देश की संस्कृति सुरक्षा के लिए जन जाति समाज का मजबूत होना बेहद जरूरी: खराड़ी
– इस समाज को पूरी तरह से मुख्यधारा में लाने के लिए संसद का घेराव करना पड़े करेंगे
– देश के सभी सांसदों से मिलकर करा रहे मौजूदा स्थिति से अवगत
– धर्मानांतरण रोकने और घर वापसी के लिए उठाए जा रहे कदम
रणघोष अपडेट. रेवाड़ी
– वनवासी कल्याण आश्रम के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामचंद्र खराड़ी ने कहा कि देश की संस्कृति सुरक्षा के लिए जन जाति समाज का मजबूत होना बेहद जरूरी है। रामायण से लेकर महाराभारत काल का इस समाज से गहरा रिश्ता व जुड़ाव रहा है। इस समाज को पूरी तरह से मुख्यधारा में लाने के लिए संसद का घेराव करना पड़े तो करेंगे। हमारा संगठन देश के सभी सांसदों से मिलकर जनजाति समाज की मौजूदा स्थिति से अवगत करा रहा है। धर्मानांतरण रोकने और घर वापसी के लिए बड़े स्तर पर कदम उठाए जा रहे हैं। राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू से भी इस 14 करोड़ की आबादी वाले समाज के संपूर्ण कल्याण के लिए विस्तार से बातचीत हो चुकी है। वे बेहद गंभीर है। हमें उम्मीद हैं कि आने वाले समय में इस समाज के लिए बेहतर बदलाव एवं परिणाम आने शुरू हो जाएंगे।
– रामचंद्र खराड़ी रविवार को रेवाड़ी में नाईवाली स्थित सेंड पाइपर में आश्रम की जिला कमेटी द्वारा आयोजित मीटिंग के बाद पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। उन्होंने कहा कि 1865 से ही अंग्रेजी हुकुमत ने जन जाति समाज पर हर तरीके से अपना अधिकार कायम करने के लिए तरह तरह के कानून लागू कर दिए थे। उनकी नजरें इस समाज द्वारा संरक्षित खनिज पदार्थों पर थी जिसमें वन क्षेत्र व खनिज पदार्थ मुख्य तौर से शामिल थे। अंग्रेजों ने हमारे देश की 70 से 80 प्रतिशत खनिज संपदा पर कब्जा कर उसे अपने देश में भेजना शुरू कर दिया था। इतना ही नही उन्होंने वन संपत्ति को सरकारी संपत्ति घोषित कानून घोषित कर दिया जो देश की आजादी के 2006 तक कायम रहा। इतना ही नहीं आजादी के बाद इस कानून को निरस्त की बजाय इसे कठोर बना दिया गया। देश के अनेक संगठनों ने इसके खिलाफ आवाज उठाई तो इसका असर 2006 के बाद मानवाधिकार कानून के तौर पर नजर आया। जनजाति समाज का इतिहास बेहद ही गौरवशाली एवं स्वाभिमानी रहा है। 1857 से लेकर 1947 के दरम्या देश की आजादी में इस समाज के हजारों लोगों ने सबसे ज्यादा शहादत दी। हमारा संगठन 1952 से सक्रिय भूमिका में इस समाज के इतिहास को बचाने एवं संजोने के लिए लगातार प्रयास कर रहा है। करीब 100 से ज्यादा इस समाज के शहीदों पर हम डायॅक्युमेंटरी बना चुके हैं। देश के इतिहास में जलियावाला हत्याकांड विदारक माना जाता है। उससे ज्यादा शहादत राजस्थान भीलवाड़ा में 1520 भील अंग्रेजों से लड़कर शहीद हो गए थे। झारखंड की धरती पर महान शहीद बिरसा मुंडा का 122 वां शहादत दिवस मनाया। इस समाज के लिए राजनीतिक और सामाजिक स्तर पर प्रयास जरूरी है।
– इस समाज में धर्मानांतरण रोकना- घर वापसी हमारा लक्ष्य
राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि एक सोची समझी साजिश के तहत इस समाज में धर्मांतरण का खेल करने का प्रयास किया जा रहा है। झारखंड, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र एवं उड़ीसा में विशेष तौर से मामले सामने आ रहे हैं। इसे रोकना जरूरी है। साथ ही देश की सुरक्षा को सर्वोपरि मानते हुए पश्चिम बंगाल, असम, नागालैंड समेत पूर्वी राज्यों में इस समाज को मुख्यधारा में लाने के लिए बड़े स्तर पर कदम उठाने के लिए हम लगातार सरकार से बातचीत कर रहे हैं। इनकी स्वास्थ्य एवं शिक्षा के लिए हमें सड़क से लेकर संसद एवं सरपंच से लेकर सांसदों तक प्रदर्शन करना पड़े पीछे नहीं हटेंगे। आश्रम के जिला संयोजक संजय डाटा ने राष्ट्रीय अध्यक्ष का स्वागत किया। इस अवसर पर जयभगवान, संजय जी, रामाअवतार लांबा, रामअवतार गौतम के अलावा आशु विकास, रविंद्र, मनीष गोयल, जोगिंद्र खेतरपाल, देवेंद्र सिंह, बलराज, हुकम सिंह, सुरेंद्र सिंह, दीपक गोयल, महेंद्र छाबड़ा, सीए कश्यप गुप्ता, यशपाल, सीए राजीव जैन, डीडी अग्रवाल, प्रकाश चंद, प्रवीण यादव, आशीष गुप्ता, धर्मेंद्र कुमार गुप्ता, हवा सिंह डागर, एनके गुप्ता, मोहनलाल गुप्ता, अमित सांघी, महेंद्र गोयल, दीपक गोयल, एडवोकेट कमल निंबल समेत अनेक गणमान्य लोग मौजूद थे।
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