फर्जी डकैती की घटना पर रणघोष की सीधी सपाट बात

शर्मसार: बेटी तुने क्या किया, पांच लाख के लिए माता-पिता के अरमानों को बेच दिया


-यह घटना प्रत्येक परिवार के लिए सबक है कि वह अपने बच्चों को समय समय पर मर्यादा, नैतिकता, संस्कार, मूल्यों की प्रयोगशाला में जांचते रहे। इसके अलावा कोई चारा नहीं है।


रणघोष खास. सुभाष चौधरी

हरियाणा के रेवाड़ी शहर सेक्टर चार में अपने ही घर में परिवार के सदस्यों को धोखा देकर पिस्तौल के बल पर लूटपाट की फर्जी वारदात की कहानी लिखने वाली युवती ने ऐसा क्यों किया, इतनी हिम्मत कहां से आई और माता-पिता की परवरिश में आखिर ऐसी क्या कमी रह गई थी कि वह अपनी इस घिनौनी हरकतों से सभी को शर्मसार कर देगी। वह  पांच लाख के लिए अपने माता-पिता के अरमानों तक को बेच देगी। इन सवालों ने प्रत्येक घरों में बैचेनी पैदा कर दी है। 

घटना की शुरूआत में मीडिया ने वहीं दिखाया जो नजर आ रहा था। घटनास्थल पर युवती के हाव भाव से संदेह भी हो रहा था लेकिन एक बेटी अपने ही घर में अपने युवक मित्र के साथ डकैती की साजिश रच डालेगी इसकी कल्पना करना ही समाज एवं परिवार में तबाही की सुनामी आना जैसा था। घटना के 24 घंटे में युवती के चेहरे से नकाब हट गया और  जो हकीकत सामने आई वह किसी भी माता-पिता के लिए बेऔलाद होने से ज्यादा तकलीफदेय है। इस घटना के तुरंत बाद जिस तरह पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठे, विपक्षी नेताओं ने सरकार पर हमले किए, मीडिया ने भी कवरेज में कोई कसर नहीं छोड़ी।  ऐसा उस समय की परिस्थितियों में होना लाजिमी था साथ में सबक भी था कि जल्दबाजी में किसी भी घटना के अंजाम तक पहुंचने से पहले जन्मीं धारणा पर सच की पालिश करके प्रचारित नहीं करना चाहिए। यह घटना समाज के प्रत्येक परिवार के लिए सबक है। अभी तक टीवी सीरियल व फिल्मों में इस तरह की घटनाओं पर कहानियां देखने को मिलती थी। अब हकीकत बनकर हमारे आस पास हो रही है। इस घटना में युवती के परिवार के सदस्यों के सामने सबसे बड़ी चुनौती डकैती से बड़ी खत्म हो चुके उसे भरोसे को जिंदा रखने की है जिस पर परिवार  भविष्य की आधारशिला रखता है। युवती ने घटना के समय मौके पर पहुंचे पुलिस, मीडिया  को अपनी झूठी ओर फर्जी  कहानी से एक समय के लिए गुमराह तो कर दिया लेकिन अपनी नादानी और अपनी नासमझी में यह भूल गई कि झूठ के पांव नहीं होते। यानि युवती जिस तरह अपने बयानों को बदल रही थी उसी समय ही पुलिस को शक हो गया था कि यह डकैती नहीं पहले से रची गई साजिश थी। सच बोलने वाले के शब्दों में अंतर नहीं आता। इसलिए सभी तरह के अपराधों का सच पूछताछ में होने वाली बातचीत से ही सामने आते है। कुल मिलाकर यह घटना प्रत्येक परिवार के लिए सबक है कि वह अपने बच्चों को समय समय पर मर्यादा, नैतिकता, संस्कार, मूल्यों की प्रयोगशाला में जांचते रहे। इसके अलावा कोई चारा नहीं है।

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