यह झूठ का गजब आत्मविश्वास, जिसका दावा हम ऊपर वाले से डरते हैं..

रणघोष खास. प्रदीप नारायण

यह सृष्टि पर  झूठ-छल- कपट में नहाया झूठ का सबसे खुबसूरत बनावटी व दिखावटी सच  है कि हम ऊपरवाले से डरते हैं। इस एक झूठ ने धरती पर इंसानी जज्बात, मानवता- इंसानियत को बेचने ओर खरीदने का सबसे बड़ा कारोबार खड़ा कर दिया। सोचिए विचारिए और मंथन करिए।  जब बेईमानी कर रहे होते हैं क्या उस समय ऊपरवाले का डर महसूस होता है। हरगिज नहीं। जब पकड़े जाते हैं तो एकाएक हमारा झूठ उसे याद करने लग जाता है। तमाम भौतिक सुख सुविधाओं में जीवन जी रहे होते हैं तो क्या उस समय उसके बनाए मार्ग पर चलते है। हरगिज नहीं।  औलाद जब नालायक निकलती है या कारोबार इधर उधर होने लगता है तो  तो ऊपर वाले के सामने यही झूठ अपनी किस्मत पर आंसू बहाने का नाटक करना शुरू कर देता  हैं। अपने गिरेबां में झांकने तक नहीं देता। अपने व्यवसाय में तमाम तरह की बेईमानी, मिलावट, झूठ, छल कपट करते हैं। ऐसा करते समय एक बार भी ऊपर वाला याद नहीं आता ।  जब पकड़े जाते हैं तो सुबह शाम उसके दरबार में बचाने यही झूठ गुहार लगाते नजर आता  हैं। बाबू, अधिकारी, नेता, पत्रकार, धर्म गुरु, पुलिस, अधिवक्ता, डॉक्टर्स, शिक्षक जिसका सार्वजनिक जीवन समाज की बेहतरी के लिए समर्पित होना चाहिए।  अपनी कर्तव्यनिष्ठा के नाम पर तरह तरह का प्रचंड, डर व परेशानी पैदा लूट खसोट करते  हैं। ऐसा करते समय मजाल ऊपरवाला याद आ जाए । जब निजी जिंदगी में अलग अलग तरह के संकट आने शुरू हो जाते हैँ इसी झूठ को हर पल आंखों के सामने ऊपरवाला नजर आने लगता है। अगर सच में हम उससे डरते हैँ तो कोर्ट में गीता पर हाथ रखकर झूठी शपथ नहीं लेते। सुबह- दोपहर शाम पूजा पाठ अरदास करने के बाद अपनी दिनचर्या में एक दूसरे के साथ झूठ- धोखा एवं बेईमानी- पांखड नहीं करते। यह झूठ का अपना गजब आत्मविश्वास है जो बार बार दंडित होने के बाद भी यह दावा करता है कि हम ऊपर वाले से डरते हैं..

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