खास. वोटर की कलम से


नगर परिषद रेवाड़ी चेयरमैन की सीट बेशक भाजपा ने जीत ली है लेकिन यह उसकी नहीं पूनम यादव के भाग्य की जीत भी है जो त्रिकोणीय मुकाबले में कमल बनकर खिल गईं। इस सीट पर कुल 74 हजार 268 लोगों ने अपने मत का प्रयोग किया था। जिसमें भाजपा ने 25 हजार 965 प्राप्त किए। यानि 48 303 वोट पार्टी के खिलाफ में पड़े जो देश- प्रदेश में भाजपा सरकार के लिए एक है। साथ ही कुल 31 वार्ड मेंबरों में भाजपा के महज 7 प्रत्याशी ही जीत पाए जिसमें अधिकांश की अपनी जमीनी ताकत थी।  लोकतांत्रिक व्यवस्था की चुनाव प्रणाली में बेशक एक वोट की हार-जीत भी मायने  रखती है लेकिन जनता जनमत क्या इशारा करता है। इसे समझना भी बहुत जरूरी है। पिछले विधानसभा चुनाव 2019 के आधार पर शहर में भाजपा को मिले वोट को देखकर चले तो भाजपा का जनाधार मजबूत होने की बजाय दिन प्रतिदिन कम होता जा रहा है। राजनीति जानकारों की माने तो अगर मुकाबला आमने-सामने होता तो तस्वीर कुछ ओर ही होती। यह शहरी निकाय का सबसे छोटा और जड़ों को मजबूत ओर हिलाने वाला चुनाव होता है जो आसानी से बहकता नहीं है। आमतौर पर विधानसभा एवं लोकसभा चुनाव में व्यक्ति विशेष या मुद्दे की लहर अपना असर डालती है। महज 15 दिन के इस चुनाव में भाजपा बीच बीच में झटके खाती रही तो वह संभलती भी रही। यहां सीनियर नेताओं का समझदारी दिखाना भी पूनम यादव को ताकत दे गया। मसलन हाईकमान ने समय रहते पूनम यादव को भाजपा की प्रतिष्ठा से जोड़ दिया। जिसमें हार-जीत के लिए किसी व्यक्ति विशेष की जवाबदेही खत्म हो गईं। बुधवार सुबह जब पहला राउंड शुरू हुआ तो लगा कि भाजपा की सीधे तौर पर तीसरी पोजीशन की शुरूआत हो गई है। इसकी वजह भी चारों तरफ से आ रहे शोर से महसूस की जा रही थी। जब रजल्ट के राउंड चलने शुरू हो गए तो तस्वीर कुछ ओर ही नजर आ रही थी। उपमा यादव- विक्रम यादव बजाय भाजपा को नुकसान पहुंचाने के खुद ही एक दूसरे को झटका देते नजर आए। भाजपा के वोट बैंक के बिखरने की जो आंशका की जा रही थी वह काफी हद तक कमजोर साबित हुईं। टिकट बंटवारे एवं कार्यप्रणाली से अंदरखाने खफा चल रहे भाजपा के एक धड़े ने पार्टी का प्रचार करने की बजाय खुद को खामोश कर लिया। यह खामोशी भी भाजपा के लिए फायदेमंद रही। कुल मिलाकर भाजपा इस जीत पर खुशी मनाए लेकिन सबक भी ले जनता का भरोसा जीतने के लिए अभी कुछ मेहनत करने की जरूरत है। 100 में से 33 प्रतिशत नंबर लेने वाला विद्यार्थी पास जरूर हो जाता है लेकिन टॉपर नहीं कहलाता। भाजपा इस चुनाव में पास हुई है अपने कामकाज से टॉपर बनना अभी बाकी है। 

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