रणघोष अपडेट. देशभर से
पूर्व केंद्रीय मंत्री हुक्मदेव नारायण यादव। एक ऐसे संघर्षशील, संवेदनशील राजनेता जिसके वक्तव्यों में डॉ. राम मनोहर लोहिया के विचारों की गहरी छाप नजर आती है। देश के पांच राज्यों उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, गोवा एवं मणिपुर में हो रहे विधानसभा चुनावों को लेकर उन्होंने अपनी बेबाक एवं त्वरित टिप्पणी से देश की मौजूदा राजनीति परिदृश्य को सामने रखा।
रेवाड़ी में हरको बैंक के चेयरमैन अरविंद यादव के आवास पर 83 वर्षीय सादगी से संपूर्ण इस नेता ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कार्यप्रणाली में लोहिया जी का विजन- चितंन स्पष्ट तौर से नजर आ रहा है। लोहिया आंदोलन चलाते थे। कहते थे कि इतिहास जनता के द्वारा लिखा जाना चाहिए था। वर्तमान में गंदे इतिहास को सरकार कब तक पढ़ाती रहेगी। वे समाजवादी थे संघी नहीं थे। आज जब इतिहास सत्यता की कसौटी पर साफ सुथरा मर्यादित किया जा रहा है तो फिर शोर किस बात का मचाया जा रहा है। लोहिया जी ने वंशवाद एवं परिवारवाद को लोकतंत्र के लिए सबसे बड़ा खतरा माना था। पांच राज्यों में हो रहे चुनावों में देखिए। पंजाब- यूपी में क्षेत्रीय पार्टियों में परिवारवाद- वंशवाद साफ तौर से नजर आ रहा है। कमाल की बात यह है कि मायावती एवं ममता बनर्जी की कमान उनके भतीजों ने संभाल ली है। वंशवाद के चलते फैलाव करती शोषण की राजनीति के विरुद्ध जन चेतना की मशाल जलाने वाले लोहिया के समानता पर आधारित समाज के प्रति आस्था पीएम मोदी में स्पष्ट दिखाई देती है । लोहिया कहते थे कि भारत में एक बार धर्म युद्ध की आवश्यकता है। सही पूछो तो लोहिया के सपनों को साकार करने का लक्ष्य केंद्र सरकार में स्पष्ट नजर आ रहा है। सबमें समानता आए, ऊँच-नीच का भेद न हो, अमीर-गरीब का भेद न हो और सब बराबर हों। आर्थिक बराबरी, सामाजिक बराबरी, राजकीय बराबरी, धार्मिक बराबरी और एक सीढ़ी और नीचे उतरो, तब उसके बाद आएगी समता, सम्पूर्ण समता, सम्भव समता। देश के अन्दर अगर आर्थिक गैर बराबरी है और उसमें बराबरी लाने के लिए जो कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं, वे आर्थिक बराबरी के लिए हैं। हुकमदेव नारायण ने सवालिया लहजे में कहा कि क्या यह ‘प्रधान मंत्री जन-धन योजना’ निर्धन, निर्बल, गरीबों को ऊपर उठाने के लिए नहीं है?। देश में जन-धन खाते खोले गए हैं। जिसके तहत गांव के गरीब, मजदूर किसानों के खातों में हर साल अलग अलग योजनाओं के तहत हजारों रुपए जमा किये हैं। इसी से आर्थिक गैर बराबरी को कम करने तथा मिटाने में सहायता मिलेगी। उन्होंने कहा कि देश की जनता सबकुछ समझती- जानती है। इसलिए उन्होंने 2019 के चुनाव में मोदी को शानदार बहुमत देकर अपना विश्वास जताया। पांच राज्यों के चुनाव में भाजपा यही करिश्मा फिर दोहराने जा रही है। हुकुमदेव नारायण यादव ने पंडित दीनदयाल का स्मरण करते हुए कहा कि अन्त्योदय का अर्थ समाज में अंतिम पंक्ति में खड़े व्यक्ति का उदय करना है। उन्होंने कहा कि जिस तरह समतल भूमि न होने से फसल की पैदावार एक बराबर नहीं होती है, उसी प्रकार से समरस समाज के बिना राष्ट्र का विकास मुमकिन नहीं है।