रणघोष अपडेट. देशभर से
क्या इसकी कल्पना की जा सकती है कि देश में प्रति 100 युवाओं में से 25 को कोई काम ही नहीं मिले या फिर किसी राज्य में तो 100 में से 47 युवाओं के पास कोई काम ही नहीं हो! पाँच ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था, विश्व गुरु बनने का सपना क्या ऐसे पूरा हो सकता है जिसमें इतनी बड़ी आबादी बिना किसी काम के बैठी हो?भले ही इस सवाल की शक्ल कल्पनात्मक लगे, लेकिन देश में बेरोजगारी की सचाई ऐसी ही भयावह है। सरकारी आँकड़े ही इसकी तस्दीक करते हैं। ताज़ा आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण के अनुसार, 2021 की अप्रैल-जून तिमाही में देश भर के शहरी क्षेत्रों में युवा बेरोजगारी तेजी से बढ़कर 25.5% हो गई और उसके बाद भी दोहरे अंकों में बनी रही। रिपोर्ट में कहा गया है कि कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर ने आर्थिक गतिविधियों को प्रभावित किया और नौकरियों पर गंभीर प्रभाव डाला। यही वजह रही कि शहरी क्षेत्र में युवाओं में बेरोजगारी दर दहाई अंक में बनी रही।सर्वेक्षण में शामिल सभी 22 राज्यों में 15-29 आयु वर्ग में दो अंकों में बेरोजगारी दर रही। कई राज्यों में तो युवा बेरोजगारी दर बेहद ज़्यादा रही। सर्वेक्षण के अनुसार, केरल में इस वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही में 15-29 वर्ष आयु वर्ग में सबसे अधिक 47% बेरोजगारी दर थी। हालाँकि, दिल्ली, कर्नाटक, असम, पंजाब और ओडिशा में बेरोजगारी दर पिछली तिमाही से कम रही लेकिन फिर भी दोहरे अंकों में बनी रही।2020 की अप्रैल-जून तिमाही में समग्र युवा बेरोजगारी दर बढ़कर 34.7% हो गई थी। यह वह समय था जब महामारी की पहली लहर आई थी और तब विकास व नौकरियों पर इसका भारी असर पड़ा था। टीओआई की रिपोर्ट के अनुसार 2021-2022 की जून तिमाही के लिए देश में सभी उम्र में समग्र बेरोजगारी दर पिछली तिमाही में 9.3% से बढ़कर 12.6% हो गई थी। हालाँकि, बाद में हालात थोड़े सुधरे। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी यानी कि सीएमआईई ने पिछले महीने कहा था कि भारत की बेरोजगारी दर जनवरी 2022 में गिरकर 6.57% हो गई है। यह मार्च 2021 के बाद का सबसे कम आँकड़ा है। ऐसे हालात में भी यदि राजनीतिक दल बेरोजगारी के मुद्दे नहीं उठा पा रहे हों तो इसका मतलब यह क़तई नहीं है कि इसका असर नहीं हुआ है। कई ऐसी रिपोर्टें सामने हैं जिससे अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि देश में यह कितनी भयावह समस्या है। बेरोजगारी के असर से आत्महत्या बढ़ने के मामले भी आए हैं।