फिर प्राकृतिक आपदा की चपेट में आएगा केदारनाथ!

यहीं सबसे ज्यादा लैंडस्लाइड का खतरा, ISRO की रिपोर्ट ने बढ़ाई चिंता


जोशीमठ के बाद उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में भूस्खलन का खतरा मंडरा रहा है. एक रिपोर्ट से पता चला है कि उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले को भूस्खलन का सबसे ज्यादा खतरा है. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के राष्ट्रीय रिमोट सेंसिंग सेंटर (NRSC) द्वारा एक सूची जारी की गई है. इसरो ने अपनी इस रिपोर्ट में भूस्खलन के खतरों का विश्लेषण किया है. रिपोर्ट के अनुसार, देशभर के 147 जिले में से 13 जिले उत्तराखंड के हैं. रुद्रप्रयाग और टिहरी इस लिस्ट में पहले और दूसरे नंबर पर हैं. चमोली जिला भूस्खलन जोखिम में 19वें नंबर पर है.

HT की रिपोर्ट के अनुसार इस लिस्ट में केरल के चार, जम्मू-कश्मीर के दो और सिक्किम के एक जिले का भी नाम है. यह पहली बार है कि एनआरएससी के वैज्ञानिकों ने भारत में भूस्खलन जोखिम पर अपनी रिपोर्ट तैयार की है. रिपोर्ट में 1988 और 2022 के 17 राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों के पुराने भूस्खलन रिकॉर्ड को समझा गया है और उसी आधार पर नए जोखिम का आकलन किया गया है. रुद्रप्रयाग जिले ने हमेशा भूस्खलन के खतरों का सामना किया है. यहां साक्षरता और घरों की संख्या सबसे अधिक है. रुद्रप्रयाग प्रसिद्ध केदारनाथ मंदिर है और देश में धार्मिक पर्यटन के सबसे बड़े शहरों में से एक है. यह जून 2013 में हजारों लोगों की जान लेने वाली एक विशाल प्राकृतिक आपदा का केंद्र भी रहा है.

2013 में केदारनाथ आपदा और 2011 में सिक्किम भूकंप के कारण हुए भूस्खलन जैसे सभी मौसमी और घटना-आधारित भूस्खलनों को मैप करने के लिए इसरो के उपग्रह डेटा का उपयोग किया गया है. वैज्ञानिकों ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के कारण बेमौसम बारिश जैसी चरम मौसम की घटनाओं ने पिछले कुछ वर्षों में भूस्खलन का खतरा बढ़ा दिया है. नए अध्ययन में 2000 और 2022 के बीच 80,933 भूस्खलन हॉट स्पॉट दर्ज किए गए, जिनमें से अधिकतम 12,385 मिजोरम के हैं, इसके बाद उत्तराखंड 11,219, जम्मू और कश्मीर 7,280 और हिमाचल प्रदेश में 1,561 रहे. दक्षिणी राज्यों में, सबसे अधिक भूस्खलन हॉट स्पॉट केरल (6,039) में दर्ज किए गए थे.

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