रेवाड़ी वार्ड 10 में अवैध कब्जे को लेकर घिरे नप उपप्रधान श्याम चुघ, डीएमसी की कार्रवाई को दबाया

रणघोष अपडेट. रेवाड़ी

 जिन पार्षदों के साथ नगर परिषद के उप्रधान श्याम चुघ ने सरकारी जमीन पर अवैध कब्जे को लेकर नप की कार्यप्रणाली के खिलाफ मोर्चा खोला हुआ है। वे खुद अपने वार्ड नंबर 10 के सैयद सराय मोहल्ले में सार्वजनिक गली पर कुछ परिवारों द्वारा गेट लगाने के मामले में घिरते जा रहे हैं। यहां बता दें कि 11 मई को तत्कालीन डीएमसी सुभिता ढाका ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए तीन दिन के भीतर अधीनस्थ अधिकारियों को रिपोर्ट देने के लिए कहा था। डीएमसी का तबादला होते ही इस शिकायत को भी दबा दिया गया। शिकायतकर्ताओं की माने तो नप के उप्रधान श्याम चुघ नहीं चाहते कि अवैध रूप से बिना किसी मंजूरी के लगा गेट हटे जबकि अधिकारी मौके पर जाकर रिपोर्ट भी बना चुके हैं कि यह गैर कानूनी है। ऐसे तो हर कोई अपनी गलियों में गेट लगाते रहेंगे और शहर की गलियों से निकलना ही मुश्किल हो जाएगा।

मोहल्ले की जिस गली पर यह गेट लगाया गया है वह नागरिक अस्पताल, सैनी, जैन समेत अनेक स्कूलों एवं मुख्य बाजार को जोड़ता है। शिकायत से पहले इस गेट को परिवार के कुछ सदस्य अपनी मर्जी से बंद कर देते थे। दिन में भी ताला लगा दिया जाता था। सिर्फ उन्हीं लोगों के लिए खुलता था जिनके परिवार इस गली में रहते थे। वर्तमान में गेट पूरे समय खुले रहते हैं लेकिन उन्हें हटाया नहीं  गया है। इस पूरे मामले  की लड़ाई लड़ रहे सामाजिक कार्यकता अरूण तनेजा ने कहा कि वे दो बार सीएम विंडो लगा चुके हैं। पहली विंडो में तो उनके फर्जी साइन करके शिकायत को ही फाइल करा दिया गया जिसकी जांच के लिए उन्होंने दुबारा सीएम विंडो लगाई है। नगर परिषद में पार्षद श्याम चुघ अधिकारियों पर दबाव बनाकर इस गेट को नहीं हटने दे रहे हैं। हमारी लड़ाई जनहित की हैं। कायदे से अवैध कब्जा हटाने का कार्य नप को करना चाहिए उसके लिए उन्हें लड़ना पड़ रहा है।  अनेक लोग उनके साथ खड़े हो गए हैं। 11 मई को डीएमसी सुभिता ढाका ने आश्वासन दिया था कि यह गेट गैर कानूनी है उसे हटाया जाएगा। इसके लिए तीन दिन में अधीनस्थ अधिकारियों को रिपोर्ट देने के आदेश दिए थे। इस कार्रवाई पत्र को भी मिली भगत से दबा दिया गया। हमें वर्तमान डीएमसी उदयभान से पूरी उम्मीद है कि वे इस मामले की जांच कर गेट को हटवा देंगे। अगर इसी तरह गलियों में गेट लगते रहे और कुछ परिवार अपनी मनमानी करते रहे तो शहर में तो स्थिति पूरी तरह से बेकाबू हो जाएंगी। गेट लगाने वालों का तर्क है कि असामाजिक तत्वों को रोकने के लिए गेट लगाया गया है। अब सवाल यह उठता है कि अब गेट पूरे समय खुले रहते हैं क्या असमाजिक तत्व नहीं आते। अगर कोई आता है तो उसके खिलाफ पुलिस  में शिकायत दर्ज क्यों नहीं होती।  शिकायत के बाद अब गली पहले की तरह खुली है तो गेटों को क्यों नहीं हटाया जा रहा है। यह सरासर नप के अधिकारियों की आंखों में धूल झोंकी जा रही है। शिकायतकर्ता ओमप्रकाश गांधी, धीरज गांधी, रूपेश, अशोक कुमार, पवन कुमार रमेश कुमार, मुकेश सैनी, विशाल, रमेश सैनी, बिशंबरदयाल, नवीन, नरेंद्र, संजय सैनी, विजय, कमल, ओमप्रकाश सैनी, हरीश, रवि कालरा, रिंकू, इंद्रजीत समेत अनेक स्थानीय लोगों ने कहा कि अवैध तौर पर लगे गेट ने नगर पार्षद के साथ साथ नप की कार्यप्रणाली की कथनी करनी को भी उजागर कर दिया है।

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