रणघोष की सीधी सपाट बात

डॉक्टरों की हड़ताल बताती है मरीजों की जिंदगी उनके लिए बंद फाइल के अलावा कुछ नहीं है..


रणघोष खास. सुभाष चौधरी
राजस्थान में राइट टू हेल्थ बिल के विरोध में मरीजों का इलाज छोड़ सड़कों पर उतरे डॉक्टरों के समर्थन में हरियाणा समेत अनेक राज्यों में भी इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की आवाज पर प्राइवेट अस्पतालों ने भी इलाज छोड़ हड़ताल का बोर्ड लगाकर अपना विरोध जताया। पिछले कुछ सालों से डॉक्टर्स ने अपनी मांगों को लेकर वहीं रैवया अपनाना शुरू कर दिया है जो आमतौर पर कर्मचारी संगठन करते रहे हैं। कर्मचारियों की हड़ताल कुछ समय तक फाइलों को जाम कर सकती है लेकिन डॉक्टरों का इलाज नहीं करने का निर्णय तो सीधे तौर पर किसी की जिंदगी खत्म कर देता है। मतलब साफ है अब डॉक्टरों के लिए जिंदगी मौत से लड़ रहे मरीज का इलाज नहीं नहीं करके हड़ताल करना उनके लिए किसी फाइल को बंद करने जैसा है। अगर इस पेशे की मानवता एवं नैतिकता में किसी की जिंदगी बचाने से ज्यादा हड़ताल जायज है तो डॉक्टरों से अनुरोध है कि वह डिग्री लेते समय ली जाने वाली शपथ की परंपरा को तुरंत प्रभाव से खत्म कर दें। साथ ही अपने अस्पतालों की दीवारों पर लगा “ मैं मानवता की सेवा के लिए अपना जीवन समर्पित करने की सत्यनिष्ठा से प्रतिज्ञा करता हूं“ का फ्रेम उतारकर अलमारी में रख दे।
डॉक्टरों की मांगें कितनी जायज है यह सरकार और आईएमए के बीच टेबल पर होने वाली मीटिंग का एजेंडा है। सरकार जिद पर रहती है तो डॉक्टरों का विरोध करना उनका अधिकार बनता है। इस विरोध में उन बेगुनाहों की इलाज के अभाव में जान चली जाए तो क्या कोई सरकार- डॉक्टर्स संगठन इस घटना की जवाबदेही ले सकता है। क्या इस हड़ताल में संपन्न परिवार, अधिकारी, नेताओं के बच्चे एवं डॉक्टरों के करीबी एवं परिवारिक सदस्य बिना इलाज के तड़फते हुए किसी ने देखे हैं। जाहिर है इस देश में हर बार की तरह इसका खामियाजा उन लोगों को भुगतना पड़ता है जिसका कोई कसूर नहीं होता। उसका दोष सिर्फ इतना है कि वह जब बीमार हो जाता है तो उसे डॉक्टर्स धरती का भगवान नजर आता है। हड़ताल तो आज नहीं तो कल किसी ना किसी सहमति पर खत्म हो जाएगी क्या उन मरीजों की जिंदगी वापस लौट आएगी जो डॉक्टर्स- सरकार की जिद के चलते तड़फतें हुए बदुआएं देकर हमेशा के लिए दर्द का दंश देकर चले गए। आखिर ऐसी क्या मांगें हैं जो दूसरों की जिंदगी छिन ले। हड़ताल करने के ओर भी तरीकें हो सकते हैं जिससे सरकार को झुकाया जा सकता है। क्या डॉक्टर्स यह दावा कर सकते हैं कि हड़ताल के दौरान अगर उनके परिवार का सदस्य बीमार हो जाए तो वे उसका भी इलाज नहीं करेंगे। वे क्यों भूल जाते हैं कि उन पर किसी की जिंदगी बचाने की जिम्मेदारी है। अगर डॉक्टर्स मरीजों का इलाज छोड़कर हड़ताल करने के इस तरीके को सही मानते हैं मेहरबानी करके शपथ पत्र के फ्रेम को उतार फेंकिए।
आइए जानें शपथ पत्र में क्या लिखा होता है
मैं मानवता की सेवा के लिए अपना जीवन समर्पित करने की सत्यनिष्ठा से प्रतिज्ञा करता हूं।
· यहां तक ​​कि धमकी के तहत भी, मैं अपने चिकित्सा ज्ञान का उपयोग मानवता के नियमों के विपरीत नहीं करूंगा।
· मैं गर्भधारण के समय से मानव जीवन के लिए अत्यंत सम्मान बनाए रखूंगी।
· मैं अपने कर्तव्य और अपने रोगी के बीच धर्म, राष्ट्रीयता, नस्ल, दलगत राजनीति या सामाजिक प्रतिष्ठा के विचारों को हस्तक्षेप करने की अनुमति नहीं दूंगा।
· मैं विवेक और गरिमा के साथ अपने पेशे का अभ्यास करूंगा।
· मेरे रोगी का स्वास्थ्य मेरा पहला विचार होगा।
· मैं उन रहस्यों का आदर करूँगा जो मुझमें सीमित हैं।
· मैं अपने शिक्षकों को वह सम्मान और आभार दूंगा जो उनका हक है।
· मैं अपनी शक्ति में, चिकित्सा पेशे के सम्मान और महान परंपराओं को हर तरह से बनाए रखूंगा।
· मैं अपने सहयोगियों के साथ पूरे सम्मान और सम्मान के साथ पेश आऊंगा।
· मैं भारतीय चिकित्सा परिषद (व्यावसायिक आचरण, शिष्टाचार और नैतिकता) विनियम 2002 में प्रतिपादित चिकित्सा आचार संहिता का पालन करूंगा।
मैं इन वादों को गंभीरता से, स्वतंत्र रूप से और अपने सम्मान पर करता हूं।
डॉक्टर की जिम्मेवारी -बिना नुकसान पहुंचाएं करें इलाज
ऐसा कोई इंसान नहीं होगा, जिसे डॉक्टर की जरूरत न पड़ती हो। जिस तरह से गाड़ी चलाने के लिए समय-समय पर मरम्मत मांगती है, ठीक उसी तरह मनुष्य का शरीर भी है। कभी बुखार तो कभी कोई और बीमारी, उसको ठीक करने के लिए डॉक्टर की जरूरत पड़ती ही है। जब डॉक्टर बनने के बाद शपथ दिलाई जाती है तो शपथ का मूल मंत्र ‘किसी को नुकसान न पहुंचाएं’ होता है।
हिप्पोक्रेट्स शपथ भी यही कहती है ‘किसी को नुकसान न पहुंचाएं।’ डॉक्टरों की जिम्मेदारी होती है कि समर्पण भाव से हर मरीज को सर्वश्रेष्ठ देखभाल के साथ उत्कृष्ट इलाज मिले। डॉक्टर्स बिना थके, बिना रुके काम करते हैं ताकि हमारा देश स्वस्थ और खुश रह सके। इसके साथ-साथ मरीजों को आखिरी सांस तक बचाने की कोशिश करना है

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *