रेवाड़ी नगर परिषद चेयरमैन की बड़ी खबर सिर्फ रणघोष में

कांग्रेस से कप्तान परिवार से विक्रम यादव का लड़ना तय, उधर भाजपा से पूनम यादव लगभग फाइनल


राजनीति में अंतिम समय तक कुछ भी हो सकता है लेकिन मौजूदा तस्वीर में यही फाइनल नजर आ रहा है


रणघोष खास.  रेवाड़ी


  नगर परिषद रेवाड़ी चेयरपर्सन उम्मीदवार को लेकर कांग्रेस- भाजपा में खेली जा रही लुक्का- छुपी का समय अब पूरा हो गया है। पूर्व मंत्री कप्तान अजय सिंह यादव की तरकश से निकला तीर सही निशाने पर लगा है। लिहाजा उन्होंने ऑफ दा रिकार्ड अपने परिवार से ही बड़े भाई अजीत नंबरदार के बेटे यानि  भतीजे रणविजय सिंह की पत्नी विक्रम यादव को मैदान में उतरने की अनुमति दे दी है। विक्रम यादव पिछले दो साल से राजनीति में आने के लिए सक्रिय थी और चेयरपर्सन के लिए विधिवत तौर पर मैदान में भी आ चुकी थी। उस समय कानूनी दांव पेंच के चलते चुनाव की घोषणा नहीं हो पाई थी। उधर भाजपा से लगभग पूनम यादव पत्नी बलजीत यादव का नाम लगभग फाइनल माना जा रहा है। पूनम पर  केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह का आशीर्वाद है। ऐसा होने पर  पूर्व विधायक रणधीर सिंह कापड़ीवास की भाजपा में विधिवत  एंट्री के प्रयास भी वहीं ठहर जाएंगे। राव इंद्रजीत के खिलाफ हमलावर हो रहे कापड़ीवास इसके बाद क्या निर्णय लेंगे यह देखना महत्वूपर्ण रहेगा।

 कांग्रेस की तरफ से विक्रम यादव मैदान में उतरती है तो इसमें कोई शक नहीं की कांग्रेस पूरी तरह मजबूत दावेदारी में आ जाएगी। विक्रम पहले भी कह चुकी है कि उसे राजनीति में बहुत पहले आ जाना चाहिए था। अब सही समय आया है। सबसे बड़ी बात सामाजिक तोर पर भी वह जाना पहचाना चेहरा है और खुद की पहचान रखती है। 2019 के  विधानसभा चुनाव से पहले नप चुनाव की अटकलों के चलते उसने भाजपा का दामन थाम लिया था। भाजपा का एक धड़ा भी उसके साथ रहा है। परिस्थितियां बदलते ही वह अपने परिवार की राजनीति में लौट आई है।   कप्तान अजय सिंह यादव का मजबूत साथ मिलने के अलावा वह खुद भी सक्रिय रही है। विक्रम यादव के आने से कप्तान परिवार में राजनीति भी एकजुट नजर आ रही है। पिछले दिनों विधायक चिंरजीव राव के गाव साहरनवास में चौपाल का उद्घाटन इसका साफ इशारा था। इस गांव में आयुषी राव पत्नी  अभिमन्यु राव सरपंच है और यह कप्तान का पृतक गांव है। कुछ सालों से परिवार में राजनीति कारणों से मतभेद रहे हैं। जहां तक भाजपा की बात है। पूनम यादव को टिकट मिलते ही सारा दारमोदार राव इंद्रजीत सिंह समर्थकों पर रहेगा। हालांकि यहां बलजीत यादव की अपनी जमीनी पकड़ भी है लेकिन कप्तान का डोर टू डोर नेटवर्क को तोड़ना किसी के लिए आसान नहीं है। कप्तान ने अपने राजनीति जीवन में  रेवाड़ी विधानसभा सीट पर  2014 के छोड़कर  लगभग सभी चुनाव को हारी हुई बाजी को जीत में पलटा है। 2019 विधानसभा का चुनाव इस बात का प्रमाण है। भाजपा के लिए सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि एक साल में सरकार होते हुए भी वह जनता के बीच वह माहौल नहीं बना पाई है जिससे चुनाव में उत्साह नजर आए। दूसरा पार्टी में अलग अलग कारणों से धड़े इतने बन चुके हैं कि अब टिकट नहीं मिलने की स्थिति में सभी एक दूसरे को कमजोर करने में जुटे रहेंगे हालांकि दिखावे के तौर पर एकजुट दिखेंगे। कांग्रेस में यह स्थिति नहीं है। निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर मैदान में उतर चुके पूर्व जिला प्रमुख सतीश यादव अपनी पत्नी उपमा यादव की तैयारी कर चुके हैं। वे पिछले दो दिनों से पूरी तरह सक्रिय होकर शहर में लोगों से मिल रहे हैं।  उन्हें उम्मीद है कि भाजपा में  पसंद का उम्मीदवार नहीं आने से कापड़ीवास उनकी मदद में खड़े नजर आएंगे। अगर ऐसा होता है तो मुकाबला त्रिकोणीय होगा। इधर निर्दलीय में ही पूर्व  प्रधान विजय राव भी अपनी पत्नी निर्मला राव को मैदान में उतार कर खुद पार्षद का चुनाव लड़ रहे हैं। कुल मिलाकर चुनाव में  तस्वीर हर रोज बदलती रहेगी। हालात एवं परिस्थितयां कब करवट लेकर इधर उधर हो जाए यह राजनीति में कुछ भी नहीं कहा जा सकता।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *