माता-पिता जीवनभर संघर्ष में तपते रहे, नमन करती हूं अपने स्कूल को जिसने यह अहसास करवाया

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राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय बावल की छात्राएं बता रही हैं


WhatsApp Image 2021-04-07 at 8.13.10 PMरणघोष खास. कंचन स्वामी की कलम से


मेरा नाम कंचन स्वामी है। पिता का नाम सीताराम स्वामी और माताजी का नाम सुशीला देवी है। मेरे पापा दादी- दादा के गोद आए थे। पापा 10 वीं तक और मम्मी 8 वीं तक ही स्कूल जा पाईं। हम परिवार में 7 सदस्य है। जब घर में बड़ी दीदी हुई तो दादी बहुत खुश हुईं। दादाजी अपने पीछे ऐसा कुछ नहीं छोड़कर गए जिससे पारिवारिक स्थिति को संभाला जा सके। मम्मी- पापा ने दिन राज मेहनत करके नया घर बनाया। उसके लिए भी उन्होंने कर्जा लिया। मेरा भाई बहुत कम बोलता है और दिमाग भी बहुत कम चलता है। मम्मी- पापा ने पारिवारिक जिम्मेदारियों के लिए खुब मेहनत की। उन्हें किसी का कोई सहारा नहीं मिला। वे अपने बच्चों की पढ़ाई को लेकर बहुत चिंतित रहते थे। वे कितनी ही तकलीफों में रहे लेकिन हमारी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए उन्होंने कभी मना नहीं किया। हम तीन बहन और दो भाई है। सबसे बड़ी बात मम्मी- पापा ने बेटों से बढ़कर हम बहनों को प्यार दिया। उन्हें कभी आराम करते हुए नहीं देखा। मै अपने लेख के माध्यम से यह संकल्प लेते हुए विश्वास दिलाती हूं कि जीवन में उन्हें खुशी देने के लिए कड़ी मेहनत करूगी। मै अपने स्कूल के प्रति कृतज्ञ हूं जिन्होंने हमें अहसास कराया कि पढ़ाई से ज्यादा बेहतर इंसान बनकर दिखाओ। जीवन में सबकुछ मिलता चला जाएगा।

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