बड़े बुजुर्गों के सम्मान की इस अनूठी पहल के गवाह बने

मात पिता जित सेवा होवै, घर वो पूरा पावै सै,

बड़े बुजुरगां का आदर हो, य्हो छव्वा जी चावै सै


रणघोष खास. लक्ष्मण सिंह यादव की कलम से

 धरती पै भगवान बताये मात पिता सा धन कोन्या,

बिना लोभ कै प्यार करैं ये ,इणके जैसा मन कोन्या,

मात पिता तै दूर हुआ तै,माट्टी सै यो तन कोन्या,

इणतै बढकै मान बावले,कीतै अपणा पन कोन्या।

मात पिता जो सेवा करते, सारे सुख वो पावै सै ।

बड़े बुजुरगां का आदर हो, य्हो छव्वा जी चावै सै

मात पिता जित सेवा होवै घर पूरा वो पावै सै 

मात पिता की सेवा करकै, सरवण नाम कमाग्या रै,

आज तलक भी याद करै सभ, देवां नै भी भाग्या रै ।‌

सेवा करकै मात पिता की, बड्डा नाम कमाग्या रै,

ठाल्यो फैदा सही बखत पै , इब मौका बी थ्याग्गा रै ।

जिस घर म्हं सम्मान बड़्या का, उड़ै देवता आवैं सै।

बड़े बुजुरगां का आदर हो, य्हो छव्वा जी चावै सै।

मात पिता जित सेवा होवै, घर पूरा वो पावै सै 

मात पिता की सेवा खातर,खुद किरसन अवतार लिया,

बण की राही राम हो लिया, कहणा मां का धार लिया,

कर वरधा की सेवा तरगे, हर आफत तै पार लिया,

जो पूजै न मात पिता नै, समझो वो सभ हार लिया ।

उसका बेड़ा पार लगै सै, जो बड्डा न्ह भावै सै ।

बड़े बुजुरगां का आदर हो, य्हो छव्वा जी चावै सै ।

मात पिता जित सेवा होवै, घर पूरा वो पावै सै 

रीत पुराणी फेर चला द्यो, घर घर म्ह भगवान मिलै,

खुश रह्  सारी दुनिया भी, जब बुढ्या नै मान मिलै,

सेवा करता जी भी माणस, बस उसनै वरदान मिलै,

सारा जग यो कहता आया,बस सेवा तै शान मिलै ।

लक्ष्मण छव्वा कह सुणो सब, तगड़ी बात बतावै सै ।

बड़े बुजुरगां का आदर हो य्हो छव्वा जी चावै सै ।

मात पिता जित सेवा होवै घर वो पूरा पावै सै


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