पीईबी की नई टीम गठन को लेकर घमासान, अलग अलग धड़े बने, मीटिंगों का दौर जारी, इस बार आसान नहीं है राह

 रणघोष खास. सुभाष चौधरी की रिपोर्ट


शहर की सबसे प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थान पब्लिक एजुकेशन बोर्ड के तहत आने वाली चार प्रमुख संस्थाओं में नई कार्यकारिणी गठन को लेकर जबरदस्त घमासान खड़ा हो गया हे। पहली बार कॉलेजियम सिस्टम से नियुक्त हुए 70 सदस्य मिलकर इस टीम का गठन करेंगे। मैनेजमेंट में पद को लेकर सभी तरह के हथकंडे अपनाए जा रहे हैं। कोई जाति का कार्ड खेल रहा है तो कोई किसी ना किसी का प्रभाव लेकर अपनी भूमिका को अह्म बना रहा है। इन सबके बीच एक आवाज कॉमन तौर पर तेजी से उठ रही है कि नई टीम की कमान युवाओं को सौंपने का समय आ गया है। उम्र दराज सदस्यों को मार्गदर्शनक मंडल में शामिल कर उनके अनुभवों का लाभ लिया जाए। हालांकि इस पर अलग अलग कारणों से सहमति नहीं बनी हैं। कई सालों से इन शिक्षण संस्थाओं की जिम्मेदारी निभाते आ रहे वरिष्ठ सदस्यों का कहना हे कि उम्र तब आगे आती हैं जब मनो मस्तिक कमजोर होने लगे। क्षमता का आकलन होना चाहिए ना की उम्र का।  

 मंगलवार शाम को अलग अलग स्थानों पर दो गुप्त मीटिंग हुईं। दिन में अग्रवाल मैटल पर इस बोर्ड के सबसे सीनियर सदस्य इकठ्‌ठा हुए। जिसमें समाजसेवी आनंदस्वरूप डाटा, ब्रजलाल गोयल, अशोक सोमाणी, डीके जैन, सतेंद्र प्रसाद टपकड़ेवाला, पूर्णचंद्र भट्‌टेवाला, डीके जैन, चौधरी शीशराम विशेष तौर से शामिल थे। हरको बैंक के चेयरमैन अरविदं यादव ने सभी को एकजुट करने का प्रयास किया था लेकिन युवा प्रधान को लेकर आपस में सहमति नहीं बनने से मीटिंग का एजेंडा नहीं चला। अरविंद यादव, अशोक सोमाणी, चौधरी शीशराम, डीके जैन ने कहा कि युवाओं को आगे लाने का प्रयास करना चाहिए। इस पर आनंद स्वरूप डाटा, सतेंद्र प्रसाद टपूकड़ेवाला, पूर्णचंद्र भट्‌टेवाला अलग अलग वजहों से इस पर सहमत नहीं थे। ब्रजलाल गोयल एवं एडवोकेट रजनीकांत सैनी तटस्थ भूमिका में नजर आए। मीटिंग के दौरान कुछ समय के लिए तनाव की स्थिति भी बन गईं। बाद में मीटिंग बिना किसी दिशा- दिशा के सपंन्न हो गईं। उधर शहर के आजाद चौक स्थित बिल बैरी होटल में निर्वाचित हुए कॉलेजियम के एक धड़े की डीनर पार्टी हुईं जिसमें भी युवाओं को आगे लाने को लेकर चर्चा हुई लेकिन यहां भी कोई सहमति नहीं बनी। इस मीटिंग की खास बात यह रही ही इसमें जीतने वालों से ज्यादा हारने वाले ज्यादा शामिल हुए। इस मीटिंग में वो लोग भी शामिल हुए जो इस चुनाव के विरोध में कोर्ट मे केस दायर कर चुके हैं।

 इस बार नई कार्यकारिणी बनने की राह आसान नहीं

पीईबी के इतिहास में पहली बार नई कार्यकारिणी को कई तरह की जटिल चुनौतियां सामने आ गई हैं। इससे पहले चुनाव में दो धड़ों में एक जीत दर्ज कर अपने हिसाब से प्रबंधन समिति का गठन कर लेते थे। इसमें आपसी भाईचारा भी बना रहता था। इस बार तस्वीर एकदम उलट है। पिछले चार सालों में इन शिक्षण संस्थाओं को चलाते आ रहे सीनियर सदस्यों पर अलग अलग वजहों से मामले दर्ज करा दिए गए। तकनीकी खामियों को धांधलेबाजी बताकर इसकी एडीसी स्तर पर जांच कराई गईं। जिस वजह से इन संस्थाओं की शाख को काफी नुकसान पहुंचा है। इसी वजह से इन संस्थाओं पर जिला प्रशासन को प्रशासक नियुक्त करना पड़ा जो अपनी कार्यप्रणाली की वजह से खुद विवादों में रहे। कॉलेजियम सदस्यों के चुनाव की प्रक्रिया भी पहली बार शुरू हुईं। एक कॉलेजियम में 15 से 20 सदस्यों के बीच एक का चयन होना था। यहां भी जीत के लिए सालों पुराना भाईचारा दांव पर लगा नजर आया। कुल मिलाकर इस बार नई कार्यकारिणी का गठन आपसी भाईचारे से कम एक दूसरे को पीछे धकेलते और नीचा दिखाते हुए ज्यादा नजर आ रहा है।

नई प्रबंधन कार्यकारिणी की प्रक्रिया शुरू

पीईबी के चुनाव एवं नई कार्यकारिणी को लेकर नियुक्त किए गए प्रशासक डॉ. कमलेश कुमार ने नई कार्यकारिणी गठन को लेकर शैडयूल जारी कर दिया है। जिसके अनुसार 8 अप्रैल को निर्वाचित कॉलेजियम सदस्य अपना नामाकंन जमा करेंगे। उसी दिन उनकी जांच होगी। 9 अप्रैल को वापसी की तिथि तय हुई है और इसी दिन सदस्यों की सूची का प्रकाशन कर दिया जाएगा। 11 अप्रैल को मतदान प्रक्रिया होकर शाम को रजल्ट घोषित हो जाएगा।

हमें पद की लालसा नहीं लेकिन जिम्मेदारी से पीछे नहीं हटेंगे

 पीईबी पर कई सालों से प्रधान एवं अन्य महत्वपूर्ण पदों की जिम्मेदारी निभाते आ रहे सतेंद्र प्रसाद टपूकड़ेवाले एवं पूर्णचंद भट्‌टेवाला ने कहा कि उन्हें पद की लालसा नहीं है लेकिन जिम्मेदारी मिलने पर वे पीछे नहीं हटेंगे। उन्होंने कहा कि कुछ लोग युवा शक्ति को आगे लाने की बात कर रहे हैं। इसमें बुरा कुछ नहीं बस मंशा साफ होनी चाहिए। हमारा मानना है कि किसी भी संस्थान को चलाने के लिए क्षमता का आकलन होना चाहिए ना कि आयु का। वे जिम्मेदारी निभाने वालों में हैं ना कि भागने वालों में हैं।

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