भाजपा सांसद ने सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में गर्मी और जाड़े की छुट्टियां ख़त्म करने की मांग की

भाजपा के राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट और उच्च न्यायालयों में लाखों की संख्या में मामले लंबित हैं. ये अदालतें गर्मियों में लगभग 47 दिन और सर्दियों में लगभग 20 दिनों तक बंद रहती हैं, जबकि अन्य सभी सार्वजनिक कार्यालय साल भर काम करते रहते हैं.


 रणघोष अपडेट. नई दिल्ली

भाजपा के राज्यसभा सांसद और बिहार के पूर्व उप-मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने सुप्रीम कोर्ट और उच्च न्यायालयों में ग्रीष्मकालीन और दशहरा अवकाश की व्यवस्था को अंग्रेजों के जमाने की परंपरा बताते हुए बुधवार को ऐसी ‘छुट्टियों की छुट्टी’ पर विचार करने का आग्रह किया.राज्यसभा में अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थतम केंद्र संशोधन विधेयक, 2022 पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए सुशील मोदी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट और उच्च न्यायालयों में लाखों की संख्या में मामले लंबित हैं, जबकि निचली अदालतों में चार करोड़ से अधिक मामले लंबित हैं.उन्होंने कहा कि न्याय व्यवस्था में देरी होने और उसके खर्चीले होने की वजह से आम जनता का न्यायपालिका पर से भरोसा उठता जा रहा है.उन्होंने कहा, ‘हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में वैकेशन का सिस्टम है. हिंदुस्तान में कहीं भी वैकेशन का कोई प्रावधान नहीं है. अगर कोई आदमी काम करता है तो उसे साल में 50 या 60 छुट्टियां मिलती हैं और इसके प्रावधान हैं, लेकिन ऐसा नहीं होता कि सचिवालय महीने भर के लिए बंद कर दिया गया हो.’उन्होंने कहा कि गर्मियों में लगभग 47 दिन और सर्दियों में लगभग 20 दिनों तक अदालतें बंद रहती हैं, जबकि अन्य सभी सार्वजनिक कार्यालय साल भर काम करते रहते हैं. उन्होंने न्यायपालिका में छुट्टियों की व्यवस्था को ब्रिटिशकालीन परंपरा बताया, जो अभी भी जारी है.भाजपा नेता ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी ऐसी चीजों को समाप्त करने का आह्वान किया है. उन्होंने सरकार से न्यायपालिका में छुट्टियों को खत्म करने और अन्य सार्वजनिक कार्यालयों और संगठनों की तरह वार्षिक छुट्टियों की व्यवस्था करने का आग्रह किया.सुशील कुमार मोदी ने कहा कि एक और आश्चर्य की बात है कि अधीनस्थ और आपराधिक न्यायालयों (निचली अदालतों) में इस तरह की छुट्टियां नहीं हैं. सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों सहित शीर्ष न्यायालयों ने इस विशेषाधिकार को संस्थागत बना दिया है. उन्होंने कहा कि साल 2014 में पूर्व सीजेआई आरएम लोढ़ा ने भी छुट्टियों की व्यवस्था को खत्म करने की मांग की थी.उन्होंने कहा, ‘आज देश के अंदर सारी संस्थाएं, सारे कार्यालय 365 दिन काम करते हैं और अगर किसी को छुट्टी चाहिए यानी एक आदमी छुट्टी पर जाएगा तो दूसरा आदमी काम करेगा, अगर दूसरा आदमी छुट्टी पर जाएगा तो तीसरा आदमी काम करेगा.’उन्होंने कहा, ‘कोई कह सकता है कि वैकेशन बेंच काम करता है लेकिन वैकेशन बेंच में कितना काम होता है, यह हम सब लोग जानते हैं.’उन्होंने कहा कि आजादी के पहले उस जमाने में न्यायाधीश अंग्रेज होते थे और उन्हें भारत की गर्मी बर्दाश्त नहीं होती थी.उन्होंने कहा कि उस समय हवाई जहाज नहीं चलता था तो उन्हें पानी के जहाज से इंग्लैंड जाने में एक महीना और लौटने में एक महीना लगता था और महीना छुट्टियां बिताने में लग जाते थे.उन्होंने कहा, ‘इसलिए वैकेशन की जो परंपरा प्रारंभ हुई, खासकर स्कूलों में और अदालतों में, इस ब्रिटिश परंपरा की जड़ें वहां पर है.’उन्होंने कहा कि एक और आश्चर्य की बात है कि निचली अदालतों में किसी प्रकार की ‘वैकेशन’ नहीं है.सुशील मोदी ने कहा, ‘मैं आपके माध्यम से कहना चाहूंगा कि ‘वैकेशन वैकेट’ यानी छुट्टियों की छुट्टी करो. छुट्टियों के लिए छुट्टी की आवश्यकता नहीं है.’उन्होंने कहा कि केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू बहुत ही क्रांतिकारी मंत्री हैं और वह सुधार के भी बहुत सारे काम कर रहे हैं. उन्होंने रिजिजू से आग्रह किया, ‘इस विषय को भी कैसे आगे बढ़ाया जाए, इसके बारे में विचार करना चाहिए.’

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