रणघोष की सीधी सपाट बात

भारत भ्रमण पर जाना, अधिकारियों का अचानक बीमार होना यह चुनाव है या सर्कस..


रणघोष खास. सुभाष चौधरी


लोकतंत्र की सबसे छोटी एवं मजबूत पंचायती राज चुनाव में चेयरमैन बनाते समय चुने गए जन प्रतिनिधियों का अचानक भारत भ्रमण पर चले जाना, होटल में छिपकर रहना ओर चुनाव के दिन अचानक अधिकारी का बीमार होकर छुटटी पर चले जाना। यह क्या साबित करता है। क्या यही जनता के वोटों से चुने गए जनप्रतिनिधियों एवं प्रशासन की तरफ से कराए गए चुनाव का असली चेहरा और चरित्र है। अगर ऐसा हीं करना है तो बेहतर होगा कि इस व्यवस्था को ही पूरी तरह से बंद कर देना चाहिए। कम से कम लोकतंत्र के नाम पर यह भद्दा मजाक तो नहीं होगा।

इस तरह के चुनाव के समय जो राजनीतिक पार्टियां विपक्ष में हैं वे सत्ताधारी पार्टी पर इस तरह के माहौल को लोकतंत्र की हत्या बताकर आरोप लगाती है। जब यही विपक्षी सत्ता में होते है वह भी यही करते है। इस तरह की व्यवस्था में बदला कुछ नहीं बस चेहरे बदलते रहते हैं। रेवाड़ी जिले में बावल एवं धारूहेड़ा खंड समिति चेयरमैन बनाने को लेकर 5 जनवरी को दिन भर जो ड्रामा चला वह सर्कस की तरह था जिसमें जोकर नेता की तरह कई चेहरे बदलकर अपना अभिनय दिखाकर तालिया बटोर कर चला जाता है। चुनाव के समय अधिकारियों का छुटटी पर चले जाना उनकी मजबूरी के अलावा कुछ नहीं है। इसके उन्हें फायदे भी है। वह पक्ष- विपक्ष की राजनीति का शिकार होने से बच जाता है और अचानक घर पहुंचकर परिवार को सरप्राइज दे देता है। ऐसे में अगर कोई नियमों पर चलने का प्रयास करता है तो उसे प्रभावशाली नेता का शिकार होने का डर बना रहता है। इसी तरह चेयरमैन बनने की चाह रखने वाले को भी असरदार नेता के नियम कायदों की प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। अगर वह धन बल से हैं तो उसे केवल बड़ा आशीर्वाद चाहिए। बहुमत की सारी व्यवस्था वह खुद कर लेता है। अगर उसके पास धन बल नहीं है तो उसे पूरी तरह वहीं करना है जो उनके नेता जी कहते हैं। छोटे चुनाव में जीतकर आने वालों में अधिकांश धन बल से वंचित रहते हैं इसलिए वे भारत भ्रमण या कहीं भी ठहरने में इसलिए परेशानी या हिचक महसूस नहीं करते क्योंकि आने वाले समय में धन ओर बल इसी रास्ते से मिलता है। अगर यह बात गलत है तो चुनाव के समय लुक्का छिपी का यह खेल क्यों होता है। जाहिर है जनता के वोटों से बने जनप्रतिनिधियों में शायद ही कोई इससे अछूता रह पाता है। ऐसे माहौल में  किसी का चेयरमैन बनना लोकतंत्र प्रणाली का मजाक उड़ाकर किसी व्यवस्था की औपचारिकता पूरी करना होता है। इसलिए सर्कस को देखना ओर ऐसे चुनाव का होना जोकर- नेता के एक ही चरित्र को साबित करता है इसलिए इस पर ताली बजाने के अलावा कुछ नहीं रहता।

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