पंचायतों का कार्यकाल पूरा होने के बाद गावों में पंचायती भूमि पर बढ रहे अवैध कब्जे

अधिकारियों की ओर से नहीं उठाए जा रहे सकारात्मक कदम


 प्रदेश में पंचायतों का कार्यकाल पूरा होने के बाद गावों में धड़ल्ले से अवैध कब्जे हो रहे हैं। अवैध कब्जेधारियों को रोकने-टोकने वाला कोई नहीं है। जिससे गांव की फिरनी, परस, धर्मशाला सहित विभिन्न क्षेत्रों में कब्जे होते दिखाई देने लगे हैं। निवर्तमान सरपंच ग्रामीणों को नोटिस तक देने में असमर्थ हैं वहीं डीडीपीओ, बीडीपीओ व ग्राम सचिव कोई दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं। उनके नकारात्मक रवैये के कारण अधिकांश गावों में पंचायती भूमि पर कब्जे बढ रहे हैं। जिनसे रास्ता तक अवरुद्ध हो रहा है। अब इन कब्जों पर आसानी से अंकुश लग सकता है वहीं बाद में वीसीएल के केस के बाद भी लंबे समय तक नहीं हट पाते। कनीना खंड के 55 गावों में वीसीएल के सैंकडों केेस वभिन्न अदालतों में विचाराधीन हैं।  

अवैध कब्जे होने से गावों में किये जाने वाले विकास कार्य प्रभावित होते हैं। अधिकांश गावों में मार्ग अवरुद्ध होने से परेशानी बढ रही है। अधिकारियों की बेरुखी के कारण पंचायती भूमि पर अवैध कब्जे तेजी से बढ रहे हैं। कब्जेधारियों की ओर से लोहे की तार बाड़ के अलावा पक्की तामीर खड़ी कर कब्जे किये जा रहे हैं। पंचायतों के भंग होने के बाद सरपंच व पंचायत सद्स्य निष्क्रिय बन गए हैं। वोट की राजनीति के पीछे वे उन्हें कब्जा न करने की बात कहने तक की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे। खंड विकास एवं पंचायत अधिकारी की ओर से 

ऐसे ग्रामीणों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। जिससे अवैध कब्जों की संख्या बढती जा रही है। कनीना के बीडीपीओ की ओर से इस दिशा में तनिक भी कार्रवाई नहीं की गई है। जिसके चलते कब्जेधारियों के हौंसले बुलंद हैं। दिन-रात वे अपने कार्य को अंजाम दे रहे हैं।

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