रणघोष अपडेट. देशभर से
एथिक्स पैनल ड्राफ्ट रिपोर्ट में महुआ मोइत्रा को लोकसभा से निष्कासित करने की सिफारिश की गई है, दानिश अली की खिंचाई की गई है। इस ड्राफ्ट को एडॉप्ट यानी अपनाने के लिए गुरुवार को बैठक होने जा रही है। महुआ मोइत्रा ने निशिकांत दुबे के लोकपाल से सीबीआई जांच की मांग के दावे पर उन पर पलटवार किया है।एथिक्स पैनल को लेकर एनडीटीवी, इंडिया टुडे, इंडियन एक्सप्रेस समेत तमाम मीडिया रिपोर्टों में दावा किया गया है कि उन्होंने ड्राफ्ट रिपोर्ट देखी है, जिसमें महुआ को लोकसभा से निष्कासित करने की सिफारिश की गई है। महुआ ने पिछले दिनों मोदी सरकार के नजदीक माने जाने वाले अडानी समूह के खिलाफ तमाम गंभीर आरोप लगाए थे। महुआ ने भाजपा सांसद निशिकांत दूबे की कथित फर्जी एमबीए डिग्री का मामला भी उठाया था। उसके बाद उनके बुरे दिन शुरू हो गए हैं। भाजपा का शीर्ष नेतृत्व महुआ से काफी नाराज लगता है।एनडीटीवी की खबर में ड्राफ्ट रिपोर्ट को 500 पेज की बताया गया है। इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक लोकसभा की एथिक्स (आचार) कमेटी ने अपनी ड्राफ्ट रिपोर्ट में उन्हें 17 वीं लोकसभा से निष्कासित करने की सिफारिश की है। रिपोर्ट को अपनाने के लिए पैनल गुरुवार को बैठक करेगा। इसके बाद इसे लोकसभा अध्यक्ष के पास भेजा जाएगा। सांसद महुआ मोइत्रा के खिलाफ भाजपा सांसद निशिकांत दूबे ने कैश-फॉर-क्वेरी के आरोप अन्य लोगों के पत्रों और हलफनामों के जरिए लगाए थे। यहां यह बताना जरूरी है कि संसद की एक कमेटी भाजपा सांसद दूबे की कथित डिग्री मामले की भी जांच कर रही है लेकिन अभी तक उसके बारे में कोई जानकारी सामने नहीं आई है। कथित डिग्री का मामला अदालत बी पहुंचा था।इंडियन एक्सप्रेस को यह भी पता चला है कि ड्राफ्ट रिपोर्ट में लोकसभा की प्रक्रिया और कामकाज के संचालन के नियमों के नियम 275 का उल्लंघन करने के लिए बसपा सांसद दानिश अली को भी चेतावनी दी गई है, जो संसदीय समितियों की कार्यवाही की गोपनीयता से संबंधित है। रिपोर्ट में दानिश अली सहित विपक्षी सांसदों के नामों का उल्लेख है, जिन्होंने इस महीने की शुरुआत में पिछली बैठक में पैनल के अध्यक्ष विनोद कुमार सोनकर के सवाल पूछने के तरीके पर आपत्ति जताई थी।गुरुवार 9 नवंबर को होने वाली एथिक्स कमेटी में एनडीए का बहुमत है। लेकिन पैनल में विपक्षी सदस्यों से अपेक्षा की जा रही है कि वे 15-सदस्यीय पैनल की सिफारिशों से असहमत होकर असहमति नोट पेश करेंगे। एथिक्स कमेटी में विपक्षी सदस्यों ने ही पिछली बैठक में महुआ से किए जाने वाले घटिया और गैर जरूरी सवालों पर आपत्ति जताई थी। कमेटी में एनडीए के कुछ सदस्यों ने महुआ से पूछा था कि उनके पास कितने जोड़ी जूते-चप्पल हैं।
मोइत्रा और विपक्ष के पांच सदस्य – दानिश अली, कांग्रेस के उत्तम कुमार रेड्डी और वी वैथिलिंगम, सीपीएम के पीआर नटराजन और जेडी (यू) के गिरिधारी यादव 2 नवंबर को एथिक्स पैनल की बैठक से बाहर चले गए थे। नलगोंडा से कांग्रेस सांसद रेड्डी ने कहा कि उन्होंने पैनल के अध्यक्ष सोनकर को 9 नवंबर की बैठक स्थगित करने के लिए लिखा है क्योंकि उन्हें तेलंगाना में अपना नामांकन दाखिल करना है।मोइत्रा ने भी मंगलवार को दावा किया था कि तेलंगाना से कांग्रेस सदस्य के नामांकन दाखिल करने वाले दिन पैनल की बैठक 6 नवंबर से बढ़ाकर 9 नवंबर को इसीलिए पुनर्निर्धारित की गई थी ताकि विपक्षी सदस्यों की संख्या कम हो सके।अपनी प्रतिक्रिया में, मोइत्रा ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में कहा, “मीडिया को मेरा जवाब: 1. सीबीआई को पहले 13,000 करोड़ रुपये के अडानी कोयला घोटाले पर एफआईआर दर्ज करने की जरूरत है। 2. राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा यह है कि कैसे संदिग्ध FPI स्वामित्व वाली (चीनी और संयुक्त अरब अमीरात सहित) अडानी कंपनियां @HMOIndia की मंजूरी के साथ भारतीय बंदरगाहों और हवाई अड्डों को खरीद रही हैं। फिर सीबीआई आपका स्वागत है, आइए, मेरा जूता गिनिए।” एक अन्य पोस्ट में उन्होंने कहा, “लोकपाल अभी जिंदा है।” लोकपाल वाली बात उन्होंने भाजपा सांसद दूबे के उस बयान पर कही, जिसमें उन्होंने बुधवार को कहा था कि लोकपाल ने सीबीआई जांच की सिफारिश की है।मोइत्रा से जुड़े कैश-फॉर-क्वेरी के आरोप पिछले महीने तब सामने आए जब दुबे ने दो पत्र लिखे। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला को लिखे पत्र में दावा किया गया था कि मोइत्रा ने हीरानंदानी समूह के हितों की रक्षा के लिए रिश्वत ली थी। दूसरे पत्र में आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव से आग्रह किया कि वे लोकसभा के लिए मोइत्रा के लॉग-इन क्रेडेंशियल के आईपी पते की जांच करें ताकि यह जांचा जा सके कि क्या उन तक किसी और ने पहुंच बनाई है।
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