महिला पहलवान: सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली पुलिस ने कहा- एफआईआर से पहले जांच जरूरी

रणघोष अपडेट. देशभर से

दिल्ली पुलिस ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि उसे भारतीय कुश्ती महासंघ अध्यक्ष और बीजेपी सांसद ब्रजभूषण शरण सिंह पर लगे यौन शोषण के आरोपों की जांच करनी है। इसके बाद ही वो एफआईआर करेगी। सुप्रीम कोर्ट ने कल इस संबंध में दिल्ली पुलिस और केंद्र सरकार को नोटिस देकर शुक्रवार तक जवाब मांगा था। अदालत ने इस मामले को गंभीर बताया था। 7 महिला पहलवान रविवार से धरने पर बैठी हैं। पिछले शुक्रवार को उन्होंने बाहुबली सांसद ब्रजभूषण शरण सिंह पर यौन शोषण का आरोप लगाते हुए दिल्ली पुलिस में शिकायतें की थीं। जब एफआईआर नहीं दर्ज की गई तो 7 महिला पहलवानों ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में इंसाफ के लिए याचिका दायर कर दी। जिसे कोर्ट ने मंजूर कर लिया। पीटीआई और लाइव लॉ के मुताबिक दिल्ली पुलिस ने बुधवार को अदालत को सूचित किया कि इस मामले में प्रारंभिक जांच की जरूरत हो सकती है। इसके बाद वे एफआईआर दर्ज करेंगे। भारत के चीफ जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़ की बेंच के सामने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा- हमें पहली नजर में ही लगता है कि एफआईआर दर्ज करने से पहले इसकी थोड़ी प्रारंभिक जांच की जरूरत हो सकती है। मेहता ने कहा- यही हम आपके संज्ञान में लाना चाहते हैं। हालांकि, अगर आपको लगता है कि एफआईआर तुरंत दर्ज की जानी चाहिए, तो कोई कठिनाई नहीं है। लेकिन कुछ मुद्दे हैं जिन्हें हम एफआईआर से पहले जांचना चाहेंगे। इस पर सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा- क्या किया जा सकता है जब मामला शुक्रवार को आता है यदि आपके पास कोई मैटेरियल (सबूत) है जिसे आप हमें दिखाना चाहते हैं, तो हम हमेशा इसे देखेंगे। आमतौर पर मैं कुछ ऐसा पढ़ने से कतराता हूं जो दूसरे पक्ष के पास नहीं है, लेकिन इस तरह के मामले में …। एसजी तुषार मेहता ने कहा कि वह तथ्य को अदालत के संज्ञान में ला रहे हैं ताकि यह महसूस न हो कि नोटिस के बावजूद, हमने तुरंत एफआईआर दर्ज नहीं की। मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी करते हुए कहा था, याचिका में यौन उत्पीड़न के गंभीर आरोप हैं, जो भारत का प्रतिनिधित्व करने वाले पेशेवर अंतरराष्ट्रीय पहलवानों द्वारा लगाए गए हैं। मामले को संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत अपने अधिकार क्षेत्र के प्रयोग में इस अदालत के विचार की आवश्यकता है।

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