बेटियों को ज्यादा पढ़ाने का रिवाज नहीं था इसलिए मां भी मानसिकता का शिकार हो गईं

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राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय बावल की छात्राएं बता रही हैं


WhatsApp Image 2021-04-05 at 7.54.19 PMरणघोष खास. तन्नु की कलम से


मेरा नाम तन्नु है। माता का नाम कमलेश और पिता का नाम राज सिंह है। मै स्कूल में 10 वीं की छात्रा हूं। मां आर्थिक अभाव में 5 वीं तक ही पढ़ पाईँ और पिताजी किसी तरह 10 वीं तक ही पढ़ सके। दोनों की पढ़ाई के स्तर से पता चल जाता है कि उनका बचपन कितने अभाव से गुजरा है। मैने जीवन में पहली बार उनके जीवन के बारे में जाना तो अहसास हुआ कि हम अभी तक उन्हें कुछ भी नहीं समझ पाए थे। हमें याद नहीं है कि माता-पिता से हमने कुछ मांगा और उन्होंने लाकर नहीं दिया हो। मां पूरी तरह घर को संभालती है तो पिता खेती बाड़ी में लगे रहते हैं। मां से जब उनसे नहीं पढ़ने की वजह पूछी तो उन्होंने सिर्फ इतना ही कहा कि लड़कियों को ज्यादा पढ़ाने का रिवाज नहीं था। बस बड़ी होने पर शादी करने की चिंता रहती थी लेकिन वह हमें ऐसा नहीं देखना चाहती। वह चाहती है कि उसकी बेटियां बेटों से भी ज्यादा पढ़ाई करें। अपने पैरो पर खड़े होकर बताए ताकि शादी के बाद उसे किसी के प्रति आश्रित नहीं होना पड़े। पिताजी हमारा बिना बताए भी पूरा ख्याल रखते हैँ। उन पर भी बचपन से ही परिवार की जिम्मेदारी आ गई थी। मुझे इतनी ज्यादा खुशी है कि समय रहते हमने अपने माता-पिता के असली वजूद को समझ लिया। इसके लिए मेरे शिक्षकों को नमन..।

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