रणघोष खास (आर्टिकल 370 इनसाइड स्टोरी)

मुझे तड़के 2 बजे फोन आया, गृह मंत्री शाह मिलना चाहते हैं..’ जानें अनुच्छेद 370 हटाने से पहले की Inside Story


केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की श्रीनगर यात्रा का मकसद जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के सरकार के संकल्प को अंतिम रूप देना था. लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) केजेएस ढिल्लों ने अपनी नई किताब में यह दावा किया है. ढिल्लों की इस किताब ‘कितने गाजी आए कितने गाजी गए’ का विमोचन होना अभी बाकी है. इस पुस्तक का विमोचन वर्ष 2019 में दक्षिण कश्मीर के लेथपोरा के पास एक आत्मघाती हमले में शहीद हुए केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के 40 जवानों के सम्मान में 14 फरवरी को किया जाएगा.
ढिल्लों ने अपनी किताब में लिखा है कि 26 जून, 2019 को अमित शाह की यात्रा को एक नाटकीय घोषणा का पूर्व संकेत माना जा रहा था और ‘मुझे तड़के 2 बजे फोन आया, जिसमें मुझसे सुबह सात बजे गृह मंत्री से मिलने के लिए कहा गया था.’
‘आलू पराठा और ढोकला पर चर्चा’
गृह मंत्री के साथ अपनी बैठक के बारे में ज्यादा कुछ बताए बिना थलसेना के श्रीनगर स्थित 15 कोर के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) ने लिखा, ‘हमारी मुलाकात के दौरान ‘आलू पराठा’ और प्रसिद्ध गुजराती व्यंजन ‘ढोकला’ सहित स्वादिष्ट भोजन के अलावा कई संवेदनशील मुद्दों पर चर्चा की गई.’ उन्होंने लिखा है, ‘चर्चा में, एक महत्वपूर्ण घोषणा पर पाकिस्तान की प्रतिक्रिया को समझना भी शामिल था.’
‘किसी को इतिहास रचना पड़ेगा’
ढिल्लों ने लिखा है, ‘मैं यह उल्लेख करना चाहूंगा कि गृह मंत्री एजेंडा से पूरी तरह से अवगत थे… उन्होंने स्पष्ट रूप से व्यापक शोध और मंथन किया था.’ रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल ने अपनी पुस्तक में लिखा है, ‘बैठक के समापन पर मुझसे मेरे स्पष्ट और व्यक्तिगत विचार के बारे में पूछा गया था तथा मेरी प्रतिक्रिया यह थी कि ‘अगर इतिहास लिखना है, तो किसी को इतिहास रचना पड़ेगा (हम इतिहास तभी लिख सकते हैं जब हम इतिहास रचते हैं).’
और इस तरह रद्द कर दिया गया अनुच्छेद 370
केंद्र सरकार द्वारा 5 अगस्त, 2019 को अनुच्छेद 370 को निरस्त करने की घोषणा किए जाने से पहले श्रीनगर में हुई यह आखिरी बैठक थी. इस प्रावधान को निरस्त किए जाने के बाद जम्मू-कश्मीर को प्राप्त विशेष राज्य का दर्जा समाप्त हो गया और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया गया था.
रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल ने बताया कि सीमा पार से फैलाए जा रहे झूठ के कारण अधिकारियों को इस दौरान इंटरनेट बंद करना पड़ा था तथा इसके अलावा यह सुनिश्चित करना पड़ा कि जान-माल को कोई नुकसान न हो.

 

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