भाजपाईयों के पास एक दूसरे के कारनामों का चिट्ठा, विजिलेंस की जरूरत नहीं
रणघोष खास. सुभाष चौधरी
भाजपा हाईकमान व सरकार यह ठान ले की उसे भ्रष्टाचार को जड़ से खत्म करना है तो उसे खुफिया या विजिलेंस टीम की जरूरत नहीं है। हरियाणा में जिला एवं विधानसभा स्तर पर भाजपाईयों में ऐसी पोजीशन बनती जा रही है कि अगर एक-एक से निजी तौर पर बातचीत की जाए तो सभी के पास एक दूसरे के कारनामों का चिट्ठा आसानी से मिल जाएगा। कोसली विधानसभा से विधायक लक्ष्मण सिंह यादव ने पंचायत विभाग के दो कनिष्ठ अभियंताओं के तबादले के लिए सीएम को पत्र क्या लिखा कि कोसली विधानसभा से ही ऐसे अनेक खुलासे भाजपाईयों द्वारा उजागर किए जाने लगे। विकास कार्यों को लेकर किए जाने वाले कार्यों का टेंडर सबसे ज्यादा किस ठेकेदारों को धड़ाधड़ मिल रहा है। इसकी सरकारी सूची ही जारी कर दी गईं। अब जरूरतमंद लोगों के मकान बनाने के लिए दी जाने वाली 80 हजार रुपए की ग्रांट का मसला जोर पकड़ने लगा है। बताया जा रहा है कि यह राशि भाजपा के पदाधिकारियों एवं कार्यकर्ताओं को ही बांट दी गईं। हालांकि अभी इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है लेकिन इस तरह से दावा किया जा रहा है। उस आधार पर जांच होने पर ही दूध का दूध पानी का पानी सामने आएगा। भाजपाईयों के एक धड़े का कहना है कि विकास के नाम पर बहुत कुछ ऐसा अनाप शनाप हो रहा है जिसकी सूचना हाईकमान के पास भी जा चुकी है। अनुबंध पर लगने वाली नौकरियों में भी 20 से 30 हजार रुपए तक की वसूली हो रही है। यह सारा खुलासा किसी एजेंसी के माध्यम से नहीं खुद भाजपाईयों द्वारा ही मीडिया के कार्यालयों तक पहुंचा जा रही है। भाजपा पदाधिकारियों का कहना है कि अगर सरकार गंभीरता से प्राप्त हो रही शिकायतों की निष्पक्ष जांच कराए तो चारों तरफ भ्रष्टाचार की बदबू ही नजर आ रही है। कुल मिलाकर यह देखना है कि सरकार उठ रही इन आवाजों को किस तौर तरीकों से लेती है या रूटीन की तरह दबा देती है। अगर रफा दफा करने का प्रयास किया तो कार्यकर्ताओं एवं पदाधिकारियों का एक धड़ा पार्टी के अंदर विस्फोटक स्थिति पैदा कर सकता है। इनका कहना है कि आटे में नमक चल सकता है लेकिन यहां तो नमक में आटा मिलाया जा रहा है। अगर कार्रवाई होती है तो भाजपा के लिए भ्रष्टाचार पर सार्वजनिक बात करना मुश्किल हो जाएगा।