रणघोष की सीधी सपाट बात : हरियाणा में कांग्रेसी भ्रम में जी रहे हैं, भाजपा खत्म करने में लगी

– इसलिए राजनीति रोज चरित्र बदल रही है।


रणघोष खास. सुभाष् चौधरी

हरियाणा कांग्रेस पार्टी के नेता इन दिनों भ्रम की राजनीति कर रहे हैं। उन्हें लगता है कि भाजपा विशेषतौर से मुख्यमंत्री मनोहरलाल के काम करने के तौर तरीकों के खिलाफ लोगों में गुस्सा बढ़ता जा रहा है। जिसका सीधा फायदा उन्हें वोट बैंक के तौर पर घर बैठे मिल जाएगा। दरअसल भाजपा राजनीति की सबसे बड़ी प्रयोगशाला बन चुकी है। इसमें शीर्ष से लेकर सबसे अंतिम पायदान पर खड़े कार्यकर्ता को कब क्या जिम्मेदारी मिल जाए। किसी को भनक तक नहीं लगती है। मध्यप्रदेश में सांसदों को विधायक बनने का फरमान जारी हो गया। जाहिर है मोदी लहर में बिना मशक्कत किए सासंद बनने वाले नेताओं की असली परीक्षा अब होगी। एमपी में  शिवराज चौहान व राजस्थान में वसुधंरा राजे सिंधिया सीएम का चेहरा नहीं रहेंगे। यानि भाजपा प्रयोगशाला में सबसे पहले भ्रम जैसी बीमारी का इलाज होता है। कांग्रेस में इससे उलट है। हरियाणा में कांग्रेस की मौजूदा हालत से इसे समझा जा सकता है।  यहां के नेता सुबह शाम सोते जागते भ्रम में नहाए रहते हैं। उन्हें लगता है कि उनके बिना पार्टी का वजूद ही खतरे में पड़ जाएगा। इसलिए आधी से ज्यादा ऊर्जा रूठने मनाने पर बर्बाद हो रही है। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिह हुडडा व सांसद दीपेंद्र हुडडा जहां से खड़े होते हैं वहीं से कांग्रेस की जमीन करवट लेना शुरू कर देती है। वे आगे बढ़ते हैं तो पार्टी दौडने लगती है। चुप रहते हैं तो कांग्रेस में सन्नाटा छा जाता है। थोड़ी पीछे हटने लगते हैं तो पार्टी में खलबली मचना शुरू हो जाती है। ऐसा हुडडा समर्थकों की फौज सोशल मीडिया व अपने प्रचार तंत्र से इसका अहसास कराती रहती है। इसी पार्टी में ही  हुडडा विरोधी खेमें की यही हालत है बस किरदार बदले हुए हैं। पार्टी  के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला मध्यप्रदेश प्रभारी के तौर पर अगर कांग्रेस को दो माह बाद होने वाले चुनाव में जीताने में कामयाब हो जाते हैं तो जाहिर है हरियाणा की राजनीति में हाईकमान उन्हें बड़ा तोहफा दे सकती है। जैसा की यह दावा किया जा रहा है। इसी तरह कुमारी शैलजा छत्तीसगढ़ से मिली सफलता, किरण चौधरी राजस्थान में बेहतर प्रदर्शन के आधार पर हरियाणा में शानदार ईनाम की हकदार रहेगी। ऐसा होने पर ऐसा होने के पूरे आसार है। इसी भ्रम में कांग्रेसी नेता अपने समर्थकों की सेना के साथ बजाय सत्ताधारी सरकार पर हमला करने के एक दूसरे पर ज्यादा चढ़ाई करते हुए नजर आ रहे हैं। इंडिया गठबंधन में इनेलो के साथ तालमेल को लेकर पार्टी हाईकमान ओर कांग्रेस नेताओं में टकराव होना यह जाहिर करता है कि पार्टी जिसकी लाठी उसकी भैस के हिसाब से चल रही है। भाजपा में ऐसा हरगिज नहीं है। पार्टी संगठन के तौर पर 24 घंटे विस्तारीकण पर फोकस कर रही है। किस पदाधिकारी, नेता, विधायक सांसद का उपयोग कब  कहां लेना है उसके खाके पर जिम्मेदारी सौंपी जा रही है। इसी वजह से भाजपा सरकार की अनेक खामियों को बेहद ही चालाकी व समझदारी से  पानी के बबुले की तरह उठाकर खत्म किया जा रह है। भाजपा पूरी तरह से प्रबंधन एवं टीम वर्क को ताकत बनाकर आगे बढ़ रही है तो कांग्रेस में नेता ही खुद को मैनेजमेंट मानकर अपने हिसाब से ही पार्टी की दिशा व दशा तय कर रहे हैं। भिवानी में किरण चौधरी महेंद्रगढ़ में राव दान सिंह, सोनीपत- रोहतक, झज्जर, दादरी समेत आधे से ज्यादा जिलों में हुडडा परिवार, रेवाड़ी व गुरुग्राम में पूर्व मंत्री कप्तान अजय सिंह यादव, हिसार- सिरसा- अंबाला में कुमारी शैलजा, कैथल- जींद बैल्ट में रणदीप सिंह सुरजेवाला ही पार्टी की विचारधारा बनकर राजनीति कर रहे हैं। यहां तक की अभी से अपने हिसाब से टिकट भी लेते ओर बांटते जा रहे हैं। कोसली में पूर्व मंत्री जगदीश यादव के पार्टी में शामिल होते ही यह नजारा सामने आ गया है।  भाजपा में किसी छोटे बड़े नेता की हिम्मत नहीं कि वह सार्वजनिक तौर पर यह दावा कर सके कि टिकट उसे ही मिलेगी।  जाहिर है इस तरह की भ्रम राजनीति का खामियाजा कांग्रेस को आपसी लड़ाई में  भुगतना पड़ेगा। कुल मिलाकर भाजपा अपनी राजनीति प्रयोगशाला में भ्रम को खत्म कर रही है और कांग्रेसी इसे अपनी राजनीति खुराक मानकर इतरा रहे हैं। इसी मानसिकता के चलते राजनीति हर रोज अपनी चाल- चरित्र को बदल रही है।

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