यूक्रेन से लौटे एमबीबीएस छात्रों ने सीएम मनोहर लाल से लगाई मदद की गुहार

 कालेजों में 5% सीटें बढ़ाने से समायोजित हो जाएंगे सभी छात्र


रूस और यूक्रेन में छिड़ी लड़ाई के कारण पढ़ाई बीच में छोड़ने को मजबूर हुए प्रदेश के एमबीबीएस छात्रों ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल से उनकी मदद को आगे आने की गुहार लगाई है।पीड़ित छात्रों और उनके अभिभावकों ने एक पत्र लिखकर मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर से आग्रह किया है कि यूक्रेन से वापस लौटे छात्रों का भविष्य अधर में लटक गया है और इन छात्रों के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए उनकी मदद की बेहद अहम जरूरत है।युक्रेन से लौटे मेडिकल छात्रों का कहना है कि प्रधानमंत्री मोदी और हरियाणा के सीएम लाल की सकारात्मक भूमिका के कारण वे सुरक्षित भारत लौटने में सफल रहे हैं। अगर केंद्र और प्रदेश सरकार इसी तरह सकारात्मक रुख अपनाते हुए उनके शैक्षणिक कैरियर को बचाने के लिए सहयोग करेंगी तो समस्या आसानी से सुलझ सकती है। मेडिकल छात्रों ने विवरण देते हुए कहा कि यूक्रेन से लौटे 21000 छात्रों में से लगभग 14000 मेडिकल के छात्र हैं। यूक्रेन में एमबीबीएस 6 साल की होती है जबकि भारत में साढे 4 साल की होती है। मेडिकल छात्रों को 6 साल में बांटने पर प्रति वर्ष के छात्रों की संख्या लगभग 3500 के करीब बैठती है। भारत में लगभग 64000 मेडिकल की सीटें हैं। आगर कॉलेजों में 5 प्रतिशत सीटें बढ़ा दी जाएं तो सभी मेडिकल के छात्र एडजैस्ट हो सकते हैं। छात्रों ने कहा कि जिस तरह से उड़ीसा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मेडिकल छात्रों की समस्या को लेकर केंद्र सरकार को पत्र लिखे हैं उसी तरह हरियाणा सरकार को भी केंद्र सरकार से इस मामले में सकारात्मक भूमिका निभाने का काम करना चाहिए। मेडिकल छात्रों का कहना है कि अगर केंद्र सरकार स्वास्थ्य मंत्रालय को कहकर नई पोलिसी बनाकर कॉलेजों में सीटें बढ़ा दे तो मुश्किल के दौर से गुजर रहे छात्रों का कैरियर खराब होने से बच जाएगा।  छात्रों का कहना है कि हरियाणा की सरकार ने छात्रों को सुरक्षित वापसी में अहम भूमिका निभाई है अब यह छात्र पढ़ाई को जारी रखने में भी मुख्यमंत्री मनोहर लाल की मदद चाहते हैं ।पीड़ित छात्रों ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल से केंद्र सरकार को पत्र लिखकर उनकी मदद के लिए शीघ्र नई पॉलिसी बनवाने की गुहार लगाई है। पीड़ित छात्रों के अभिभावकों का कहना है कि पढ़ाई बीच में रुक जाने के कारण इस समय सभी मेडिकल छात्र बेहद मानसिक तनाव के दौर से गुजर रहे हैं। ऐसे में अगर सरकार उन्हें भारतीय कॉलेज में अड़जैस्ट कर देती है तो उनका भविष्य खराब होने से बच जाएगा।

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