पाकिस्तान: चीफ़ जस्टिस ने किया तोड़े गए हिंदू मंदिर का उद्घाटन

पाकिस्तान में बीते साल हिंदू संत की समाधि और मंदिर पर हुए हमले का मामला ख़ासा सुर्खियों में रहा था। इसलिए कि इस मामले का वहां की सुप्रीम कोर्ट के चीफ़ जस्टिस गुलज़ार अहमद ने स्वत: संज्ञान लिया था और मंदिर को फिर से तामीर करने का आदेश दिया था। मंदिर में कुछ कट्टरपंथियों ने तोड़फोड़ की थी। मंदिर पर हमले का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। वीडियो में सैकड़ों की भीड़ हिंदू संत की समाधि और मंदिर पर आगजनी करती दिखी थी। यह घटना उत्तर-पश्चिमी ख़ैबर पख्तूनख़्वा के करक जिले में हुई थी। यहां के टेरी गांव में परमहंस महाराज की समाधि है। घटना को लेकर पाकिस्तान के हिंदू समुदाय में तीख़ी प्रतिक्रिया हुई थी। कराची में हिंदू समुदाय के लोगों ने घटना के ख़िलाफ़ प्रदर्शन किया था।परमहंस महाराज को पाकिस्तान की हिंदू आबादी बहुत मानती है। हालांकि इस इलाक़े में हिंदू आबादी नहीं रहती है लेकिन उनकी समाधि पर हिंदू आते रहते हैं। 1947 में भारत के विभाजन से पहले ही संत परमहंस की मृत्यु हो चुकी थी। इससे पहले भी 1997 में इस समाधि पर हमला हुआ था। अब यह मंदिर और समाधि एक बार फिर से चर्चा में है। इसकी वजह भी चीफ़ जस्टिस गुलज़ार अहमद ही हैं। गुलज़ार अहमद दिवाली के मौक़े पर आयोजित एक कार्यक्रम में सोमवार को इस मंदिर में पहुंचे और इसका उद्घाटन भी किया। चीफ़ जस्टिस ने मंदिर पर हमले के बाद यह आदेश भी दिया था कि मंदिर में जो नुक़सान हुआ है, उसकी भरपाई हमलावरों से ही की जाए। उन्होंने इस हमले को पाकिस्तान के लिए अंतरराष्ट्रीय शर्मिंदगी की वजह बताया था। इस मंदिर का जब फिर से उद्घाटन हुआ तो चीफ़ जस्टिस गुलज़ार अहमद के वहां पहुंचने से पाकिस्तान के हिंदू समुदाय में बेहद ख़ुशी देखी गई। इससे उस मुल्क़ की हिंदू बिरादरी के बीच यह संदेश गया है कि पाकिस्तान में इंसाफ़ देने वाला शीर्ष इदारा उसके साथ खड़ा है।

‘हिंदुओं को भी बराबर हक़’

कार्यक्रम में चीफ़ जस्टिस ने कहा कि पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने हमेशा से ही अल्पसंख्यकों के हक़ों की हिफ़ाजत के लिए क़दम उठाए हैं और वह आगे भी ऐसा करता रहेगा। उन्होंने कहा कि मुल्क़ के आईन के मुताबिक़, हिंदुओं को भी बाक़ी मज़हबों के लोगों के बराबर हक़ हासिल हैं और किसी को यह हक़ नहीं है कि वह किसी समुदाय के मज़हबी स्थल को नुक़सान पहुंचाए। हिंदू समुदाय की ओर से चीफ़ जस्टिस को एक पगड़ी और डिजिटल क़ुरान भेंट की गई। पाकिस्तान हिंदू काउंसिल ने उन्हें इस कार्यक्रम में बुलाया था। इस मौक़े पर सिंध और बलोचिस्तान से बड़ी संख्या में हिंदू समुदाय के लोग यहां पहुंचे। पाकिस्तान हिंदू काउंसिल के संरक्षक और सांसद रमेश कुमार वंकवानी ने इसके लिए चीफ़ जस्टिस का आभार जताया। उन्होंने कहा कि इमरान ख़ान सरकार भी चार पुराने एतिहासिक मंदिरों का उद्घाटन करने जा रही है और इससे दुनिया में पाकिस्तान की छवि बेहतर होगी। निश्चित रूप से किसी भी मुल्क़ में अल्पसंख्यकों के हक़ों की हिफ़ाजत करना वहां की हुक़ूमत का काम है। पाकिस्तान के चीफ़ जस्टिस ने यह क़दम उठाकर यह संदेश दिया है कि वह पाकिस्तान की छवि को सुधारना चाहते हैं।

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