बड़ी खबर: एम्स पर सरकार 50 लाख मुआवजा देने के हक में नहीं, साथ लगते 5 गांवों में तलाशी जा रही जमीन

गांव नांगल जमालपुर एवं बासदुदा के किसान जमीन देने के लिए तेयार

रणघोष अपडेट. कुंड. रेवाड़ी. संदीप भारद्वाज 


एम्स का मुद्दा अब आए दिन अपना चेहरा और जगह बदल रहा है। राज्य सरकार किसी भी सूरत में गांव माजरा-  भालखी की जमीन पर प्रस्तावित एम्स के तहत किसानों को 50 लाख प्रति एकड़ मुआवजा देने के हक में नहीं है। लिहाजा जिला प्रशासन ने खोल खंड के  आस पास गांवों में जमीन तलाशनी शुरू कर दी है। इसके लिए गांव नांगल जमालपुर- बासदुदा, खालेटा- धवाना को मिलाकर 200 एकड़ जमीन का खाका तैयार किया जा रहा है। गांव पाली में भी एम्स की संभावनाएं तलाशी जा रही है। एक सप्ताह से चल रही एक्सरसाइज के चलते  इन गांवों के सरपंचों एवं नंबदारों को रिपोर्ट तैयार करने को कहा है। गांव नांगल जमालपुर में तो किसानों के साथ मीटिंग हो चुकी है जिसमें वे सर्कल रेट प्लस में 5 लाख रुपए कीमत पर जमीन देने के लिए तैयार है। यानि यहां सरकार को  30 से 33 लाख रुपए में जमीन मिल रही है। गांव के सरपंच हनुमान प्रसाद एवं नंबरदार सुदेश ने बताया कि हमारे गांव से 100 एकड़ जमीन में 50 एकड़ मंदिर के नाम है। इसी तरह साथ लगते गांव बासदुदा की 40 एकड़ जमीन पंचायती है। 22 एकड़ जमीन मंदिर की है। इसी तरह 200 एकड़ जमीन तैयार है। किसान सरकार के सर्कल रेट एवं प्लस में 5 लाख पर जमीन देने को तैयार है।जमीन से नेशनल हाइवे- 11 की दूरी कुंड बैरियर से महज 7 किमी है। चारों दिशाओं से आवगमन है। राजस्थान सीमा से सटे हुए हैं। अटेली- कनीना रूट से भी यह गांव जुड़ रहा है। यहां से 11 किमी दूर चंडीगढ़- महेंद्रगढ़ को जोड़ना नेशनल हाइवे भी है।  इसी तरह खालेटा- धवाना गांवों को मिलाकर एवं गांव पाली में भी जमीन की तलाश शुरू हो गई है। प्रशासन की इस हलचल से यह स्पष्ट हो गया कि सरकार गांव माजरा- भालखी में किसी भी सूरत में 50 लाख रुपए प्रति एकड़ जमीन देने के लिए तैयार नहीं है। इसलिए उसने विकल्प के तौर पर आस पास लगते गांवों में जमीन का खाका तैयार करना शुरू कर दिया है। सरकार का यह कदम एम्स संघर्ष समिति के प्रयासों  के लिए बड़ा झटका है। समिति लगातार दक्षिण हरियाणा के अलग अलग जनप्रतिनिधियों के माध्यम से सरकार से 50 लाख रुपए मुआवजा एवं एम्स का जल्द ही शिलान्यास करने का दबाव बना रही है।

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