पिताजी का काम छूट गया तो मां मजदूरी कर हमें पढ़ाती रही, वह हमारी खुशी को ही अपना मान लेती है

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राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय बावल की छात्राएं बता रही हैं


अपने माता-पिता के जीवन से जुड़ी संघर्ष की कहानियां


WhatsApp Image 2021-04-04 at 6.24.39 PMरणघोष खास. वर्षा की कलम से

 


मेरो नाम वर्षा है। स्कूल में 10 वीं की छात्रा हूं। पिता का नाम रूप सिंह एवं माताजी मीना देवी है। मेरी मम्मी 8 वीं तक ही स्कूल जा पाई। मामाजी बीमार रहते थे। नाना- नानी ने किसी तरह मेहनत से जुटाए पैसो से मम्मी की शादी की। शादी के एक साल बाद नानी चल बसी। पिताजी का भी काम छूट गया और वे घर में रहने लगे। घर की माली हालत बिगड़ती जा रही थी। मम्मी सुबह जल्दी उठकर घर का काम करती। हमारा  खाना बनाती और काम पर निकल जाती। हमें याद है कि बिजली बिल नहीं भरने पर घर पर बिजली अधिकारियों ने छापा मारकर 21 हजार रुपए का जुर्माना कर दिया था। मां ने किसी तरह इधर उधर से उधार लेकर उसे भरा।  मेरे दो भाई है। मेरे पिताजी भी दो भाई है। जमीन बंटवारा में उन्हें नए सिरे से घर बनाना पड़ा। मेरे परिवार में बहुत से ऐसे घटनाक्रम हुए जिसका माता-पिता ने डटकर सामना किया।  जीवन में पहली बार अपने परिवार और माता-पिता के जीवन को इतने करीब से जानने का अवसर मिला। यह हमारे जीवन में बदलाव की असल शुरूआत है। अभी तक ऐसा जीवन जी रहे  थे जिसमें अभी तक बहुत कुछ छिपा हुआ था। इसके लिए मै अपने शिक्षकों, प्राचार्य अशोक कुमार जी एवं दैनिक रणघोष समाचार पत्र का आभार जताती हूं।

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