पूर्व विधायक रणधीर सिंह कापड़ीवास ने खोला 2014 में टिकट मिलने का राज

2014 के चुनाव में राव ने टिकट कटवाने में कोई कसर नहीं छोड़ी


टिकट दिलवाने का उनका दावा सफेद झूठ के अलावा कुछ नहीं


रणघोष खास. सुभाष चौधरी

केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने कुछ दिन पहले हरियाणा तक के पत्रकार राहुल यादव से बातचीत में दावा किया था 2014 के विधानसभा चुनाव में रेवाड़ी सीट से रणधीर सिंह कापड़ीवास को टिकट उनकी बदौलत मिली थी। 2019 में उन्होंने कापड़ीवास का विरोध किया था। इस बयान पर क्षेत्र की सियासत सच ओर झूठ की पड़ताल पर गरमा गई है। कापड़ीवास ने पहली बार पूरे दावे के साथ खुलासा किया की 2014 में राव उन्हें टिकट दिलाने में नहीं पूरी तरह से कटवाने में सबसे आगे रहे। उन्हें यह टिकट ऐसे घटनाक्रम से मिली जिसे बताना अब जरूरी हो गया है।

 कापड़ीवास की जुबानी ऐसे मिली 2014 की टिकट

 कापड़ीवास की माने तो 2014 के विधानसभा चुनाव में हरियाणा के अधिकांश सीटों पर उम्मीदवारों का एलान हो चुका था। प्रदेश अध्यक्ष प्रो. रामबिलास शर्मा व प्रदेश प्रभारी जगदीश मुखी थे। केंद्रीय मंत्री अमित शाह को महेंद्रगढ़ में एक जनसभा को संबोधित करने के लिए आना था। अमित शाह को कुछ देर के लिए धारूहेड़ा रोकना पड़ा। उस समय केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह, डॉ. सुधा यादव, केंद्रीय मंत्री कृष्णपाल गुर्जर समेत अनेक सीनियर नेता उनके साथ थे। उस दरम्यान उनके पिता श्योताज सिंह का निधन हो गया था। इसलिए वे इधर उधर नहीं जा सकते थे। कृष्णपाल गुर्जर व डॉ. सुधा यादव संवेदना व्यक्त करने घर आ गए। अगले दिन बुधवार होने पर उन्होंने भाजपा के चार सीनियर नेताओं से मिलने की ठानी। पहले डॉ.  रामबिलास शर्मा से मिले। पंडिज जी ने कहा कप्तान अजय सिंह यादव भाजपा में आने की कह रहे हैँ। टिकट तो उसे ही देनी पड़ेगी। मैने कहा वह भाजपा व कांग्रेस में दोनों जगह से हार रहा है। जनता की उसके प्रति गहरी नाराजगी है। पंडित जी ने कभी राव नरबीर सिंह का नाम सुझाया तो कभी डॉ. सुधा यादव। मेरा जिक्र तक नहीं किया। मै साफ बात कहकर आ गया कि पिछले 20 सालों से भाजपा में ऐसे ही नहीं बिताए चुनाव तो लड़ना ही है। इसके बाद जगदीश मुखी से मिले। उनका लहजा भी समझ में नही आया। बोले की आप दो से तीन बार हार चुके हो। किसी ओर को भी मौका दो। मै समझ गया। फिर राव इंद्रजीत सिंह से मिले। उन्होंने कहा कि टिकट ले आओ मदद कर दूगा। वैसे हाईकमान तुम्हें टिकट नहीं दे रहा है।  इसके बाद डॉ. सुधा से मिले उन्होंने कहा कि रेवाड़ी से मन तो नहीं है लेकिन हाईकमान आदेश देगी तो उसे मानना पड़ेगा। मैने कहा दिया फिर दोनों भाई बहन मैदान में मिलेगे ओर ऐसी स्थिति में हार भी जाएंगे। इसके बाद मैने समझ लिया था कि पार पड़ने वाली नहीं है। कोई भी मेरी पैरवी के लिए खुलकर सामने नहीं आया। चुनाव पूरी तरह से सिर पर आ चुका था। समय कम बचा था। टिकट का एलान कभी भी हो सकता था।

