राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय बावल की छात्राएं बता रही हैं
मेरा नाम ईशिका है। मम्मी का नाम ओमवती और पिता का नाम राजेश है। मेरे दादाजी बहुत बीमार रहते थे इसलिए पिताजी केवल 7 वीं तक पढ़ाई कर पाए। बचपन में हीं उन पर परिवार की जिम्मेदारी आ गईं। वे मजदूरी कर परिवार को चलाते आ रहे हैं। मम्मी- पापा की शादी के एक महीने बाद दादाजी की मृत्यु हो गईं। हम तीन भाई बहन है। हमारे मम्मी- पापा हमारी पढ़ाई एवं अन्य तरह के खर्चों को उठाने के लिए अभी तक दिन रात मेहनत करते हैं। वे हमारी बेहतरी के लिए डांटते भी हैं तो हमें बुरा नहीं लगता क्योंकि हमने उन्हें मेहनत करते हुए देखा है। सबसे बड़ी बात बताती हूं। हम अपने भाईयों से ज्यादा प्यार मिलता है। मम्मी हमारी छोटी सी परेशानी को तुरंत पकड़ लेती है और पूछकर उसे खत्म कर डालती है। हमें घरों के काम से दूर रखती है लेकिन हम बहनें बराबर हाथ बंटाती है। घुटनों से रेंगते- रेंगते कब पैरो पर खड़ी हुई, तेरी ममता की छांव में जाने कब बड़ी हुईं। काला टीका दूध मलाई आज भी सबकुछ वैसा है। मै ही मै हूं हर जगह, प्यार ये तेरा कैसा है। सीधी साधी भोली भाली मै ही सबसे अच्छी हूं, कितनी भी हो जाऊ बड़ी मां, मै आज भी तेरी बच्ची हूं।