‘नरक जैसा’ है यह एक्सोप्लैनेट? पृथ्‍वी को भेज रहा रहस्यमय संकेत, क्‍या है इनका मतलब? वैज्ञानिकों ने किया डिकोड

सुपर-अर्थ एक्सोप्लैनेट, ’55 कैनक्री ई’, 2004 में अपनी खोज के बाद से लंबे समय से खगोलविदों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. पृथ्वी के काफी करीब स्थित इस चट्टानी एक्सोप्लैनेट का आकार हमारे ग्रह से लगभग आठ गुना अधिक है. खासबात यह है कि यह रहस्यमय संकेत उत्सर्जित कर रहा है. यही वजह है कि बीते लगभग दो दशकों से इस एक्‍सोप्‍लैनेट ने वैज्ञानिकों को भ्रमित कर रखा है. एक हालिया अध्ययन ने अब इन संकेतों के रहस्य का समाधान प्रस्तावित किया है. जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप (JWST) की मदद से यह हो पाया है. इसे अंतरिक्ष में लॉन्च किया गया अब तक का सबसे शक्तिशाली और सबसे जटिल टेलीस्कोप माना जाता है.

लाइव साइंस की रिपोर्ट के अनुसार, लगभग 20 सालों के बाद, वैज्ञानिकों के पास अंततः इस खगोलीय घटना के लिए एक असाधारण व्याख्या है. उनका अनुमान है कि ज्वालामुखीय गतिविधि और वायुमंडल के गायब होने की चक्रीय परस्पर क्रिया ग्रह के अजीब व्यवहार के लिए जिम्मेदार हो सकती है. जबकि चरम स्थितियों ने स्पष्टीकरणों को खारिज कर दिया है, जो अधिक हैरान करने वाला है वह है पृथ्वी को अपने मूल तारे के साथ आकाशीय नृत्य के दौरान ग्रह से प्राप्त होने वाले पारगमन संकेत हैं. सितंबर में एस्ट्रोफिजिकल जर्नल लेटर्स में स्वीकार किए गए एक पेपर में यह बताया गया.

’55 कैनक्री ई’ पर क्‍यों निकलती है गैस?
कभी-कभी, जब ’55 कैनक्री ई’ अपने तारे के पीछे छिप जाता है, तो ग्रह से कोई स्पष्ट प्रकाश नहीं निकलता है, जबकि अन्य समय में, एक स्पष्ट दृश्यमान प्रकाश संकेत स्पष्ट हो जाता है. इन्फ्रारेड स्पेक्ट्रम में, ग्रह अलग-अलग तीव्रता के साथ लगातार एक संकेत प्रदर्शित करता है. नए अध्ययन में, शोधकर्ताओं का मानना है कि ग्रह की अपने तारे से निकटता एक चक्रीय घटना को ट्रिगर करती है, जो समय-समय पर गैस निकलने की घटनाओं का कारण बनती है.

क्‍यों होते हैं ज्‍वालामुखी विस्‍फोट?
शोधकर्ताओं का अनुमान है कि इसके तारे की अत्यधिक गर्मी ज्वालामुखी विस्फोट और थर्मल वेंट गतिविधियों का कारण बनती है, जो वायुमंडल में कार्बन युक्त तत्वों को उगलती है. ग्रह की अत्यधिक गर्मी के कारण, ये अंततः नष्ट हो जाते हैं, जिससे आकाशीय पिंड तब तक बंजर रहता है जब तक कि गैस उत्सर्जन चक्र एक बार फिर से शुरू नहीं हो जाता.

क्‍या है कंपन का कारण?
उनका अनुमान है कि वायुमंडल उत्पन्न करने के ग्रह के प्रयासों और उसके तारे से विकिरण और सौर हवा के निरंतर हमले के बीच नाजुक संतुलन एक अनिश्चित कंपन का कारण बनता है. ग्रह के चरण, वायुमंडल के साथ और उसके बिना, सालों से देखे गए अनियमित संकेतों की व्याख्या कर सकते हैं. चूंकि यह परिकल्पना परीक्षण की प्रतीक्षा कर रही है, जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप (JWST) 55 कैनरी ई के रहस्य को गहराई से जानने का एक आशाजनक अवसर प्रस्तुत करता है.

 

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