रणघोष की सीधी सपाट बात

खेड़ा बॉर्डर पर धरना दे रहे किसानों को ना छेड़े, टिकैत के आंसुओं से सबक ले 


  किसान आंदोलन की तपिश अब देश के चारों तरफ तेजी से फैल चुकी है। रविवार को जयपुर- दिल्ली नेशनल हाइवे पर राजस्थान की खेड़ा बार्डर पर धरना दे रहे किसानों को हटाने के लिए वहीं हरकतें की जा रही हैं जो दो दिन पहले सिंधु एवं गाजीपुर बॉर्डर पर की गईं। नतीजा सभी के सामने हैं। यह मसला बेहद संवेदनशील हो चुका है। पीएम नरेंद्र मोदी की एक कॉल की टिप्पणी से इसे समझा जा सकता है। खेड़ा बार्डर पर धरना देने वाले किसान है। इसे अलग नाम देने वाले पहले यह सोच ले जो गलतियां दिल्ली की सीमाओं पर हुई है वह यहां भी दोहराई जा सकती है। किसान नेता राकेश टिकैत  की आंखों से आंसू क्या निकले अभी तक शांत नजर आ रहे पश्चिम उत्तर प्रदेश आक्रोश में बदल चुका है। यही स्थिति खेड़ा बार्डर की भी बन सकती है  अगर दोनों तरफ से बिना सिर पैर की बात करने वाले अपनी हरकतों से बाज नहीं आए तो। आज परेशान स्थानीय लोग नहीं हर कोई मौजूदा हालात से लड़ रहा है। सरकार ने शांति व्यवस्था के मद्देनजर इंटरनेट सेवाएं तीन दिन के  लिए बंद कर दी। वह भी सभी के लिए परेशानी का सबब बनी। यह सब हालात को काबू में करने के लिए किया जा रहा है। यह हरगिज नहीं भूलना चाहिए कि सोशल मीडिया पर आकर विरोध एवं पक्ष में जो लोग उकसाने के लिए बिना सोचे समझे मन में जो आए भड़ास निकाल रहे है। समझ जाइए वह समाज का सभ्य एवं जिम्मेदार नागरिक नहीं हो सकते। कानून व्यवस्था बनाए रखना जिला प्रशासन का जिम्मा है। स्थानीय का नाम देकर आंदोलन के खिलाफ गुस्सा दिखाने वाले अल्टीमेटम, देख लेंगे जैसे शब्दों से बचकर चले। ऐसा करके वे आंदोलन को उग्र करने का काम कर रहे हैं। उन्हें नहीं भूलना चाहिए कि दक्षिण हरियाणा इसलिए शांत है क्योंकि आपसी सामांजस्य मजबूत है।     

 

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