  मेरी कंपनी में  एक अधिकारी के बेटे की पहुंच ने काम आसान किया

मेरी कंपनी में कुछ दिन पहले एक रिटायर इंजीनियर ने ज्वाइन किया था। उसका बेटा किसी सीनियर नेता के पीए का अच्छा दोस्त था। उसके संपर्क से टिकट को लेकर पहुंची मेरी फाइल को पढ़ा गया तो उस पर पहला नोट राव इंद्रजीत का था जिसमें मुझे उम्रदराज, लगातार हारने वाला उम्मीदवार, कांग्रेस प्रत्याशी से सांठगांठ वाला बताते हुए टिकट नहीं देने की जोरदार वकालत की हुई थी। मुझसे इन आरोपित सवालों का सिलसिलेवार ढंग से लिखित मे जवाब देने के लिए कहा गया। मैने पूरी जिम्मेदारी से बताया कि पहले निर्दलीय चुनाव लड़ा तो कितने वोट मिले। उसके बाद कितने मिलते चले गए जब भाजपा की इस क्षेत्र मे कोई मजबूत जमीन नहीं थी। उसके बाद मुझे संगठन मंत्री रामलाल ने बुलाया। उन्होंने तसल्ली से मुझसे बातचीत की। संगठन कार्यकर्ता के तौर पर वे मेरे व्यवहार एवं पृष्ठभूमि को पहले से जानते थे। नतीजा  तमाम अटकलों के बीच मुझे टिकट मिल गईं।

मैने रामपुरा हाउस जाकर बड़ा दिल दिखाया, राव उसे मेरी कमजोरी समझ बैठे

  टिकट मिलने के बाद  मैने जनसंपर्क तेज कर दिया। राव इंद्रजीत सिंह सीनियर नेता है। इसलिए उनके आवास पर पहुंचा। मैने बड़ा दिल दिखाया लेकिन वे अंदरखाने मुझे टिकट मिलने पर बेहद आहत थे। उन्होंने भरी सभा में यहां तक कह दिया कि मैने तो आपको नहीं बुलाया। उन्होंने मुझे नीचा दिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। उस समय समय धैर्य के साथ चुनाव संभालना था।

जीतने के बाद मंत्री बनाने की तैयारी हो गई थी, पानीपत सिक्योरिटी आ गई थी

जीतने के बाद मुझे मंत्री बनाना फाइनल हो गया था। चंडीगढ़ – रेवाड़ी सफर में मैसेज आ गया था कि आपके लिए पानीपत से सिक्योरिटी टीम लग जाएगी। एक मंत्री के तौर पर जो सुरक्षा दी जाती है वह मिलने वाली थी। चंडीगढ़ पहुंचकर कहानी बदल गईं। पता चला कि राव इंद्रजीत सभी हथकंडों का इस्तेमाल करते हुए विक्रम यादव को मंत्री बनाने पर अड़ गए। हाईकमान को उनकी बात माननी पड़ी।

राव इतना भी सफेद झूठ बोलते हैं इतनी उम्मीद नहीं थी

 कापड़ीवास ने कहा कि राव इंद्रजीत का यह कहना कि 2014 में उनकी बदौलत कापड़ीवास को टिकट मिली थी। सफेद झूठ के अलावा कुछ नहीं है। वे यहां तक पहुंच सकते हैं इतनी उम्मीद नहीं है। असल सच यह है कि जो इंसान धारूहेड़ा में होते हुए भी उनके पिता के देहांत पर संवेदना व्यक्त करने नहीं आया। जबकि मेरे पिता राव के पिता पूर्व मुख्यमंत्री राव बीरेंद्र सिंह के सबसे खास लोगों में एक थे। जो टिकट को लेकर तैयार फाइल में टिकट कटवाने के लिए पूरी पैरवी कर रहा हो वह भला मुझे टिकट कैसे दिलवा सकता है। रामपुरा हाउस में मेरे साथ जो व्यवहार किया गया वह राव की अंदर की टीस थी। पब्लिक है सब जानती है। 2019 के चुनाव में राव इंद्रजीत ने क्षेत्र में भाजपा को पूरी तरह से कमजोर व खत्म करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। यह भी सबने देख लिया है।

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