पढ़िए कोरोना के असली नायक की कहानी..

72 साल की विद्यावती हर रोज एक डॉक्टर को भगवान मानकर आभार जताती है


ईश्वर का धन्यवाद, कोविड पैनल अस्पतालों में मां को जगह नहीं मिली, नहीं तो लाश आती, शुगर के डॉक्टर ने दो दिन में ठीक कर दिया 


रणघोष अपडेट. विद्यावती के बेटे विपिन चुघ की जुबानीं


मेरा माडल टाउन में विद्या ऑप्टीकल है। 2-3 मई की बात है। रविवार का दिन था। मां विद्यावती जिसकी उम्र 72 साल है को बुखार हो गया। हमने रूटीन में दवाई दे दी। बुखार उतर गया लेकिन शाम को फिर हो गया। कुछ देर में मां बेहोश हो गईं। हम घबरा गए। भारी शरीर था। आक्सीजन लेवल 70 से नीचे चला गया ओर शुगर 570 तक जा पहुंची। किसी तरह सिविल अस्पताल पहुंचे वहां से ट्रोमा सेंटर गए तो वहां पहले ही तीन लाशें रखी हुई थी ओर चारों तरफ अफरा तफरी का माहौल बना हुआ था। हमें लगा कि मां को होश आ गया तो वह इन लाशों को देखकर वैसे ही दम तोड़ देगी। हम किसी तरह डॉ. आरबी यादव अस्पताल पहुंचे वहां सारे बेड फुल थे। कर्मचारियों ने हमें बाहर से ही चैक कर रवाना कर दिया। फिर विराट अस्पताल आए तो यहां भी बुरा हाल था। हम बुरी तरह से घबरा चुके थे। किसी तरह पुष्पाजंलि अस्पताल लेकर आए यहां पर्ची कटाई ओर अंदर गए तो पता चला कि यहां भी बेड नहीं है। हमारी हिम्मत ने जवाब दे दिया। लगा अब मां नहीं बचेगी।  पत्नी  ने कहा कि कुछ भी हो जाए मां को ऐसी हालत में घर लेकर नहीं जाएंगे। कुछ भी करों। मेरे साथ आए दोस्त ने कहा कि एक काम करो पहले मां की शुगर तो कंट्रोल में लाओ। किसी ने हमें धारूहेड़ा चुंगी स्थित शुगर अस्पताल में डॉ. दीपक कपूर से मिलने को कहा। हम किसी तरह वहां पहुंचे। डॉ. कपूर खुद बाहर आ गए ओर देखा कहां कि हालात बहुत सीरियस है। बस दुआ करो। उन्होंने कुछ दवाइयां लिखकर दी ओर कहां लगातार संपर्क में रहना। हम दवा लेकर मां को घर पर ले आए। डॉ. कपूर के कहे अनुसार मां को दवा दी। भाप का इस्तेमाल किया। वे दिन रात वाटसअप कॉल पर हमें सलाह देते रहे। इसे ईश्वर का चमत्कार कहिए मेरी मां दो दिन में ठीक हो गईं। वह खुद बाथरूम होकर आईं। 9 मई तो तक तो वह पूरी तरह स्वस्थ्य नजर आ रही थी। हर रोज मेरी मां डॉ. दीपक को ईश्वर का भेजा हुआ मसीहा कहती है। सच में डॉ. कपूर चाहते तो उस समय हमसे कुछ भी चार्ज कर सकते थे। लेकिन महज 3 हजार रुपए में एक माह की दवाई का खर्च लिया। ईश्वर का लाख लाख धन्यवाद। उस दिन कोविड पैनल वाले अस्पतालों में मेरी मां को बेड नहीं मिला। अगर मिल जाता तो हालात को देखते हुए शत प्रतिशत मां वापस लौटकर नहीं आती। ईश्वर ने हमारी सुनी ओर मां आज हमारे बीच में मौजूद है। वह रोज उठकर डॉक्टर दीपक को आशीर्वाद देती है।

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