नई दिल्ली. गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को लोकसभा में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक, 2023 (दिल्ली सेवा बिल) पर सरकार का पक्ष रखते हुए विपक्ष पर हमला बोला. गृह मंत्री अमित शाह ने इस दौरान यह स्पष्ट किया कि दिल्ली में सरकार बनाने के संदर्भ में केंद्र सरकार के पास पूरा अधिकार है. उन्होंने 26 विपक्षी दलों द्वारा मिलकर बनाए गए I.N.D.I.A. गठबंधन पर भी तीखा हमला बोला. आइए हम आपको गृह मंत्री के बयान की 10 अहम बातें बताते हैं.
1. गृह मंत्री ने कहा- विपक्ष बार-बार यह कह रहा है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ जाकर यह बिल लाया जा रहा है. माननीय सर्वोच्च अदालत के आदेश का आपने मनपसंद हिस्सा ही पढ़ा है. अगर आप उसे पूरा पढ़ेंगे तो जानेंगे कि अदालत ने अपने आदेश में यह भी लिखा है कि केंद्र सरकार के पास दिल्ली के संदर्भ में कोई भी कानून बनाने का अधिकार है.
2. गृह मंत्री ने कहा- दिल्ली सेवा बिल सुप्रीम कोर्ट के आदेश को संदर्भित करता है, जो कहता है कि संसद को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली से संबंधित किसी भी मुद्दे पर कानून बनाने का अधिकार है. उसी के अनुरूप आज का विधेयक लाया जा रहा है.
3. गृह मंत्री ने दिल्ली की सत्ता पर काबिज आम आदमी पार्टी की इस दौरान खिंचाई भी की. उन्होंने कहा, ‘साल 2015 में दिल्ली में एक ऐसी पार्टी सत्ता में आई जिसका मकसद सिर्फ लड़ना था, सेवा करना नहीं.’
4.गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि समस्या ट्रांसफर-पोस्टिंग करने का अधिकार हासिल करना नहीं, बल्कि अपने बंगले बनाने जैसे भ्रष्टाचार को छुपाने के लिए सतर्कता विभाग पर कब्जा करना है.
5. अमित शाह ने 26 विपक्षी दलों द्वारा मिलकर बनाए गए I.N.D.I.A. गठबंधन पर भी तीखा हमला किया. उन्होंने कहा कि अलायंस कर लो लेकिन एक बार फिर मोदी जी की सरकार बनने वाली है.
6. अमित शाह ने कहा- अलायंस करके अगर आप सोचते हो कि जनता का विश्वास हासिल होगा, लेकिन अपने घोटालो के कारण आप वहां बैठे हो. कांग्रेस को बता देता हूं ये (आम आदमी पार्टी) बिल पास होने के बाद वो आपके साथ आने वाले नहीं हैं.
7. गृह मंत्री अमित शाह ने आगे कहा कि मेरा सभी पक्ष से निवेदन है कि चुनाव जीतने के लिए किसी पक्ष का समर्थन या विरोध करना, ऐसी राजनीति नहीं करनी चाहिए. नया गठबंधन बनाने के अनेक प्रकार होते हैं. विधेयक और कानून देश की भलाई के लिए लाया जाता है इसलिए इसका विरोध और समर्थन दिल्ली की भलाई के लिए करना चाहिए.
8. गृह मंत्री अमित शाह ने कहा- दिल्ली की स्थापना 1911 में अंग्रेजों के शासन के द्वारा महरौली और दिल्ली दो तहसीलों को पंजाब प्रांत से अलग करके की गई थी. 1919 और 1935 में ब्रिटिश सरकार ने चीफ कमिश्नर प्रॉविंस का नोटिफिकेशन किया और दिल्ली को चीफ कमिश्नर प्रॉविंस के तहत रखा गया.
9. अमित शाह बोले- आजादी के बाद एक समिति ने दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की सिफारिश की. जब यह सिफारिश संविधान सभा के सदस्यों के समक्ष आई तब पंडित जवाहर लाल नेहरू सहित बड़े नेताओं ने इसका विरोध किया था. एक वक्त पंडित नेहरू जी ने यहां तक कहा कि क्योंकि नई दिल्ली में तीन चौथाई संपत्ति केंद्र सरकार की है इसलिए तर्कसंगत होगा कि यह केंद्र के पास ही रहे.
10. अमित शाह ने कहा- भारत की राजधानी के रूप में शायद ही किसी स्थानीय प्रशासन को मुक्त अधिकार यहां दिए जा सकते हैं. अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया ने इसकी मिसाल दी है. उन्होंने कहा कि इसकी अलग व्यवस्था की जानी चाहिए. 1991 में दिल्ली को विधानसभा दी गई लेकिन इससे पहले 1956 में राज्य पुनर्गठन आयोग की सिफारिश के आधार पर उससे विधानसभा छीन ली गई थी.