महेंद्रगढ़ जिले के गांव कोटिया की सविता बनी महिला सशक्तिकरण की मिशाल, इस कहानी को जरूर पढ़े

 हिमाचल मंडी में लगे राष्ट्रीय मेले में  देसी घी के बाजरे के लडडू की मची धूम


रणघोष खास. सुभाष चौधरी


मिलिए महेंद्रगढ़ जिले के गांव कोटिया की 12 वीं पास सविता से। बीपीएल कार्डधारी है। पति अनिरूद्ध छोटे छोटे काम के लिए संघर्ष करते रहते हैं। दो बेटी व एक बेटा है। सभी स्कूल जाते हैं। परिवार को चलाने के लिए सविता ने दिसंबर 2021 में महेंद्रगढ कृषि विज्ञान केंद्र की प्रभारी पूनम यादव से बाजरे के उत्पाद लड्‌डू, मटर, नमकीन बनाने की ट्रेनिंग ली। महेंद्रगढ़ सहकारी बैंक, नाबार्ड व दी लार्ड कृष्णा एजुकेशन फाउंडेशन संस्था के सहयोग से सविता ने ब्रजेश्वर नाम से स्वयं सहायता ग्रुप बनाकर अपनी दो सदस्यों पूनम व सुमन के साथ मिलकर मिठाईयां बनानी शुरू कर दी लेकिन बाजार नहीं मिलने की वजह से उनका उत्साह एवं हिम्मत कमजोर पड़ता चला गया। वे चुपचाप शांत होकर अपनी रूटीन की जिंदगी में लौट गईं। 25 फरवरी को दी लार्ड कृष्णा एजुकेशन फाउंडेशन के अध्यक्ष रतीराम ने सविता को फोन किया हिमाचल प्रदेश की मंडी में एक माह से 7 दिन का राष्ट्रीय स्तर का मेल लग रहा है। नाबार्ड की तरफ से हमें स्टाल मिल जाएगी। ठंडा  इलाका होने की वजह से बाजरे के लडडू की बिक्री हो सकती है। सविता की जिंदगी में अपने व्यवसाय के लिए इतने दिनों के लिए बाहर निकलना पहला अवसर था। परिवार की सारी जिम्मेदारी उस पर थी। उसने अपने ग्रुप की सदस्यों से बातचीत की। सभी ने पारिवारिक जिम्मेदारियों के चलते जाने से मना कर दिया। बच्चों को बताया तो 12 वी में पढ़ रही बेटी दीक्षा व साक्षी ने कहा मम्मी बिजनेस को बढ़ाना है तो इस अवसर को नहीं छोड़ना। बच्चों से मिले हौसले को उनके पति अनिरूद्ध ने भी हां भरकर सहमति दे दी और अपने भतीजे प्रियांशु के साथ जाने के लिए तैयार  हो गए। लडडू बनाने के लिए उसके पास कोई राशि नहीं थी। रतिराम ने 80 किलो लडडू व अन्य मिठाईयों के लिए सामान मुहैया करवाया। ग्रुप व परिवार के सदस्यों ने चार दिनों में बाजरे के उत्पाद तैयार किए। एक मार्च को सविता अपने भतीजे के साथ रोडवेज बस में हिमाचल प्रदेश की मंडी में लगे मेले में पहुंच गईं। यह उसकी जिंदगी का पहला अनुभव था। देशभर के राज्यों से स्टालें लगी हुई थी। सविता अपने हरियाणा लहजे से लडडू बेचने शुरू किए। बाजरे की गुणवत्ता, ताकत एवं पोषकता के बारे में लोगों को बताया। इस तरह इस महिला ने हिम्मत दिखाकर सात दिनों में 70 किलो से ज्यादा लडडू एवं अन्य मिठाईयां बेच दी। 9 मार्च को अपने घर लौटी सविता के चेहरे पर गजब का आत्मविश्वास व बाजार के मिजाज को समझने का अनुभव साफ नजर आ रहा था। सविता ने कहा कि अब वह पीछे मुडकर नहीं देखेगी। देश में जहां भी मेले लगेंगे वह जरूर स्टाल लगाएगी। उसका लक्ष्य अब शुगर फ्री मिठाइयां भी तैयार करना है।

