बाल-निर्माण में बाल-साहित्य की होती है महत्त्वपूर्ण भूमिका, बाल-साहित्य को दोयम दर्जे का साहित्य मानना अनुचित : डॉ ‘मानव

बाल-निर्माण में बाल-साहित्य की भूमिका अत्यंत महत्त्वपूर्ण होती है, अतः बाल-साहित्य को दोयम दर्जे का मानना अनुचित है। यह कहना है वरिष्ठ बाल-साहित्यकार तथा सिंघानिया विश्वविद्यालय, पचेरी बड़ी (राज) में हिंदी-विभाग के प्रोफेसर एवं अध्यक्ष डॉ रामनिवास ‘मानव’ का। सलिला, सलूंबर (राज) तथा उत्तराखंड बाल-साहित्य संस्थान, अल्मोड़ा (उत्तराखंड) द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित ‘वर्चुअल शोधपत्र-वाचन एवं कवि-दरबार’ कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि बोलते हुए उन्होंने कहा कि बाल-साहित्य भी मूलतः साहित्य ही है। अतः इसमें भी उन सभी तत्त्वों का समावेश आवश्यक है,  जो साहित्य के लिए अपेक्षित हैं। उन्होंने हर आयु और वर्ग के बच्चों के लिए अलग-अलग बाल-साहित्य लिखे जाने ‌तथा उसे बाल-पाठकों तक पहुंचाने की भी वकालत की। ‘बाल-प्रहरी’ पत्रिका के संपादक तथा उत्तराखंड बाल-साहित्य संस्थान, अल्मोड़ा (उत्तराखंड) के सचिव उदय किरोला ने अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में कहा कि बाल-साहित्य को बाल-पाठकों तक पहुंचाना एक आवश्यकता भी है और चुनौती भी। बाल-साहित्य बच्चों को संस्कार भी देता है और शिक्षा भी। अत: बाल-निर्माण के माध्यम से राष्ट्र-निर्माण हेतु श्रेष्ठ बाल-साहित्य का निर्माण ‌आवश्यक है।

 कुमारी पूर्वी पोरवाल द्वारा प्रस्तुत सरस्वती-वंदना के उपरांत डॉ रेनू श्रीवास्तव के कुशल संचालन में संपन्न हुए इस कार्यक्रम के प्रारंभ में सलिला की अध्यक्ष डॉ विमला भंडारी ने  विशिष्ट अतिथियों का स्वागत करते हुए विषय-प्रवर्त्तन किया। तत्पश्चात् मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय, उदयपुर (राज) के शोधछात्र हरसन मेघवाल ने, अपने शोध-पत्र के माध्यम से, बाल-साहित्य के स्वरूप और स्थिति पर प्रकाश डाला। समारोह के दूसरे सत्र में कवि-दरबार आयोजित किया गया, जिसमें डॉ राकेश चक्र, फहीम अहमद, प्रभु दयाल, उषा सोमानी, गौरव स्वप्निल, बलदाऊ राम साहू, तरुणकुमार दाधीच और डॉ रामनिवास ‘मानव’ सहित सात कवियों की दो-दो बाल-कविताएं बच्चों द्वारा प्रस्तुत की गईं। इन बच्चों में भव्याक्षी दाधीच, मृगांक दाधीच, आयुष, काव्या चौधरी, आस्था, जाह्नवी गौड़, निधि भारद्वाज, आरोही माहेश्वरी, आरना गौरव, ईशिता श्रीवास्तव, अमित श्रीवास्तव, अथर्व साहू, शिफा शबनम, अब्दुल हादी, अदिति चौखड़ा और आराध्या गौरव के नाम शामिल हैं। नारनौल की जाह्नवी गौड़ सुपुत्री डॉ पंकज गौड़ और निधि भारद्वाज सुपुत्री डॉ जितेन्द्र भारद्वाज ‌ने डॉ रामनिवास ‘मानव’ की ‌’बन्दर की व्यथा’ तथा ‘धरती मां है’ शीर्षक बाल-कविताओं का पाठ‌ किया। इस अवसर पर सभी प्रतियोगी बच्चों को प्रमाण-पत्र और बाल-साहित्य ‌भेंटकर सम्मानित भी किया गया। लगभग अढ़ाई घंटों तक चले इस समारोह का फेसबुक द्वारा लाइव प्रसारण किया गया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *