रणघोष की सादर अनुरोध के साथ अपील, एक दूसरे को जरूर शेयर करिए

30 को जो भी फैसला आए वह भाइचारे से छोटा रहेगा, इसलिए रिलैक्स, टेंशन का बहिष्कार करिए


रणघोष खास. वोटर की कलम से


30 दिसंबर का दिन नगर परिषद रेवाड़ी एवं नगर पालिका धारूहेड़ा चुनाव का  फैसला सुनाने जा रहा है. चुनाव में खड़े प्रत्याशियों ने तमाम मुद्दों पर अपनी बात रखी। एक दूसरे पर हमला किया। विवाद भी हुए। जितना कहना था, सुनना था, लिखना था, वह सब हो चुका है। झूठ और सच सब कुछ कहा जा चुका है। तरह- तरह की बातें कहीं गईं। हम या आप किसी बात से अनजान नहीं हैं। अब हम सभी को 30 दिसंबर को आने वाले फैसले का खुले दिन से स्वागत करना चाहिए। यही हार-जीत से बड़ी उपलब्धि साबित होगी। रेवाड़ी- धारूहेड़ा की जनता इस बार  भी यह साबित कर देगी। ठीक है, हम बहस करते हैं. मुद्दों को लेकर भिड़ते रहते हैं, लेकिन जब मोहब्बत साबित करने की बारी आएगी, तो हम मोहब्बत साबित करेंगे। हर्ष करना है, मलाल रखना है. जिसके हिस्से में फैसला आए, उसी में शामिल हो जाइए। आपसी भाईचारा- प्रेम- मानवता और इंसानियत किसी भी फ़ैसले से बहुत बड़ी है। इसलिए सामान्य रहिए. फ़ैसले को सुनिए. बातें भी कीजिए, लेकिन संतोष मनाइए कि यह चुनाव ख़त्म हो रहा है। हमें अपने भाई चारे को और ऊंचा मक़ाम देना है. अच्छे विकास के काम करवाने हैं। हमें बहुत कुछ करना है।  राजनीति ऐसी बनानी है जिसमें पांखड, चालाकी एवं मक्कार नहीं मूल्य नजर आए। बहुत कुछ करना है। कोरोना में बहुत से युवाओं की नौकरियां चली गईं। लोगों के बिज़नेस डूब गए।  नौजवानों का जीवन बर्बाद हो रहा है। हम सबको इन सवालों पर जल्दी लौटना होगा। इसलिए दिलों में दरार आए। बांहों को फैलाकर रखिए। कोई हाथ मिलाने आए, तो खींचकर गले लगा लीजिए। इस चुनाव को हम मोहब्बत का मक़ाम देंगे।  हम बाक़ी ज़िम्मेदारियों में फेल हो चुके नेताओं को ग़लत साबित कर देंगे।  राजनीति को छोटा साबित कर देंगे। हम आम लोग यह साबित कर देंगे कि हम वही हैं। पूरा भरोसा है कि 30 दिसंबर के बाद लोग सामान्य रहेंगे और अपने अपने काम पर जुट जाएंगे। गीता में समभाव की बात कही गई है. समभाव मतलब भावनाओं को संतुलित रखना। एक समान रखना। चुनावी.फ़ैसले को लेकर जो भी विश्लेषण छपे, उसे सामान्य रूप से पढ़िए. भावुकता से नहीं। जानने के लिए पढ़िए. याद रखने के लिए पढ़िए। हार या जीत के लिए नहीं। पसंद आए, तो धमकाना नहीं है और पसंद आए, तो नाचना नहीं है। सच कहने का वातावरण भी आपको ही बनाना है. साहस और संयम का भी। फैसले के समय किसी नेता की बात मत सुनिए. किसी के चिल्लाने से तनाव मत लीजिए। मुस्कुराइए. जो घबराया हुआ मिले, उसे पकड़कर चाय पिलाइए. कहिए रिलैक्स, टेंशन मत लो उसका बहिष्कार करो।

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