WhatsApp Image 2022-03-10 at 2.19.10 PMचट्‌टान की तरह साथ मिला पति का


आमतौर पर स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाओं के बिजनेस का भविष्य उसके पति की सोच से तय होता है। इसलिए वे चाहकर भी घर से बाहर जाकर व्यापार नहीं कर पाती है। इस मामले में सविता के पति अनिरूद्ध चटटान की तरह अपनी पत्नी के साथ रहे। अनिरूद्ध ने कहा कि सविता का साथ हम नहीं देंगे तो कौन देगा। मेरा हमेशा यह प्रयास रहेगा कि उसे अपने व्यवसाय में बढ़ने के लिए कोई दिक्कत नहीं आए।

  

परिवार का साथ नहीं मिलने पर आगे नहीं  बढ़ पाती है महिलाएं


 रेवाड़ी- महेद्रगढ़ समेत लगभग सभी जिलों में चल रहे स्वयं सहायता समूह में अमूमन 90 प्रतिशत परिवार व समय पर बाजार की ताकत नहीं मिलने से एक दायरे में सिमट कर रह जाते हैं।

 लोकल इस वोकल के विजन ने बदली सोच, रेवाड़ी में खुल रहा स्टोर


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पिछले दो सालों में कोविड-19 हमलों के बाद केंद्र एवं राज्य सरकार का सहकारी क्षेत्रों में लोकल इज वोकल विजन को मजबूत आधार बनाकर आत्मनिर्भर भारत बनाने के विजन को मजबूत करने में बैंक के महाप्रबंधक प्रशांत यादव, नाबार्ड कलस्टर इंचार्ज विजय राणा एवं रेवाड़ी के डीडीएम जगदीश परिहार के मार्गदर्शन से दी लार्ड कृष्णा एजुकेशन फाउंडेशन संस्था रेवाड़ी शहर में नई तहसील के सामने नजदीक कर्नल महासिंह चौक स्थित स्टोर खोलने जा रही है। इस स्टोर को बाजार में एक नेशनल मॉडल के तौर पर तैयार किया जाएगा। स्टोर में उन सभी महिलाओं के उत्पादों को रखा जाएगा। यहां से अलग लग कार्यक्रमों एवं योजनाओं के तहत इन उत्पादों को डिमांड एवं सप्लाई के आधार पर घरों में पहुंचाया जाएगा। दैनिक रणघोष इस विजन में मीडिया एवं ब्रांडिंग के तौर पर अपनी सेवाएं देगा। यह स्टोर मार्च माह में बनकर तैयार हो जाएगा। इसे पूरी तरह से महिलाएं ही संचालित करेंगी। इसमें घरों में बनने वाले उत्पाद ही होंगे। इसलिए स्टोर का नाम घर जैसी बात रजिस्टर्ड किया गया है।

 स्वस्थ्य शरीर के लिए रामबाण है बाजरे के लडडू


बाजरे में बहुत सारे स्वास्थ लाभ होते हैं, इसलिए डॉक्टर भी हेल्दी डायट में बाजरे का उपयोग करने की सलाह देते हैं। गेंहू, चावल और बाकी अनाज की तरह ही खेतों में बाजरे को भी उगाया जाता है। बाजरे की खेती राजस्थान, बिहार, उत्तरप्रदेश, हरियाणा, पंजाब आदि कई राज्यों में होते हैं।बाजरे की खिचड़ी, लड्‌डू, मटर, नमकीन, रोटी, चीला या फिर हलवा बनाकर खा सकते हैं। बाजरे में कई सारे पोषक तत्व होते हैं। यह कैल्शियम, मैगनीज, फास्फोरस, फाइबर, मैग्नीशियमविटामिन बी और  कई तरह के एंटीआक्सीडेंट्स से भरपूर होता है। इसके सेवन से सिर्फ शरीर में ऊर्जा बनी रहती है बल्कि भरपूर पोषण भी मिलता है।

बाजरा खाने के उपयोग और फायदे


पाचन क्रिया को रखें दुरुस्त बाजरे में भरपूर मात्रा में फाइबर पाया जाता है जो पाचन क्रिया को दुरुस्त रखने में मदद करता है। अगर आपको कब्ज की समस्या है तो अपने डायट में बाजरे को शामिल करें।

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